नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
यह सोचकर ही कलेजा कांप उठता है कि आने वाले 20 सालों में हमारे देश के कई राज्य एक ऐसी त्रासदी का सामना करने वाले हैं, जिसकी कल्पना भी मुश्किल है, वह है दुल्हनों की किल्लत।
आज, जब हम सुनते हैं कि हर 1000 लड़कों पर केवल 950-960 लड़कियां जन्म ले रही हैं, तो यह एक मामूली सा आंकड़ा लग सकता है। लेकिन, इसकी गहराई में झांकें तो रूह कांप जाती है।
इसका सीधा अर्थ है कि 2035 से 2040 तक, लाखों युवा पुरुष अपनी दुल्हनियां पाने के लिए तरस जाएंगे, उनकी शादियों की उम्मीदें धुंधली पड़ जाएंगी।
सोचिए, उन बेटों के बारे में जो आज किलकारियां भर रहे हैं, कल वे युवा होंगे, उनके मन में भी घर बसाने के सपने पलेंगे। लेकिन नियति ने उनके लिए एक ऐसा क्रूर खेल रच दिया है, जहां उन्हें चाहकर भी अपना जीवनसाथी नहीं मिलेगा। उनकी आंखों में सजे सपने, समाज के इस कड़वे सच के आगे टूटकर बिखर जाएंगे।
और उन राज्यों का क्या, जहां हालात और भी बदतर हैं ?
हरियाणा, पंजाब और राजस्थान... यहां तो हर 1000 लड़कों पर सिर्फ 880-900 लड़कियां ही हैं। यह एक ऐसा गहरा घाव है जो हमारे समाज के ताने-बाने को छलनी कर देगा। जब ये लड़के बड़े होंगे, शादी की उम्र में पहुंचेंगे, तो उनके सामने एक भयावह प्रश्नचिह्न खड़ा होगा– क्या उन्हें कभी अपनी दुल्हन मिल पाएगी ? क्या वे कभी उस खुशी को महसूस कर पाएंगे जो एक परिवार बनाता है ?
कल्पना कीजिए उस अकेलेपन की, उस निराशा की जो इन लाखों युवाओं के दिलों में घर कर जाएगी। समाज में एक अजीब सी बेचैनी, एक खालीपन छा जाएगा।
परिवार टूटेंगे, रिश्ते बिखरेंगे, और एक ऐसी पीढ़ी तैयार होगी जो अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण सुख से वंचित रह जाएगी। यह सिर्फ दुल्हनों की किल्लत नहीं होगी, यह रिश्तों की किल्लत होगी, खुशियों की किल्लत होगी, और सबसे बढ़कर, एक पूरे भविष्य की किल्लत होगी।
यह सोचकर ही मन उदासी से भर जाता है कि हमारे अपने ही देश में, हमारे अपने ही बच्चे इस दर्दनाक सच्चाई का सामना करने वाले हैं।
भारत में लिंगानुपात: कौन से राज्य पीछे, कौन आगे?
आज भी हमारे देश में हर 1000 लड़कों पर सिर्फ 950 लड़कियां जन्म लेती हैं। यह आंकड़ा हमें बताता है कि अभी भी भारत में लिंगानुपात (सेक्स रेशियो) एक बड़ी समस्या है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यह आंकड़ा 943 था जो अब थोड़ा सुधरकर 950-960 तक पहुंच गया है। लेकिन क्या यह सुधार पर्याप्त है?
राज्यों की रैंकिंग: किसने किया बेहतर?
टॉप 5 राज्य (सबसे अच्छा लिंगानुपात)
केरल: 1086 (हर 1000 पुरुषों पर 1086 महिलाएं)
तमिलनाडु: 998
आंध्र प्रदेश: 995
छत्तीसगढ़: 985
ओडिशा: 979
5 राज्य (सबसे खराब हालत)
हरियाणा: 883
पंजाब: 898
जम्मू-कश्मीर: 892
दिल्ली: 871
चंडीगढ़: 818
ऐसा क्यों हो रहा? 5 मुख्य वजहें
"बेटा ही घर का चिराग" वाली सोच: आज भी कई परिवार लड़के को ही वंश समझते हैं। हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में यह सोच बहुत गहरी है।
अल्ट्रासाउंड का गलत इस्तेमाल: कई डॉक्टर गुपचुप तरीके से गर्भ में बच्चे का लिंग बताकर लड़की होने पर गर्भपात करा देते हैं।
लड़कियों को कम खाना-दवा: कुछ परिवार लड़कों को बेहतर खाना और इलाज देते हैं, जबकि लड़कियों को कम देखभाल मिलती है।
कम उम्र में शादी और जल्दी गर्भावस्था: बाल विवाह के कारण कम उम्र की लड़कियों को गर्भावस्था में दिक्कतें आती हैं।
लड़कियों की पढ़ाई पर कम खर्च: शिक्षा न मिलने से लड़कियां आगे नहीं बढ़ पातीं और उनकी सेहत भी खराब रहती है।
क्या हो रहा है सुधार के लिए ?
सरकारी योजनाएं
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: लड़कियों के जन्म पर पैसा और पढ़ाई में मदद।
सुकन्या समृद्धि योजना: लड़कियों के लिए बचत खाता जिसमें ज्यादा ब्याज मिलता है।
कानून सख्ती: लिंग जांच पर पूरी तरह से रोक।
समाज की भूमिका
- केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने दिखाया है कि जब महिलाएँ पढ़-लिख जाती हैं तो हालात बदलते हैं।
- पंचायतों में महिलाओं को 50% आरक्षण देने से भी सोच बदली है।
आप क्या कर सकते हैं ?
- अगर आपको पता चले कि कोई लिंग जांच करवा रहा है तो पुलिस को खबर करें। (हेल्पलाइन नंबर: 1091)
- अपने आस-पास लड़कियों की पढ़ाई को प्रोत्साहित करें।
- बेटा-बेटी में भेद न करें, दोनों को समान अवसर दें।
अभी लंबा सफर बाकी है...
हालांकि स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है, लेकिन हरियाणा, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में अभी बहुत काम करने की जरूरत है। जब तक हर भारतीय बेटे और बेटी को समान नहीं समझेगा, तब तक यह समस्या पूरी तरह दूर नहीं होगी।
क्या आप जानते हैं? अगर लिंगानुपात ठीक हो जाए तो महिला सुरक्षा, शिक्षा और रोजगार के मामले में भारत तरक्की कर सकता है!