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तेलंगाना में भेड़ वितरण घोटाला : क्या 1000 करोड़ का है ये बड़ा खेल? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । तेलंगाना में भेड़ वितरण योजना में हुआ ₹1000 करोड़ का महाघोटाला सामने आया है। आज बुधवार 30 जुलाई 2025 को ईडी ने हैदराबाद में आठ ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की है, जिससे राज्य में हड़कंप मच गया है। जानिए कैसे एक छोटी सी योजना ने लिया इतने बड़े घोटाले का रूप।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तेलंगाना में भेड़ वितरण योजना से जुड़े एक कथित घोटाले के सिलसिले में हैदराबाद में आठ ठिकानों पर अचानक छापेमारी की है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह घोटाला, जो कागजों में अभी ₹2.1 करोड़ का दिख रहा है, वास्तव में ₹1000 करोड़ से भी अधिक का हो सकता है। यह खबर पूरे राज्य में तेजी से फैल रही है और राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।
कैसे सामने आया ये घोटाला?
यह घोटाला तब सामने आया जब कुछ शिकायतकर्ताओं ने योजना में अनियमितताओं का आरोप लगाया। भेड़ वितरण योजना का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और पशुपालकों की आय बढ़ाना था। लेकिन, आरोप है कि कुछ अधिकारियों और बिचौलियों ने मिलकर इस योजना का दुरुपयोग किया और करोड़ों रुपये का गबन किया। ईडी की टीमों ने आज सुबह-सुबह ही विभिन्न स्थानों पर छापा मारा और महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य और बैंक लेनदेन से संबंधित जानकारी खंगाली।
ED तेलंगाना के हैदराबाद में आठ ठिकानों पर #SheepDistributionScam में छापे मार रही है। हालाँकि काग़ज़ों में ये घोटाला अभी सिर्फ ₹2.1 करोड़ का दिख रहा है लेकिन शुरुआती जांच में ये ₹1000 करोड़ का घोटाला है जो पूरे राज्य में फैला है।
— Jitender Sharma (@capt_ivane) July 30, 2025
किन पर है शक की सुई?
इस भेड़ वितरण घोटाला में कुछ सरकारी अधिकारियों और योजना से जुड़े ठेकेदारों के शामिल होने का संदेह है। ईडी को शक है कि जाली दस्तावेज बनाए गए, वास्तविक लाभार्थियों के स्थान पर फर्जी नामों का इस्तेमाल किया गया और भेड़ें वितरित किए बिना ही धनराशि निकाल ली गई। यह एक संगठित अपराध प्रतीत होता है जिसमें कई स्तरों पर मिलीभगत की गई।
- फर्जी लाभार्थियों के नाम पर पैसे की निकासी।
- घटिया गुणवत्ता वाली भेड़ों की खरीद या बिना खरीद के ही भुगतान।
- योजना के फंड का निजी लाभ के लिए उपयोग।
₹1000 करोड़ का आंकड़ा क्यों चौंका रहा है?
ईडी के सूत्रों के मुताबिक, कागजों पर भले ही ₹2.1 करोड़ का मामला दिख रहा है, लेकिन यह तो बस हिमखंड का सिरा है। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, घोटाले का आकार लगातार बढ़ रहा है और अब यह ₹1000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। यह राशि इस बात का प्रमाण है कि भेड़ वितरण घोटाला कितना व्यापक है और इसमें कितनी बड़ी संख्या में लोग शामिल हो सकते हैं। यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार किस कदर जड़ों तक फैला हुआ है।
राजनीतिक असर और आगे की जांच
इस छापेमारी से तेलंगाना की राजनीति में तूफान आ गया है। विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं और इस भेड़ वितरण घोटाला की उच्च-स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। ईडी का यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश देता है। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां और खुलासे होने की उम्मीद है। ईडी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से भी जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि गबन की गई राशि का उपयोग कहां किया गया। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह जांच आगे चलकर और किन बड़े नामों को सामने लाती है।
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