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High Court का गौहत्या के आरोपी को राहत देने से इंकार, कहा- भारत में गाय का विशेष दर्जा

अदालत ने कहा कि भारत में गाय की विशिष्ट स्थिति है। यह न्यायालय इस तथ्य से आंखें नहीं फेर सकता कि कुछ कृत्य सार्वजनिक शांति पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।

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Shailendra Gautam
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः  पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि गौहत्या का अपराध भावनात्मक और सांस्कृतिक पहलुओं से जुड़ा है, क्योंकि भारतीय समाज में इस पशु का एक विशिष्ट स्थान है। आसिफ बनाम हरियाणा के मामले में जस्टिस ने ये टिप्पणी की।

जस्टिस संदीप मौदगिल ने गौहत्या के एक मामले में आरोपी एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता, आसिफ उन लोगों में शामिल था जिन पर हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गोसंवर्धन अधिनियम और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का उल्लंघन करते हुए दो गायों को वध के लिए राजस्थान ले जाने का आरोप था। अदालत ने उसे राहत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उस पर कानून की अवहेलना करते हुए गोहत्या में शामिल होने का आरोप है।

हाईकोर्ट ने कहा- गाय की समाज में विशेष जगह

अदालत ने कहा कि भारत में गाय की विशिष्ट स्थिति है। यह न्यायालय इस तथ्य से आंखें नहीं फेर सकता कि कुछ कृत्य सार्वजनिक शांति पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि अभियुक्त पहले भी इसी तरह के अपराधों में शामिल रहा है।

याचिकाकर्ता है आदतन अपराधी, राहत नहीं मिलेगी

अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता आदतन अपराधी है। उस पर पहले भी इसी तरह के तीन मामले दर्ज हैं। उन मामलों में, याचिकाकर्ता को को जमानत दी गई थी, लेकिन उसका सम्मान करने के बजाय दुरुपयोग किया गया। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 482 के तहत गिरफ्तारी से सुरक्षा आदतन अपराधियों को कानूनी प्रक्रिया से बचाने के लिए नहीं है।

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अदालत की टिप्पणी थी कि अग्रिम जमानत एक राहत है, जिसका उद्देश्य निर्दोष व्यक्तियों को गिरफ्तारी से बचाना है, न कि उन लोगों को पनाह देना जो आदतन अपराधी हैं। अदालत ने अभियुक्त को राहत देने से इनकार करते हुए आदेश दिया- याचिकाकर्ता के भविष्य में इसी तरह की गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने या जांच में गड़बड़ी करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए, वर्तमान याचिका खारिज किए जाने योग्य है।

Cow slaughter, accused of cow slaughter, Punjab and Haryana High Court | न्याय/कोर्ट 

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