Advertisment

Supreme Court ने Imran Pratapgarhi पर Gujarat में दर्ज केस पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात में दर्ज एक मामले को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने प्रतापगढ़ी को राहत का संकेत देते हुए कहा कि जिस कविता को लेकर यह मामला दर्ज हुआ है।

author-image
Jyoti Yadav
Supreme Court

Supreme Court Photograph: (Google)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

गुजरात, वाईबीएन नेटवर्क 

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात में दर्ज एक मामले को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने प्रतापगढ़ी को राहत का संकेत देते हुए कहा कि जिस कविता को लेकर यह मामला दर्ज हुआ है, उसका सही अर्थ समझने की आवश्यकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कविता का उद्देश्य किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य अहिंसा का संदेश देना था।

कविता पर विवाद और एफआईआर की स्थिति

इमरान प्रतापगढ़ी ने 2 जनवरी को जामनगर में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी। इसमें एक कविता का बैकग्राउंड ऑडियो था, जिसमें 'ऐ खून के प्यासे लोगों सुनो..' जैसे शब्द थे। यह कविता सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली बताई गई, जिसके बाद जामनगर के निवासी किशनभाई नंदा ने एफआईआर दर्ज कराई। इस एफआईआर में बीएनएस की धाराएं 196 और 197 लगाई गई थीं, जिनके तहत 5 साल तक की सजा हो सकती है।

Advertisment

हाई कोर्ट का रुख और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

इमरान प्रतापगढ़ी ने इस मामले को रद्द करवाने के लिए गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि जांच अभी शुरुआती दौर में है और इमरान को अपनी जिम्मेदारी का पालन करते हुए कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए। हालांकि, 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने जामनगर में दर्ज एफआईआर पर किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और अहम टिप्पणियां

Advertisment

3 मार्च को इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच में हुई। जस्टिस ओका ने कहा कि संविधान को लागू हुए 7 दशक से अधिक समय हो चुका है और पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। गुजरात सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शब्दों का अर्थ अलग-अलग तरीके से लिया जा सकता है, और यही एफआईआर का कारण बना।

कपिल सिब्बल की दलील और जजों की प्रतिक्रिया

इमरान के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि यह पोस्ट याचिकाकर्ता की सोशल मीडिया टीम ने बिना उनकी जानकारी के किया था। इस पर जजों ने टिप्पणी की कि यह ऐसा मामला नहीं था, जिसे सुप्रीम कोर्ट तक लाया जाता। यह मामला हाई कोर्ट में ही निपटाया जा सकता था। कपिल सिब्बल ने जजों से अनुरोध किया कि वे अपने फैसले में पुलिस और हाई कोर्ट के रवैये पर भी कुछ कहें।

Advertisment
Advertisment