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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन न्यूज। सुप्रीम कोर्ट 15 सितंबर को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर दायर याचिकाओं में अंतरिम राहत को लेकर अपना आदेश सुनाएगा। इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने 22 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
संवैधानिक वैद्यता को दी गई थी चुनौती
इस अधिनियम की संवैधानिक वैद्यता को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई थीं। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि गैर-मुसलमानों को वक्फ बनाने का अधिकार केवल 2013 में दिए गए थे, जबकि 1923 के कानून में यह अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि वक्फ का निर्माण अपरिवर्तनीय होता है और इससे आदिवासी क्षेत्रों की जमीनें प्रभावित हो सकती हैं।
हरियाणा समेत छह राज्यों ने किया समर्थन
हरियाणा सरकार और एक आदिवासी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रणजीत कुमार ने भी संशोधनों का समर्थन किया और उदाहरण दिया कि राजस्थान में खनन के लिए दी गई 500 एकड़ भूमि पर वक्फ का दावा किया गया।छह भाजपा शासित राज्यों ने भी वक्फ संशोधन अधिनियम के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को इस विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसे संसद ने लंबी बहस के बाद पारित किया।
जानें केंद्र सरकार ने क्या कहा
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि यह संशोधन केवल संपत्तियों के प्रबंधन और नियमन से जुड़े हैं, और धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25 और 26) का उल्लंघन नहीं करते। साथ ही, सरकार ने कोर्ट से आग्रह किया कि अधिनियम की किसी भी धारा पर रोक न लगाई जाए।
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