वकील को कोर्ट का अफसर माना जाता है। लेकिन वो कोर्ट से ऊपर नहीं होता। एक एडवोकेट ऐसा भी है जो 15 सालों से अदालतों की आंखों में धूल झोंकता रहा। तमाम जजों के सामने उसने तमाम केसों की पैरवी करी पर कोई भी उसके फर्जीवाड़े को नहीं पकड़ सका। आखिरकार वो हाईकोर्ट के हत्थे चढ़ गया।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हाईकोर्ट ने श्रीनगर के एक वकील का नामांकन रद्द कर दिया है। यह पाया गया कि उसने 15 साल से अधिक समय तक वकालत करने के लिए कानून की फर्जी डिग्री का इस्तेमाल किया था।
बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक 13 मई 2025 की एक अधिसूचना के अनुसार जाली कानून की डिग्री रखने के कारण एडवोकेट सज्जाद अहमद शाह का नाम जम्मू-कश्मीर बार काउंसिल की सूची से हटा दिया गया है। हाईकोर्ट की अधिसूचना में कहा गया है कि एडवोकेट सज्जाद अहमद शाह का नाम फर्जी और जाली एलएलबी डिग्री रखने के कारण जम्मू-कश्मीर बार काउंसिल की सूची से हटा दिया गया है।
जुलाई 2009 से कर रहा था प्रैक्टिस
सज्जाद अहमद शाह 17 जुलाई 2009 को वकील के रूप में इनरोल हुआ था। 2010 में जम्मू और कश्मीर बार काउंसिल ने उसके नामांकन को मंजूरी दी थी। तब से वो अलग अलग अदालतों में पेश हो रहा था। लेकिन कोई भी उसका फर्जीवाड़ा नहीं पकड़ सका। हाईकोर्ट की प्रवेश और नामांकन समिति की जांच में पता चला कि उनकी कानून की डिग्री असली नहीं थी। समिति ने 29 अप्रैल 2025 को शाह के नामांकन को शून्य और अमान्य घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था।
जजों की निगाहों से बचा, हाईकोर्ट की समिति ने पकड़ा
13 मई को हाईकोर्ट ने एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर पुष्टि की कि शाह का नाम बार काउंसिल के रजिस्टर से स्थायी रूप से हटा दिया गया है। हाईकोर्ट इस मामले से किस कदर खफा था कि आदेश दिया गया है कि वकील के फर्जीवाड़े और हाईकोर्ट की कार्रवाई के नोटिफिकेशन को पब्लिक डोमेन में लगाया जाए, जिससे फिर से कोई इस तरह की हिमाकत न कर सके। हालांकि इस बात को लेकर कोई आदेश हाईकोर्ट ने जारी नहीं किया है कि एडवोकेट के खिलाफ कोई मामला चलाया जाएगा या नहीं।
Jammu & Kashmir, High Court, High Court disbars lawyer, Fake law degree