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संविधान में नया अध्याय जोड़ने जा रहा है Supreme Court? जानिए — किस मामले पर हो रही ऐतिहासिक सुनवाई?

सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति संदर्भ की सुनवाई में यह तय करेगा कि क्या अदालत राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए विधेयकों पर सहमति देने की समय-सीमा निर्धारित कर सकती है। 19 अगस्त से शुरू होने वाली यह सुनवाई देश के लिए बेहद अहम है। जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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Ajit Kumar Pandey
संविधान में नया अध्याय जोड़ने जा रहा है Supreme Court? जानिए — किस मामले पर हो रही ऐतिहासिक सुनवाई? | यंग भारत न्यूज

संविधान में नया अध्याय जोड़ने जा रहा है Supreme Court? जानिए — किस मामले पर हो रही ऐतिहासिक सुनवाई? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । सुप्रीम कोर्ट राज्यपालों और राष्ट्रपति की विधेयकों पर सहमति देने की शक्तियों पर महत्वपूर्ण सुनवाई करने जा रहा है। क्या अब न्यायालय इनकी समय-सीमा तय कर सकता है? इस सवाल का जवाब 19 अगस्त 2025 से शुरू होने वाली सुनवाई में मिलेगा, जो देश की संघीय व्यवस्था के लिए बेहद अहम है।

आपको बता दें कि भारत के संवैधानिक इतिहास में एक बेहद महत्वपूर्ण मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्वारा दायर एक विशेष संवैधानिक संदर्भ पर सुनवाई की समय-सीमा तय कर दी है। यह संदर्भ इस मूलभूत प्रश्न पर केंद्रित है कि क्या सर्वोच्च न्यायालय राज्यपालों और राष्ट्रपति को राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति देने के लिए समय-सीमा निर्धारित करने का निर्देश दे सकता है। यह मुद्दा लंबे समय से राज्यों और केंद्र के बीच विवाद का कारण रहा है, जहां कई बार राज्यपालों द्वारा विधेयकों को रोके रखने से राज्य सरकारों के कामकाज में बाधा आई है।

क्यों उठ रहे हैं ऐसे गंभीर सवाल?

कई राज्यों में यह देखा गया है कि राज्यपाल लंबे समय तक विधेयकों पर कोई निर्णय नहीं लेते, जिससे विकास परियोजनाओं और जनकल्याणकारी योजनाओं में देरी होती है। इस देरी से न केवल संवैधानिक संकट पैदा होता है, बल्कि आम जनता को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। राष्ट्रपति ने इसी गतिरोध को खत्म करने और संवैधानिक स्पष्टता लाने के लिए यह राष्ट्रपति संदर्भ सुप्रीम कोर्ट को भेजा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका अब एक निर्णायक समाधानकर्ता की होगी।

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सुनवाई का पूरा शेड्यूल: एक-एक दिन महत्वपूर्ण

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई के लिए विस्तृत समय-सारिणी जारी की है। यह दर्शाता है कि अदालत इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही है।

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12 अगस्त तक: सभी संबंधित पक्ष अपनी लिखित दलीलें दाखिल करेंगे।

19, 20, 21 और 26 अगस्त: राष्ट्रपति संदर्भ का समर्थन करने वाले पक्षों की सुनवाई होगी।

28 अगस्त, 3, 4 और 9 सितंबर: संदर्भ का विरोध करने वाले पक्षों को सुना जाएगा।

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10 सितंबर: यदि आवश्यक हुआ, तो केंद्र सरकार की ओर से जवाबी दलीलें (rejoinder) सुनी जाएंगी।

अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि समय-सारिणी का सख्ती से पालन किया जाए और वकील अपने तर्कों को निर्धारित समय-सीमा में पूरा करने का हर संभव प्रयास करें। यह ऐतिहासिक सुनवाई देश की संवैधानिक मर्यादाओं और केंद्र-राज्य संबंधों को नए सिरे से परिभाषित कर सकती है।

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