नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
tamil nadu news | tamil nadu news today | तमिलनाडु में स्थित कोयंबटूर के एक सरकारी स्कूल में 8वीं कक्षा की दलित छात्रा के साथ ऐसा बर्ताव किया गया जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। एक वायरल वीडियो ने स्कूल की करतूत उजागर कर दी।
आपको बता दें कि 8वीं की छात्रा को मासिक धर्म (पीरियड्स) के कारण कक्षा से बाहर सीढ़ियों पर बैठाकर परीक्षा दिलाने का मामला सामने आया है। वायरल हुए वीडियो से पोल खुलने के बाद अफसरों ने आनन फानन में स्कूल प्रिंसिपल को निलंबित कर मामले में लीपपोती कर दिया है।
क्या हुआ था?
- 5 अप्रैल को परीक्षा के दौरान छात्रा को पीरियड्स शुरू हो गए।
- हेडमिस्ट्रेस ने उसे क्लास से बाहर सीढ़ियों पर बैठकर पेपर देने को कहा।
- वायरल वीडियो (1.22 मिनट) में छात्रा ने बताया कि उसे पहले भी अलग बैठाया गया था।
स्कूल vs माता-पिता का विवाद
स्कूल का दावा: माता-पिता ने ही बाहर बैठाने की मांग की थी।
मां का जवाब: "मैंने सिर्फ थोड़ा अलग बैठाने को कहा था, बाहर नहीं।"
तमिलनाडु सरकार ने की लीपापोती!
स्कूल शिक्षा मंत्री अनबिल महेश ने कहा – "बच्चों के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रिंसिपल को निलंबित किया गया है।"
जांच शुरू: प्राइवेट स्कूल शिक्षा निदेशक डॉ. एम. पलामीसामी की जांच की जा रही है।
भारत में मासिक धर्म और शिक्षा
2024 में मेन्स्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी लागू हुई, जिसका उद्देश्य पीरियड्स के कारण स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या कम करना है।
2016 की रिपोर्ट: भारत में 25% लड़कियां पीरियड्स के दौरान स्कूल नहीं जाती हैं क्योंकि शौचालय और सैनिटरी नैपकिन की कमी है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
#JusticeForDalitGirl ट्रेंड कर रहा है।
नेटिजन्स ने स्कूल प्रशासन और समाज में फैली मासिक धर्म की गलत धारणाओं की निंदा की।
क्या हो सकता है आगे?
- छात्रा के माता-पिता कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
- स्कूल प्रबंधन पर भेदभाव के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है।
- मेन्स्ट्रुअल हाइजीन को लेकर जागरूकता अभियान तेज किए जाने की मांग उठ रही है।
यह मामला एक बार फिर समाज में मासिक धर्म को लेकर फैली गलतफहमियों और जातिगत भेदभाव को उजागर करता है। सरकार ने कड़ी कार्रवाई का ऐलान किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए शिक्षा व्यवस्था में स्थायी बदलाव किए जाएंगे?
भारत सरकार और शिक्षा मंत्रालय ने मासिक धर्म (पीरियड्स) से जुड़ी स्वच्छता और जागरूकता को लेकर स्कूलों के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यहां मुख्य बिंदु दिए गए हैं...
1. मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM) योजना
- सभी स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता (कई राज्यों में मुफ्त वितरण)।
- शौचालयों में डिस्पोजल सिस्टम और साबुन/पानी की व्यवस्था।
- किशोरियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम (आशा कार्यकर्ताओं द्वारा)।
2. शिक्षा में बदलाव
- सेक्स एजुकेशन को NCERT पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है (कक्षा 6-12 तक)।
- पीरियड्स पर चर्चा को सामान्य बनाने पर जोर, ताकि लड़कियों को शर्मिंदगी न हो।
3. छुट्टी और स्वास्थ्य सुविधाएं
- कुछ राज्यों (जैसे बिहार, केरल) में पीरियड लीव की अनुमति, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर अभी कोई एकरूपता नहीं।
- स्कूल नर्स/काउंसलर की उपलब्धता ताकि आपात स्थिति में मदद मिल सके।
4. 'स्वच्छ विद्यालय' अभियान
- गर्ल्स टॉयलेट अलग और साफ-सुथरे होने चाहिए।
- सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाने के निर्देश (केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता)।
5. शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण
- शिक्षकों को मासिक धर्म संबंधी मिथकों को दूर करने और वैज्ञानिक जानकारी देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
अगर स्कूल नियमों का पालन न करे तो क्या करें?
- प्रिंसिपल/शिक्षा अधिकारी को लिखित शिकायत दें।
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की हेल्पलाइन नंबर 1098 पर संपर्क करें।
सरकार का लक्ष्य है कि कोई भी लड़की पीरियड्स की वजह से स्कूल छूटने न पाए। अधिक जानकारी के लिए मंत्रालय की वेबसाइट देखें।
क्या आपके स्कूल में ये सुविधाएं हैं? कमेंट में बताएं!