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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली से कुछ दिन पहले शुक्रवार को कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना न तो व्यावहारिक है और न ही आदर्श स्थिति है, क्योंकि ऐसे प्रतिबंधों का अक्सर उल्लंघन होता है और सभी पक्षों के हितों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हरित पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति दिए जाने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए ये टिप्पणियां कीं। इन टिप्पणियों से प्रतिबंध में ढील का संकेत मिलता है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया
एनसीआर में दिल्ली के साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के कई जिले आते हैं। केंद्र और एनसीआर राज्यों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को दिवाली और अन्य त्योहारों पर बिना किसी समय सीमा प्रतिबंध के पटाखे फोड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। दिल्ली-एनसीआर में 2018 से लागू पूर्ण प्रतिबंध पर सवाल उठाते हुए पीठ ने अधिकारियों और अन्य के वकील से पूछा कि क्या प्रतिबंध से कोई ठोस फर्क पड़ा है या वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में कमी आई है।
पटाखे छुड़कर जश्न मनाने दें
प्रधान न्यायाधीश ने पूछा, क्या 2018 के बाद से वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार हुआ है या यह खराब हुआ है? क्या तब प्रदूषण अब की तुलना में बहुत कम था? सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आंकड़ों के अनुसार, प्रदूषण का स्तर लगभग समान ही रहा है, सिवाय कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान, जब औद्योगिक और वाहन गतिविधियां रुकी हुई थी। सॉलिसिटर जनरल ने आग्रह किया, बच्चों को दो दिन जश्न मनाने दीजिए। यह सिर्फ दिवाली, गुरुपर्व और क्रिसमस जैसे त्योहारों के लिए है।
मेरे भीतर का बच्चा आपके भीतर के बच्चे को जगा रहा है
उन्होंने अनुरोध किया, मेरे भीतर का बच्चा आपके (न्यायाधीशों) के भीतर बैठे बच्चे को मनाने की कोशिश कर रहा है और कुछ दिनों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। प्रतिबंध में ढील देने का संकेत देते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इसमें सभी पक्षों के हितों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध न तो व्यावहारिक है और न ही आदर्श और व्यवहार में अक्सर ऐसे प्रतिबंधों से बचा जाता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद पटाखों का इस्तेमाल जारी है। सख्त आदेश समस्याएं पैदा करते हैं।
पर्यावरण और आजीविका दोनों के हितों की रक्षा हो
उन्होंने कहा कि न्यायालय एक संतुलित समाधान चाहता है, जिससे पर्यावरण और आजीविका दोनों के हितों की रक्षा हो सके। आदेश सुरक्षित रखने से पहले पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार और एनसीआर राज्यों, पटाखा निर्माताओं, पर्यावरणविदों और न्यायमित्र समेत विभिन्न हितधारकों की व्यापक दलीलें सुनीं। केंद्र और एनसीआर राज्यों की ओर से पेश हुए मेहता ने पीठ से एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया, जो श्रमिकों की आजीविका के अधिकार और नागरिकों के त्योहार मनाने के अधिकार दोनों की रक्षा करे, साथ ही इससे पर्यावरण सुरक्षा उपायों का पालन सुनिश्चित हो सके। मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘हमने संतुलित समाधान निकाले जाने वाले सुझाव दिए हैं।
दिवाली, गुरुपर्व, क्रिसमस पर मिलनी चाहिए इजाजत
उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) द्वारा अनुमोदित केवल हरित पटाखों के निर्माण और बिक्री की सख्त निगरानी में अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि दिवाली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नये साल की पूर्व संध्या जैसे कुछ मौकों पर हरित पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी जानी चाहिए और इसके लिए कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए। मेहता ने कहा कि केवल नीरी और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन द्वारा प्रमाणित पटाखों का ही निर्माण और बिक्री की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी प्रकार के संयुक्त पटाखे या "लड़ी’’ न तो बनाए जाएं और न ही इस्तेमाल किए जाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के माध्यम से ही की जानी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि केवल उन्हीं पटाखों की बिक्री हो, जिनकी अनुमति दी गई है।
प्रतिबंध हरियाणा और एनसीआर के कुछ हिस्सों तक ही क्यों सीमित
उन्होंने कहा, एनसीआर राज्यों की सरकारों, दिल्ली सरकार और पीईएसओ द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि समेत कोई भी ई-कॉमर्स वेबसाइट कोई भी ऑनलाइन ऑर्डर स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि पीईएसओ और नीरी समय-समय पर विनिर्माण इकाइयों का निरीक्षण करेंगे, ताकि अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके और हरित पटाखा मानदंडों का उल्लंघन करने वाली किसी भी इकाई को तुरंत सील कर दिया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अगर वायु गुणवत्ता की स्थिति समान है, तो एक चीज होती है, जिसे न्यायिक मर्यादा कहा जाता है, और जब एक पीठ ने सभी पहलुओं पर विचार कर लिया हो, तो दूसरी पीठ उस पर पुन: निर्णय नहीं ले सकती। प्रधान न्यायाधीश ने यह भी सवाल उठाया कि प्रतिबंध हरियाणा और एनसीआर जिलों के कुछ हिस्सों तक ही क्यों सीमित है। उन्होंने कहा, केवल कुछ जिलों में ही प्रतिबंध क्यों होने चाहिए? क्या यह पूरे हरियाणा राज्य पर लागू नहीं होना चाहिए? Diwali 2025 | Diwali | Diwali Vastu Tips | supreme court