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Trump-Munir लंच पर थरूर का तीखा तंज: "खाना अच्छा हो और आतंक पर मिले सीख!"

शशि थरूर ने ट्रंप-मुनीर लंच पर कसा तंज, बोले- "उम्मीद है खाना अच्छा हो और पाकिस्तान को आतंक पर सीख मिले।" उन्होंने अमेरिका से पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आग्रह किया।

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Ajit Kumar Pandey
SHASHI THAROOR CONGRESS LEADER

Trump-Munir लंच पर थरूर का तीखा तंज: "खाना अच्छा हो और आतंक पर मिले सीख!" | यंग भारत न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को लंच पर बुलाए जाने पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि "उम्मीद है खाना अच्छा रहा होगा और उन्हें कुछ सोचने के लिए भी मिला होगा।" आज गुरूवार 19 जून 2025 को शशि थरूर ने इस मुलाकात पर चिंता व्यक्त करते हुए साफ संदेश दिया कि अमेरिका को पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने और आतंकियों को पनाह न देने की सख्त हिदायत देनी चाहिए। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत लगातार सीमा पार आतंकवाद को लेकर वैश्विक मंच पर अपनी चिंताएं जाहिर कर रहा है।

ट्रंप के दावत पर थरूर का वार : क्या पाकिस्तान को मिलेगी आतंक पर सीख?

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन पर आमंत्रित किया। यह खबर सामने आते ही भारत में राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा होने लगी, खासकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बयान के बाद। थरूर, जो अपनी मुखर राय और कूटनीतिक समझ के लिए जाने जाते हैं, ने इस मुलाकात पर अपनी प्रतिक्रिया में गहरा व्यंग्य और चिंता दोनों जाहिर की।

थरूर ने कहा कि उन्हें इस बैठक के परिणामों के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन उन्हें यह ज़रूर पता चला है कि "व्हाइट हाउस के अनुसार, इस जनरल (असीम मुनीर) ने कथित तौर पर कहा था कि राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) को नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए और उन्हें इसके बदले में लंच मिला।" थरूर का यह बयान सीधे तौर पर इस मुलाकात के पीछे के संभावित उद्देश्य पर सवाल उठाता है। क्या यह वास्तव में कूटनीतिक बैठक थी या फिर एक "पुरस्कार" स्वरूप किया गया आमंत्रण?

भोजन अच्छा रहा होगा...

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कांग्रेस सांसद ने अपनी बात जारी रखते हुए उम्मीद जताई कि "भोजन अच्छा रहा होगा और इस प्रक्रिया में उन्हें कुछ सोचने के लिए भी मिला होगा।" यहां 'सोचने के लिए' का सीधा अर्थ पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को दिए जा रहे समर्थन और आतंकियों को पनाहगाह मुहैया कराने की उसकी नीति से है। थरूर ने साफ शब्दों में कहा, "मैं उम्मीद करूंगा कि अमेरिकियों के साथ इन मुलाकातों में उन्हें पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन न करने, आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान न करने, हमारे देश में आतंकवादियों को सक्षम बनाने, मार्गदर्शन करने, प्रशिक्षित करने, हथियार देने, वित्तपोषण करने, सुसज्जित करने और भेजने के महान महत्व की भी याद दिलाई जाए।"

यह बयान भारत की उस निरंतर मांग को दोहराता है जिसमें वह चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का दबाव डाले। भारत हमेशा से ही पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद का जनक मानता रहा है और विभिन्न वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को उठाता रहा है। थरूर का बयान इस बात पर ज़ोर देता है कि अमेरिका को अपनी कूटनीति में भारत की सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाना चाहिए।

नहीं आया पाकिस्तान की ओर से कोई बयान

इस मुलाकात के बाद से अमेरिका या पाकिस्तान की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है कि बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा हुई। हालांकि, थरूर के बयान ने निश्चित तौर पर इस मुलाकात के राजनीतिक और कूटनीतिक निहितार्थों पर बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में अमेरिका-पाकिस्तान संबंध किस दिशा में जाते हैं और क्या अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने का दबाव बना पाएगा।

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भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करता रहे और सुनिश्चित करे कि कोई भी देश, खासकर अमेरिका, पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में आतंकवाद के मुद्दे पर नरमी न बरते। शशि थरूर का यह बयान इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल भारत की चिंताओं को उजागर करता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इस गंभीर मुद्दे पर सोचने पर मजबूर करता है।

क्या आप इससे सहमत हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ और दबाव बनाना चाहिए? कमेंट करें। 

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