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दुखद हादसा: सियाचिन बेस कैंप के समीप एवलांच, दो अग्निवीर समेत सेना के तीन जवान शहीद

 दुनिया के सबसे ऊंचे वारफील्ड कहे जाने वाले लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन की की चपेट में आकर भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए। इस क्षेत्र का तापमान माइनल 60 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।

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Mukesh Pandit
Army Jawan martyred

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दुनियाके सबसे ऊंचे वारफील्ड कहे जाने वाले लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन की की चपेट में आकर भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए। इस क्षेत्र का तापमान माइनल 60 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। यह हादसा मंगलवार को उस समय हआ, जब सेना के जवान क्षेत्र में पेट्रोलिंग कर रहे थे, उसी वक्त एवलांच आ गया और तीनों उसकी चपेट में आ गए। इनमें दो अग्निवीर हैं।

पांच जवानों को बचाने के लिए रेस्क्यू अभियान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तीनों जवान महार रेजीमेंट से थे। इनमें एक गुजरात, एक झारखंड और एक जवान उत्तर प्रदेशका रहने वाला था। बताया जा रहा है कि पांच अन्य जवान बर्फ में फंसे हुए हैं, जिनके बचाव के लिए सेना का व्यापक  रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए लेह और उधमपुर से भी सेन्य मदद ली जा रही है। इस क्षेत्र में बर्फीले तूफान आना आम बात है। भारतीय सेना के जवान यहां बेहद खतरनाक और प्रतिकूल वातावरण में देश की सेवा में चौबीस घंटे सजग रहते हैं। 

दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र

सियाचिन ग्लोशियर, जो कराकोरम पूर्वत शृंखला में 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस बार बर्फीला तूफान करीब 12000 फीट की ऊंचाई पर आया है। सियासिन ग्लेशिय़र में पहले भी इस तरह की दुखद घटनाएं हो चुकी है। कहा जाता है कि वर्। 1984 के आपरेशन मेघदूत से लेकर अब तक 1000 से अधिक सैनिकों की यह बर्फीली पहाड़ियां जान ले चुकी हैं।इन पहाड़ियों को मौत का सफेद कुआं कहा जाता है।  Siachen avalanche 2025 | indian army | Indian Army bravery 

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