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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर हम पर्यावरण को बचाने की बात करते हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग और बढ़ती जनसंख्या के साथ ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि धरती को सुरक्षित रखने के लिए ऊर्जा की खपत को कम करना जरूरी है, लेकिन यह आसान नहीं है।
लेकिन क्या हो अगर आपके रोजमर्रा के काम ही ऊर्जा पैदा करने लगें? आपके चलने, शहर के शोर, या घर की दीवारों से बिजली बनने लगे। आइए जानते हैं ऐसी 5 अनोखी तकनीकों के बारे में जो पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ ऊर्जा का नया स्रोत बन सकती हैं।
1. शोर से बिजली उत्पादन
शहरों में शोर एक बड़ी समस्या है। उदाहरण के लिए, न्यूयॉर्क जैसे शहरों में औसतन 70 डेसिबल का शोर रहता है, जो काफी तेज है। वैज्ञानिक अब इस शोर को बिजली में बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं।
कैसे काम करता है?
इसके लिए पीजोइलेक्ट्रिक तकनीक का उपयोग होता है। यह ऐसी सामग्री का इस्तेमाल करती है जो दबाव या कंपन से बिजली पैदा कर सकती है, जैसे क्वार्ट्ज क्रिस्टल या विशेष पॉलिमर। एक खास डिवाइस 100 डेसिबल के शोर से 10-50 माइक्रोवाट/वर्ग सेंटीमीटर बिजली बना सकती है।
कहां हो रहा है काम?
ऑस्ट्रेलिया: डीकिन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक खास नैनोफाइबर झिल्ली बनाई है जो कम-मध्यम आवृत्ति (100-500 Hz) के शोर को बिजली में बदल सकती है। इसकी छोटी सी झिल्ली (3×4 सेमी) 58 वोल्ट और 210 माइक्रोवाट बिजली पैदा कर सकती है, जो 30 से ज्यादा LED लाइट्स को जला सकती है।
फिलीपींस: 2019 में फिलीपीन साइंस हाई स्कूल के छात्रों ने S-लाइट नामक डिवाइस बनाई, जो शोर को बिजली में बदलकर पावर बैंक चार्ज कर सकती है। इस आविष्कार को मलेशिया के यंग इन्वेंटर्स चैलेंज में रजत पुरस्कार मिला।
चुनौतियां: यह तकनीक अभी प्रारंभिक चरण में है। शोर की ऊर्जा घनत्व कम होने के कारण बड़े पैमाने पर बिजली बनाना मुश्किल है। साथ ही, शोर की मात्रा हर जगह एकसमान नहीं होती, जिससे स्थिर बिजली उत्पादन चुनौतीपूर्ण है।
2. आपके कदमों से बनेगी बिजली
कल्पना करें कि आप सड़क पर चल रहे हैं और आपके हर कदम से बिजली पैदा हो रही है। इसके लिए स्मार्ट टाइल्स बनाई गई हैं, जो पीजोइलेक्ट्रिक तकनीक पर काम करती हैं और पैरों के दबाव से बिजली उत्पन्न करती हैं।
कहां हो रहा है काम?
यूनाइटेड किंगडम: Pavegen नामक कंपनी ने लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर स्मार्ट टाइल्स लगाईं। ये टाइल्स एक कदम से 7 वाट बिजली बना सकती हैं और 10 लाख कदमों तक टिकाऊ हैं। 2019 में इन टाइल्स ने हवाई अड्डे की 10% डिस्प्ले लाइटिंग को पावर दी। यह कंपनी अब 37 देशों में अपनी टाइल्स स्थापित कर चुकी है।
जापान: टोक्यो स्टेशन पर 2006-2008 के दौरान स्मार्ट टाइल्स का परीक्षण किया गया। हालांकि, यह प्रयोग ज्यादा सफल नहीं रहा क्योंकि जापानी लोगों के औसत वजन और कदमों से कम बिजली बन पाई, और टाइल्स का रखरखाव महंगा था।
3. कंक्रीट की गर्मी से बिजली
शहरों में कंक्रीट की इमारतें गर्मी सोखती हैं और उसे पर्यावरण में छोड़ती हैं, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ता है। लेकिन अब इस गर्मी को बिजली में बदला जा सकता है।
कहां हो रहा है काम?
जापान: क्यूशू यूनिवर्सिटी ने 2024 में एक थर्मोइलेक्ट्रिक जेनरेटर (TEG) बनाया जो कमरे के तापमान पर गर्मी और कंपन से बिजली पैदा करता है। एक 1x1 मीटर पैनल 10-20 वाट बिजली बना सकता है।
भारत: IIT मंडी ने 2023 में एक लचीला TEG प्रोटोटाइप विकसित किया जो मानव शरीर की गर्मी से बिजली बनाता है। यह इयरबड्स और स्मार्टवॉच जैसे छोटे उपकरणों को चार्ज कर सकता है।
4. सोलर पेंट से दीवारें बनेंगी पावरहाउस
सोलर पैनल्स अब आम हो रहे हैं, लेकिन क्या हो अगर आपके घर का पेंट ही बिजली पैदा करे?
कहां हो रहा है काम?
ऑस्ट्रेलिया: RMIT यूनिवर्सिटी ने 2017 में एक सोलर पेंट विकसित किया। यह पेंट हवा की नमी को सोखता है और सौर ऊर्जा की मदद से उसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ता है। फिर हाइड्रोजन से बिजली बनाई जाती है। इसकी लागत सोलर पैनल्स से 40% कम है।
5. सीवेज से बिजली और स्वच्छ पानी
भारत में हर साल 70 अरब लीटर सीवेज उत्पन्न होता है। अब इस गंदे पानी को बिजली और स्वच्छ पानी में बदला जा सकता है। माइक्रोबियल फ्यूल सेल्स (MFCs) तकनीक बैक्टीरिया की मदद से जैविक कचरे से बिजली बनाती है।
कहां हो रहा है काम?
अमेरिका: पेन स्टेट यूनिवर्सिटी की लोगन लैब में 2004 से MFC पर काम हो रहा है। उनकी तकनीक 1 लाख लोगों के कचरे से 51 किलोवाट बिजली बना सकती है। साथ ही, यह पानी को 70-90% तक साफ भी करता है।
फायदे: यह तकनीक न केवल बिजली बनाती है, बल्कि पानी को साफ करके पर्यावरण को भी बचाती है।
इन पांच आविष्कारों से न केवल ऊर्जा की बचत होगी, बल्कि धरती को ग्लोबल वॉर्मिंग से बचाने में भी मदद मिलेगी। ये तकनीकें भविष्य में हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन सकती हैं।