नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार-प्रसार में तमाम राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हैं, और नेताओं द्वारा जनता से अपने पक्ष में मतदान की अपील की जा रही है। इस चुनाव में एक प्रमुख सीट कालकाजी विधानसभा पर दिलचस्प मुकाबला हो रहा है। आम आदमी पार्टी से मुख्यमंत्री आतिशी, भाजपा से रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस से अलका लांबा ने चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई है। हालांकि, इस बार कालकाजी विधानसभा में एक नया नाम भी जुड़ गया है, जो चर्चा का विषय बन गया है। ट्रांसजेंडर उम्मीदवार राजन सिंह ने इस सीट से चुनाव में उतकर मुकाबला और भी दिलचस्प बना दिया है। राजन सिंह ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कई सालों से आवाज उठा रहे हैं, और उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम अब चुनावी मैदान में नजर आ रहा है।
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ट्रांसजेंडर उम्मीदवार की पदयात्रा
राजन सिंह ने गोविंदपुरी इलाके में पैदल पदयात्रा की। इस पदयात्रा में राजन सिंह ने अपने हाथ में बैट बल्ला पकड़ा और स्थानीय जनता से मुलाकात की। पदयात्रा के दौरान उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय की समस्याओं को उजागर किया और उनसे समर्थन की अपील की। इस मौके पर उनके साथ कुछ ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य, महिला एडवोकेट और युवा कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
ट्रांसजेंडर समुदाय को पहचान दिलवाना उद्देश्य
राजन सिंह का कहना है कि वे रोजाना लोगों के बीच जा रहे हैं, और उन्हें जनता से भरपूर समर्थन मिल रहा है। उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग शौचालय, पोलिंग बूथ पर अलग लाइन, और अन्य बुनियादी सुविधाओं की मांग की है। उनका उद्देश्य इस चुनाव के माध्यम से ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को मजबूती से उठाना है और समाज में उनकी अहमियत को पहचान दिलवाना है।
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70 सीटों में त्रिकोणीय मुकाबला
दिल्ली में 5 फरवरी को होने वाले चुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है. पिछले 10 सालों से अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में है लेकिन, इस बार 70 सीटों में से ज़्यादातर पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, जो केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकता है।
1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर रही भाजपा राष्ट्रीय राजधानी में फिर से सत्ता हासिल करने के लिए पुरज़ोर कोशिश कर रही है. हालांकि, पार्टी पिछले 27 सालों से शहर के राजनीतिक परिदृश्य में अपना दबदबा कायम करने के लिए संघर्ष कर रही है। इस लड़ाई में कांग्रेस तीसरे नंबर पर है. पार्टी ने 2013 में केजरीवाल के हाथों सत्ता खो दी थी और तब से दिल्ली की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है। इस चुनाव में कांग्रेस अपनी खोई हुई ज़मीन वापस पाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है।