नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: चुनावों से जुड़े रिकॉर्ड रखने की अवधि को 1 साल से घटाकर महज 45 दिन किए जाने को लेकर देश की चुनावी प्रणाली और लोकतंत्र पर एक नई बहस छिड़ गई है। इस पर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी और चुनाव आयोग तीखा हमला बोला। उन्होंने पीएम मोदी के साथ चुनाव आयोग को पर लोकतंत्र की शक्ति छीनने का आरोप लगाया। विपक्ष और कई संगठनों ने इस फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है।
चुनाव रिकॉर्ड की अवधि घटाई
चुनाव आयोग ने राज्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि चुनावों के दौरान बनाए गए वीडियो और तस्वीरों को अब केवल 45 दिन तक ही सुरक्षित रखा जाए। यदि इस अवधि में कोई कानूनी याचिका दायर नहीं होती तो इन्हें डिलीट कर दिया जाएगा। पहले ये रिकॉर्ड 1 साल तक संरक्षित रहते थे जिससे भविष्य में किसी भी अनियमितता की जांच संभव हो पाती थी। इस कदम को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि यह लोकतंत्र को कमजोर करने और जनता की निगरानी की शक्ति को सीमित करने का सीधा प्रयास है। पीएम मोदी लोकतंत्र का जनाजा निकाल ही रहे हैं, लेकिन अगर कोई उनके इस पाप में सबसे ज़्यादा बढ़ चढ़कर काम कर रहा है तो वह चुनाव आयोग है।
चुनाव आयोग पर उठे सवाल
सुप्रीया श्रीनेत ने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका केवल निष्पक्ष चुनाव कराना नहीं, बल्कि चुनाव प्रणाली में जनता का विश्वास बनाए रखना भी है और यह फैसला उस भरोसे को गहरी चोट पहुंचाता है। विपक्ष ने इसे गैरलोकतांत्रिक और खतरनाक कदम बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की है। पिछले साल दिसंबर में भी चुनाव आयोग पर सवाल उठे थे जब महज 24 घंटे में नियम बदलकर चुनावी दस्तावेज और वीडियो रिकॉर्डिंग जनता की पहुंच से बाहर कर दी गई थी।