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सत्ता का संघर्ष : चुनाव आयोग के बाहर प्रदर्शन, अब TMC नेताओं को मिली 'राहत'! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।आज गुरूवार 10 जुलाई 2025 को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने अप्रैल 2024 में चुनाव आयोग के बाहर प्रदर्शन के मामले में TMC सांसद डेरेक ओ'ब्रायन सहित सभी 10 लोगों को बरी कर दिया है। यह फैसला तृणमूल कांग्रेस के लिए बड़ी राहत है, खासकर तब जब वे इस मामले में चार्जशीटेड थे।
लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण अधिकार है। लेकिन जब यह प्रदर्शन किसी सरकारी संस्था, खासकर चुनाव आयोग, के बाहर हो तो सवाल उठना स्वाभाविक है। अप्रैल 2024 में हुए इस घटनाक्रम ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। TMC नेताओं पर आरोप था कि उन्होंने चुनाव आयोग के बाहर प्रदर्शन कर नियमों का उल्लंघन किया।
इस मामले में डेरेक ओ'ब्रायन, नदीमुल हक, डोला सेन, साकेत गोखले, सागरिका घोष, विवेक गुप्ता, अर्पिता घोष, डॉ. शांतनु सेन, अबीर रंजन बिस्वास और सुदीप राहा जैसे बड़े नाम शामिल थे, जिन्हें कोर्ट ने समन भेजा था। अब इन सभी को बरी कर दिया गया है। यह फैसला कई सवाल खड़े करता है।
The court had issued summons to leaders Derek O Brien, Mohd. Nadimul Haque, Dola Sen, Saket Gokhle, Sagarika Ghosh, Vivek Gupta, Arpita Ghosh, Dr. Santanu Sen, Abir Ranjan Bishwas, Sudip Raha in case related to protest outside Election Commission of India on April 8, 2024.
— ANI (@ANI) July 10, 2025
TMC के लिए संजीवनी, विरोधियों के लिए 'झटका'?
राउज एवेन्यू कोर्ट का यह फैसला तृणमूल कांग्रेस के लिए निश्चित रूप से एक बड़ी जीत है। खासकर तब, जब पश्चिम बंगाल में राजनीतिक माहौल हमेशा गरमाया रहता है। यह फैसला पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाएगा और उन्हें भविष्य के लिए नई ऊर्जा देगा। वहीं, विपक्षी दलों के लिए यह एक झटका हो सकता है, जो इस मामले को लेकर TMC पर हमलावर थे। यह फैसला दर्शाता है कि भारतीय न्यायपालिका कितनी स्वतंत्र और निष्पक्ष है, जहां आरोपों के आधार पर नहीं, बल्कि सबूतों और कानून के दायरे में रहकर ही निर्णय लिए जाते हैं।
एक बड़ी राहत: TMC नेताओं को मिली क्लीन चिट।
राजनीतिक गलियारों में हलचल: फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज।
विरोध का अधिकार: लोकतंत्र में इसके मायने पर नई बहस।
चार्जशीट से लेकर बरी होने तक का सफर: एक कानूनी लड़ाई
यह मामला कोई छोटा-मोटा नहीं था। चुनाव आयोग जैसी महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था के बाहर प्रदर्शन करना एक गंभीर आरोप था। पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल की थी, जिसमें इन सभी TMC नेताओं के नाम शामिल थे। इसका मतलब था कि पुलिस को उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत मिले थे। लेकिन कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद और उपलब्ध सबूतों के आधार पर उन्हें बरी कर दिया। यह न्यायिक प्रक्रिया की खासियत है, जहां आरोप लगना एक बात है और साबित होना दूसरी। इस पूरे घटनाक्रम ने भारतीय न्याय प्रणाली की पेचीदगियों और ताकत को उजागर किया है।
इस फैसले के बाद TMC निश्चित रूप से इसे अपनी नैतिक जीत के रूप में पेश करेगी। पश्चिम बंगाल में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव हों या पंचायत चुनाव, यह फैसला पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है। वे इसे 'लोकतंत्र की आवाज़ दबाने की कोशिश' और 'न्याय की जीत' के रूप में भुना सकते हैं। वहीं, विपक्षी दल इस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे। कुछ लोग इसे 'साक्ष्यों की कमी' के रूप में देखेंगे, तो कुछ 'राजनीतिक दबाव' का आरोप भी लगा सकते हैं। कुल मिलाकर, यह फैसला भारतीय राजनीति में विरोध प्रदर्शनों की प्रकृति और उनके कानूनी निहितार्थों पर एक नई बहस छेड़ सकता है।
सियासी दांवपेंच: फैसले के बाद राजनीतिक पार्टियों की रणनीति बदलेगी।
जनता की राय: लोग इस फैसले को कैसे देखते हैं, यह भी महत्वपूर्ण।
विरोध प्रदर्शनों का भविष्य क्या होगा?
यह मामला सिर्फ TMC नेताओं के बरी होने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र में असहमति के अधिकार और उसके दायरे को भी परिभाषित करता है। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है कि लोग अपनी बात रख सकें, लेकिन नियमों और कानूनों का पालन करते हुए। राउज एवेन्यू कोर्ट का यह फैसला इस संतुलन को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि न्यायपालिका हमेशा निष्पक्षता के साथ काम करती है और हर किसी को अपनी बात रखने का मौका देती है।
चुनाव आयोग जैसे संवेदनशील संस्थानों के बाहर प्रदर्शन हमेशा बहस का विषय रहा है। क्या ऐसे प्रदर्शनों पर कोई विशेष नियम होने चाहिए? क्या राजनीतिक दलों को अपनी बात रखने के लिए विकल्प दिए जाने चाहिए जो कानून के दायरे में हों? इन सवालों पर विचार करना महत्वपूर्ण है ताकि विरोध प्रदर्शनों का उद्देश्य भी पूरा हो और कानून व्यवस्था भी बनी रहे। यह फैसला आने वाले समय में ऐसे ही मामलों के लिए एक नजीर बन सकता है।
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