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रतन टाटा के शेयरों को लेकर मचा था हंगामा, अदालत ने निकाला ये रास्ता

बाम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा के वो शेयर जिनका उनकी वसीयत में स्पष्ट रूप से जिक्र नहीं किया गया था, चेरिटेबल संस्थाओं रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट के बीच समान रूप से वितरित किए जाने चाहिए।

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Shailendra Gautam
RATAN TATA 500 CRORE

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कःअक्टूबर 2024 में जब बिजलेस टाइकून रतन टाटा की मृत्यु हुई तो उसके बाद उनके कुछ शेयर्स को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। उनके परिवार के लोग अपने अपने तरीके से शेयर्स पर दावा कर रहे थे। मामला बाम्बे हाईकोर्ट तक जा पहुंचा। फिलहाल हाईकोर्ट ने जो रास्ता सुझाया है वो मामले को अदालत ले जाने वाले लोगों को रास नहीं आने वाला, क्योंकि जो फैसला दिया गया है उसमें उनके हाथ कुछ नहीं लगने जा रहा। 

बाम्बे हाईकोर्ट ने विवाद का किया ऐसे समाधान

लाइवलॉ की रिपोर्ट के अनुसार, बाम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा के वो शेयर जिनका उनकी वसीयत में स्पष्ट रूप से जिक्र नहीं किया गया था, चेरिटेबल संस्थाओं रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट के बीच समान रूप से वितरित किए जाने चाहिए। अक्टूबर 2024 में रतन टाटा की मृत्यु के बाद वसीयत बनाने वालों ने लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयरों के मुद्दे पर स्पष्टता की मांग करते हुए बॉम्बे HC का दरवाजा खटखटाया था। ये शेयर उनकी पूरी वसीयत में किसी को नहीं सौंपे गए थे। 

फरवरी 2022 में रतन टाटा ने तैयार कराई थी पहली वसीयत

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मूल वसीयत फरवरी 2022 में तैयार की गई थी। इसे चार बार संशोधित किया गया था। आखिरी संशोधन 22 दिसंबर 2023 को किया गया था। वसीयत के मुताबिक टाटा की बहनों शेरीन जीजीभॉय और दीना जीजीभॉय के साथ एक करीबी सहयोगी मोहिनी एम दत्ता को उनकी संपत्ति में से हिस्सा दिया गया था। लेकिन काफी सारे लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयरों को लेकर वसीयत में कुछ भी नहीं कहा गया था। इनको लेकर ही कानूनी लड़ाई चल रही थी। 

जस्टिस बोले- जो शेयर किसी को नहीं मिले वो चेरिटी में जाएंगे

जस्टिस मनीष पिटाले कहा कि वसीयत में पहले संशोधन के अनुसार वसीयत बनाने वाले का इरादा था कि अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को चेरिटी के लिए उपलब्ध कराया जाए। अदालत ने माना कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 के तहत वसीयत में कोडिसिल या संशोधन को वसीयत का हिस्सा माना जाता है। लिहाजा कोडिसिल मान्य होगा। पिटाले ने कहा कि यह माना जाना चाहिए कि दिवंगत रतन टाटा के वो शेयर जो वसीयत में कहीं और शामिल नहीं हैं, उनकी संपत्ति के शेष और अवशेष का हिस्सा हैं, जिन्हें टाटा की चेरिटेबल संस्थाओं को दिया जाना है।

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टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष और कारोबारी जगत की एक अहम शख्सियत दिवंगत रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को गुजरात के नवसारी में हुआ था। वो टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे और उन्होंने समूह को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया। अपने व्यावसायिक कौशल से परे रतन टाटा अपने परोपकारी दृष्टिकोण के लिए भी मशहूर थे। भारतीय उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें 2000 में पद्म भूषण और 2004 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। रतन टाटा ने कभी भी शादी नहीं की थी, जिसके चलते उनकी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उनकी बहनों और एक सहयोगी को मिला था। 

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