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हेट स्पीच याचिका पर Supreme Court सख्त, कहा- “यह कोर्ट पुलिस आउटपोस्ट नहीं”

सुप्रीम कोर्ट में हेट स्पीच मामले पर सुनवाई के दौरान अल्पसंख्यकों के आर्थिक बहिष्कार और राज्य सरकारों की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी। जस्टिस संदीप मेहता ने कहा- “सुप्रीम कोर्ट पुलिस आउटपोस्ट नहीं।”

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Dhiraj Dhillon
Supreme court

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हेट स्पीच से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान काफी तीखी बहस देखने को मिली। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सख्त रुख दिखाते हुए यहां तक कह दिया कि यह सुप्रीम कोर्ट है कोई पुलिस आउटपोस्ट नहीं की हर मामले को यहां लाया जाए। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ सीनियर एडवोकेट निजाम पाशा की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया था कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट स्पीच और आर्थिक बहिष्कार की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। पाशा ने कहा कि कई बाजारों में फल-सब्जी व्यापारियों का बहिष्कार शुरू हो गया है और कुछ सांसदों और विधायकों ने भी ऐसा आह्वान किया है।

सॉलिसिटर जनरल बोले- सभी धर्मों के खिलाफ हो रही हेट स्पीच

एडवोकेट निजाम पाशा की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि “हेट स्पीच सभी धर्मों के खिलाफ हो रही है। कोई भी सिर्फ एक समुदाय के नाम पर पब्लिक इंटरेस्ट बताकर अदालत के सामने नहीं आ सकता।” उनका कहना था कि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है, केंद्र का नहीं। बहस बढ़ने पर जस्टिस संदीप मेहता ने सवाल किया कि ऐसे मामलों की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा- अगर कोई घटना होती है तो संबंधित हाई कोर्ट में जाएं। सुप्रीम कोर्ट पुलिस आउटपोस्ट नहीं है। हम देश के हर छोटे क्षेत्र की घटनाओं को मॉनिटर नहीं कर सकते।

पाशा ने राज्य सरकारों पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया

पाशा ने तर्क दिया कि राज्य सरकारें कार्रवाई नहीं कर रहीं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को दिशानिर्देश जारी करने चाहिएं। इस पर जस्टिस मेहता ने कहा कि अगर पुलिस अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर रही, तो यह कोर्ट की अवमानना होगी और मामला हाई कोर्ट में ले जाया जाना चाहिए। बहस के दौरान पाशा ने असम के मंत्री अशोक सिंघल की उस सोशल मीडिया पोस्ट का भी जिक्र किया जिसमें बिहार चुनाव परिणाम पर ‘गोभी की खेती’ वाली टिप्पणी की गई थी। इसे 1989 के भागलपुर दंगों से जोड़कर सांप्रदायिक संदर्भ बताया गया। जस्टिस विक्रम नाथ ने अंत में कहा कि इस हस्तक्षेप अर्जी को मुख्य याचिका के साथ टैग किया जाएगा। अब 9 दिसंबर को मुख्य रिट पिटीशन समेत सभी संबंधित मामलों की संयुक्त सुनवाई होगी।

Supreme Court News | Social Media Hate Speech 

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