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"सुप्रीम कोर्ट का तंज या सलाह? कहा— नेताओं और जजों की होनी चाहिए मोटी चमड़ी, थरूर के बयान से क्या है PM मोदी का जुड़ाव?" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।दिल्ली की एक अदालत में बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। यह मामला थरूर के एक पुराने बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक टिप्पणी की थी। इस बयान पर शशि थरूर के खिलाफ कार्यवाही रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी बात कह दी। कोर्ट ने कहा कि नेताओं और जजों की चमड़ी मोटी होनी चाहिए। आखिर क्या था यह पूरा मामला और सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के मायने क्या हैं? आइए, इस पर गहराई से जानते हैं।
यह पूरा मामला कांग्रेस नेता शशि थरूर के एक बयान से जुड़ा है। शशि थरूर ने बेंगलुरु लिटरेचर फेस्टिवल में एक कार्यक्रम के दौरान एक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक नेता ने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना 'शिवलिंग पर बैठे बिच्छू' से की थी। इस बयान पर काफी हंगामा हुआ था। इसी बयान के आधार पर बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने दिल्ली की एक अदालत में शशि थरूर के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करवाया। राजीव बब्बर का कहना था कि थरूर ने यह बयान जानबूझकर पीएम मोदी और संघ की छवि खराब करने के लिए दिया है।
हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई
मामले को लेकर शशि थरूर ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रोकने की मांग की थी। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद शशि थरूर ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस.के. कौल की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
'नेताओं और जजों की चमड़ी मोटी होनी चाहिए'
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि नेताओं और जजों को मोटी चमड़ी का होना चाहिए। कोर्ट का यह कहना था कि 'नेता और जज, दोनों को आलोचना झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।' सुप्रीम कोर्ट के इस बयान से यह बात साफ हो गई कि मानहानि जैसे मामलों में नेताओं को ज्यादा संवेदनशील नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कुछ टिप्पणियां तो ऐसे ही हो जाती हैं। हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इस तरह के मामलों में पूरी तरह से बेपरवाह भी नहीं हुआ जा सकता, लेकिन कुछ चीजों को नजरअंदाज करना जरूरी है।
क्या था 'शिवलिंग पर बिच्छू' बयान का सच?
शशि थरूर ने अपने बयान में जिस आरएसएस नेता का जिक्र किया था, वो थे मनमोहन वैद्य। शशि थरूर ने कहा था कि एक आरएसएस नेता ने यह तुलना की थी। हालांकि, मनमोहन वैद्य ने इस बात का खंडन किया था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की। इसके बाद यह मामला और भी गरमा गया था।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी मानहानि के मामलों में एक नया मोड़ ला सकती है। कोर्ट के इस रुख से यह संदेश जाता है कि राजनीतिक आलोचना को व्यक्तिगत मानहानि का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए। नेताओं को आलोचना झेलने की आदत होनी चाहिए, क्योंकि सार्वजनिक जीवन में वे हमेशा लोगों की नजर में रहते हैं। यह टिप्पणी भविष्य में इस तरह के कई मामलों में एक मिसाल बन सकती है। यह दिखाता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानहानि के बीच की रेखा बहुत महीन होती है, जिसे सावधानी से समझा जाना चाहिए।
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