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"ब्रेस्‍ट छूना, नाड़ा तोड़ना रेप नहीं'...High Court जज के ऐसे बयानों पर Supreme Court सख्‍त

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस विवादास्पद आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि 'ब्रेस्ट पकड़ना' और पजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं हो सकता।

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Ranjana Sharma
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Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस विवादास्पद आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि 'ब्रेस्ट पकड़ना' और पजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं हो सकता। यह आदेश 17 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिया गया था। इस बयान की आलोचना भी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर बुधवार को संज्ञान लिया और कहा कि फैसले में संवेदनशीलता की गंभीर कमी है।  सुप्रीम कोर्ट ने  कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से महिला अधिकारों और दुष्कर्म के मामलों में संवेदनशीलता की गंभीर कमी होती है। यह समाज में गलत संदेश दे सकता है। 

सुप्रीम कोर्ट ने बयान पर असहमति जताई 

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सुप्रीम कोर्ट की बेंच जिसमें जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह शामिल थे ने सुनवाई के दौरान इस आदेश के कुछ हिस्सों पर असहमति जताई। जस्टिस गवई ने कहा क‍ि हमें खेद है कि एक जज द्वारा ऐसे कठोर और संवेदनशील शब्दों का प्रयोग किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के कुछ पैराग्राफ, विशेष रूप से 24, 25 और 26, इस मामले में संवेदनशीलता की पूरी कमी को दर्शाते हैं।

पीड‍ि़त की मां ने फैसले के ख‍िलाफ याच‍िका दायर की

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि यह निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया गया था, क्योंकि इस मामले की सुनवाई पूरी होने और निर्णय रिजर्व होने के चार महीने बाद यह फैसला सुनाया गया था। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की मां ने भी इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है। इसे अब सुनवाई में शामिल किया जाएगा। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए दोनों को इस मामले में अदालत की मदद करने को कहा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस पर अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद मंगलवार को होगी।
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11 वर्षीय लड़की के साथ हुए बलात्कार के प्रयास से जुड़ा है मामला 

इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह विवादित आदेश एक 11 वर्षीय लड़की के साथ हुए बलात्कार के प्रयास के मामले से जुड़ा था। जिसमें आरोपी पर ब्रेस्ट पकड़ने और पजामे का नाड़ा तोड़ने का आरोप था। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि इन आरोपों के आधार पर इसे बलात्कार के प्रयास का मामला नहीं माना जा सकता, हालांकि इसे महिला की गरिमा पर आघात मानते हुए मामला दर्ज किया गया।
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