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Trump के H-1B VISA नियमों के बीच इस दिग्गज US कंपनी की बड़ी भविष्यवाणी! भारतीय IT सेक्टर में बढ़ी हलचल

अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज की रिपोर्ट ने भारतीय आईटी सेक्टर को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। ट्रंप की वापसी और एच-1बी वीज़ा नियमों के बावजूद टीसीएस, इनफोसिस जैसी कंपनियां मजबूती से खड़ी हैं। जानें कैसे Indian IT कंपनियां अवसर में बदल सकती हैं।

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Ajit Kumar Pandey
Trump के H-1B VISA नियमों के बीच इस दिग्गज US कंपनी की बड़ी भविष्यवाणी! भारतीय IT सेक्टर में बढ़ी हलचल | यंग भारत न्यूज

Trump के H-1B VISA नियमों के बीच इस दिग्गज US कंपनी की बड़ी भविष्यवाणी! भारतीय IT सेक्टर में बढ़ी हलचल | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।अमेरिका में होने वाले संभावित सत्ता परिवर्तन और नए एच-1बी वीज़ा नियमों को लेकर भारतीय आईटी सेक्टर में हलचल मची हुई है। एक तरफ जहां कुछ एक्सपर्ट्स इन नियमों को बड़ी चुनौती मान रहे हैं, वहीं दिग्गज अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का मानना है कि भारतीय आईटी कंपनियां इस बदलाव का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनकी रिपोर्ट बताती है कि कुछ चुनिंदा कंपनियां, खासकर टीसीएस और इंफोसिस, इन चुनौतियों को अवसर में बदल सकती हैं। 

अमेरिकी दिग्गज कंपनी जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय आईटी सेक्टर के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार है और यहां से होने वाली कमाई में एच-1बी वीज़ा पर काम करने वाले प्रोफेशनल्स का बड़ा योगदान है।

ट्रंप प्रशासन के संभावित वापसी के साथ ही एच-1बी वीज़ा पर 100,000 डॉलर का नया शुल्क लगने से चिंताएं बढ़ गई हैं। लेकिन जेफरीज की रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि आईटी कंपनियों के पास इस बदलाव को समझने और अपनी रणनीति को बदलने के लिए 4-5 साल का समय है। इस बीच, कंपनियां अपनी परिचालन मॉडल में बदलाव करके इस चुनौती से निपट सकती हैं। 

टीका और इंफोसिस: क्यों हैं जेफरीज के पसंदीदा? 

जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में टीसीएस और इंफोसिस को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। 

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टीसीएस: ब्रोकरेज ने टीसीएस को ‘होल्ड’ रेटिंग दी है और 12 महीने का लक्ष्य 3,230 रूपए रखा है। उनका मानना है कि कंपनी का मजबूत मॉडल और वैश्विक उपस्थिति इसे इस चुनौती से बचाने में मदद करेगी। 

इंफोसिस: इंफोसिस के लिए जेफरीज ने 1,750 रूपए का लक्ष्य रखा है, जो मौजूदा स्तर से करीब 13% ज्यादा है। हालांकि, इंफोसिस के पास एच-1बी वीज़ा पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है, फिर भी कंपनी की फ्लेक्सिबल कार्यशैली और क्लाइंट-फोकस्ड रणनीति इसे मजबूती देगी। 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एचसीएल टेक्नोलॉजीज भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। ब्रोकरेज ने इस कंपनी के लिए भी ‘खरीद’ की सलाह दी है और 1,680 रूपए का लक्ष्य निर्धारित किया है। 

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क्या भारतीय कंपनियों की कमाई पर पड़ेगा असर? 

यह सच है कि नए नियमों से कंपनियों की लागत बढ़ सकती है। एक ऑनसाइट कर्मचारी से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा नए शुल्क में चला जाएगा, जिससे लाभ पर कुछ असर पड़ सकता है। जेफरीज का अनुमान है कि मुनाफा 4% से 13% तक कम हो सकता है। लेकिन यह भी एक अवसर है। कंपनियां अब विदेशी कर्मचारियों पर अपनी निर्भरता कम करके स्थानीय हायरिंग, मेक्सिको या कनाडा जैसे देशों से हायरिंग और भारत से ही काम करने (ऑफशोर मॉडल) पर जोर दे सकती हैं। 

यह न केवल लागत कम करेगा, बल्कि एक अधिक लचीला और मजबूत बिजनेस मॉडल भी तैयार करेगा। 

भविष्य की राह: चुनौती या बदलाव का मौका? 

ट्रंप की नीतियों और नए नियमों को केवल एक चुनौती के रूप में देखना सही नहीं होगा। यह भारतीय आईटी सेक्टर के लिए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने और एक नए, टिकाऊ मॉडल को अपनाने का मौका है। ऑटोमेशन और एआई जैसी नई टेक्नोलॉजी भी कंपनियों को कम कर्मचारियों के साथ भी ज्यादा उत्पादकता हासिल करने में मदद करेंगी। 

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भारतीय आईटी कंपनियां इस बदलाव के लिए तैयार हैं और जेफरीज जैसे बड़े फर्मों का उन पर विश्वास भारतीय टेक सेक्टर की मजबूती को दर्शाता है। 

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