Advertisment

the golconda blue प्रतिष्ठित भारतीय शाही हीरा पहली बार होगा नीलाम

भारत की शाही विरासत का दुर्लभ ‘द गोलकोंडा ब्लू’ हीरा 14 मई को जिनेवा में क्रिस्टी के ‘मैग्नीफिसेंट ज्वेल्स’ नीलामी में पहली बार नीलाम किया जाएगा। ‘द गोलकोंडा ब्लू’ किसी जमाने में इंदौर और बड़ौदा के महाराजाओं के पास हुआ करता था।

author-image
Ranjana Sharma
the golconda blue diamond
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भारत की शाही विरासत का दुर्लभ ‘द गोलकोंडा ब्लू’ हीरा 14 मई को जिनेवा में क्रिस्टी के ‘मैग्नीफिसेंट ज्वेल्स’ नीलामी में पहली बार नीलाम किया जाएगा। ‘द गोलकोंडा ब्लू’ किसी जमाने में इंदौर और बड़ौदा के महाराजाओं के पास हुआ करता था। इस 23.24 कैरेट के चमकीले नीले हीरे की अनुमानित कीमत 300 से 430 करोड़ रुपये के बीच बताई जा रही है। इस ऐतिहासिक हीरे को पेरिस के मशहूर डिजाइनर जेएआर ने एक आकर्षक आधुनिक अंगूठी में जड़ा है। एक बयान के मुताबिक, “” इस तरह के असाधारण रत्न जीवन में एक बार ही बाजार में आते हैं।

Advertisment

दुनिया के दुलर्भ हीरे में से एक है द गोलकोंडा ब्लू’ हीरा

क्रिस्टी को अपने 259 वर्ष के इतिहास में दुनिया के सबसे अनूठे आर्चड्यूक जोसेफ, प्रिंसी और विटल्सबैक सहित गोलकोंडा हीरे को लोगों के सामने पेश करने का सम्मान मिला है। क्रिस्टी ज्वेल्स के अंतरराष्ट्रीय आभूषण प्रमुख राहुल कडाकिया ने एक बयान में बताया क‍ि अपनी शाही विरासत, असाधारण रंग और असाधारण आकार की वजह से ‘द गोलकोंडा ब्लू’ वास्तव में दुनिया के सबसे दुर्लभ नीले हीरों में से एक है।” उन्होंने बताया, “अब तक खोजे गए सबसे महत्वपूर्ण और दुर्लभ नीले हीरों में से एक के रूप में प्रशंसित ‘द गोलकोंडा ब्लू’ हीरे की नीलामी भारतीय दर्शकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका सीधा संबंध भारतीय राजघरानों से है।

कभी इंदौर के राजा के पास था यह हीरा

Advertisment

इसकी (नीले हीरे की) उत्पत्ति वर्तमान तेलंगाना की प्रसिद्ध गोलकोंडा खदानों से हुई है, जो दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित हीरे उत्पन्न करने के लिए प्रसिद्ध है।” बयान के अनुसार ‘द गोलकोंडा ब्लू’ नाम से मशहूर यह हीरा कभी इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय का हुआ करता था, जो 1920 और 30 के दशक के दौरान अपने महानगरीय जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध एक आधुनिक सम्राट थे। बयान में बताया गया कि 1923 में महाराजा के पिता ने फ्रांसीसी घराने चौमेट से इस असाधारण नीले हीरे से युक्त एक कंगन बनवाया था। इससे पहले उन्होंने उसी जौहरी से प्रसिद्ध ‘इंदौर पीयर्स’( दो महत्वपूर्ण गोलकोंडा हीरे) खरीदे थे। एक दशक बाद महाराजा ने मौबौसिन को अपना आधिकारिक जौहरी नियुक्त किया, जिन्होंने शाही संग्रह को फिर से डिज़ाइन किया और 'द गोलकोंडा ब्लू' को प्रसिद्ध ‘इंदौर पीयर’ हीरे के साथ एक आकर्षक हार में जड़ा।

इंदौर की महारानी के च‍ित्र में हार है च‍ित्रित

फ्रांसीसी चित्रकार बर्नार्ड बाउटेट डी मोनवेल ने इंदौर की महारानी के एक चित्र में इस हार को चित्रित कर इसे अमर कर दिया गया। 1947 में, ‘द गोलकोंडा ब्लू’ को न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध जौहरी हैरी विंस्टन ने खरीदा, जिन्होंने इसे, इसके ही आकार के सफ़ेद हीरे के साथ एक ब्रोच में जड़ा। बाद में वह ब्रोच बड़ौदा के महाराजा के पास पहुंचा। इस तरह ‘द गोलकोंडा ब्लू’ निजी हाथों में जाने से पहले भारत के शाही वंश से होते हुए आगे बढ़ा। जिनेवा के ‘फोर सीजन्स होटल डेस बर्गेस’ में नीलामी होगी।

Advertisment
Advertisment