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Tahawwur Rana Extradition: भारत की बड़ी जीत, 16 साल बाद होगा अपराधों का हिसाब

Tahawwur Rana Extradition: अमेरिकी कोर्ट ने मुंबई ताज होटल हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। भारत के लिए यह बड़ी जीत है, क्योंकि भारत लंबे समय से इस मामले में प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था।

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Kamal K Singh
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दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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ट्रंप के आते ही भारत को एक बड़ी खुशखबरी मिलती दिख रही है, अमेरिकी कोर्ट ने मुंबई ताज होटल हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। भारत के लिए यह बड़ी जीत है, क्योंकि भारत लंबे समय से इस मामले में प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। इस मामले पर एक साल से अमेरिकी कोर्ट में केस चल रहा था, हालांकि अमेरिका कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई हार चुका है, जिसके बाद उसके लिए यह आखिरी मौका था, जहां अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

भारत की कोशिशें रंग लाईं

बता दें कि भारत लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण पर विचार कर रहा था। राणा वही शख्स है जिसने 26/11 हमले के मुख्य दोषी डेविड कोलमैन हेडली को आर्थिक मदद मुहैया कराई थी। इस मामले में राणा को 2009 में संघीय पुलिस ने गिरफ्तार किया था। तब से ही भारत और अमेरिका के बीच उसके प्रत्यर्पण को लेकर बातचीत चल रही थी, लेकिन कुछ कानूनी पेचीदगियों के चलते बात नहीं बन पा रही थी। लेकिन भारत सरकार इस मामले पर लगातार दबाव बनाती रही। वहीं, डेनमार्क की अदालत ने राणा को आतंकी संगठन का समर्थन करने के आरोप में दोषी करार देते हुए 14 साल कैद की सजा सुनाई। लेकिन 26/11 मामले में उसे बरी कर दिया गया।

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कौन है राणा?

आपको बता दें कि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी देश का कनाडाई नागरिक है, पाकिस्तान में जन्मा राणा पेशे से डॉक्टर है और पाकिस्तानी सेना में बतौर डॉक्टर काम कर चुका है। राणा को मुंबई हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली का करीबी बताया जाता है। यह भी कहा जाता है कि राणा ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुए नरसंहार के लिए पैसे जुटाए थे।

हालांकि, 2009 में गिरफ्तार होने के बाद अमेरिकी अदालत ने राणा को मुंबई हमले के आरोपों से बरी कर दिया था, लेकिन भारत ने उसे दोषी ठहराने के लिए कूटनीतिक कदम उठाए और उसके प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका से बातचीत जारी रखी। राणा ने 13 नवंबर को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद 21 जनवरी को शीर्ष अदालत ने इसे खारिज कर दिया था।

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