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Tihar Jail में ब्रिटिश टीम का 'सीक्रेट' दौरा, क्या भगोड़े माल्या-नीरव की वापसी तय? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भगोड़े आर्थिक अपराधियों को वापस लाने के भारतीय प्रयासों को बड़ी कामयाबी मिल सकती है। ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस की एक टीम ने दिल्ली की तिहाड़ जेल का दौरा किया है। यह दौरा विशेष रूप से विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे हाई-प्रोफाइल भगोड़ों के भारत यूके प्रत्यर्पण को सुनिश्चित करने के लिए किया गया। इस निरीक्षण का मकसद ब्रिटिश अदालतों को यह भरोसा दिलाना है कि तिहाड़ जेल में प्रत्यर्पित आरोपियों के लिए सुरक्षित और मानवीय माहौल मौजूद है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, भारत सरकार लंबे समय से विजय माल्या, नीरव मोदी और हथियार कारोबारी संजय भंडारी जैसे कई भगोड़ों को वापस लाने की कोशिश कर रही है। ये सभी आरोपी भारत के बैंकों और सरकारी खजाने को भारी चूना लगाकर विदेश भाग गए हैं। इनमें से अधिकतर ब्रिटेन में शरण लिए हुए हैं।
हालांकि, ब्रिटेन की अदालतों में भारत की प्रत्यर्पण याचिकाएं कई बार इस आधार पर खारिज कर दी गईं कि भारतीय जेलों खासकर तिहाड़ में मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है और यहां आरोपियों के साथ दुर्व्यवहार की आशंका है। इसी चुनौती को पार करने के लिए यह दौरा आयोजित किया गया।
तिहाड़ जेल के सूत्रों के मुताबिक, ब्रिटिश टीम ने जेल की हाई-सिक्योरिटी विंग्स का बारीकी से मुआयना किया। उन्होंने वहां की सुविधाओं, सुरक्षा व्यवस्था और कैदियों के रहने की स्थिति का जायजा लिया।
तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिया 'सुरक्षा' का भरोसा
ब्रिटिश अधिकारियों के सामने तिहाड़ जेल प्रशासन ने अपनी सुविधाओं का पूरा खाका पेश किया। उन्हें बताया गया कि अगर हाई-प्रोफाइल आरोपियों को यहां प्रत्यर्पित किया जाता है तो उनके लिए जेल परिसर में एक विशेष एन्क्लेव बनाया जाएगा। इस एन्क्लेव में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सभी सुविधाएं होंगी, ताकि उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य का खास ख्याल रखा जा सके।
जेल अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी आरोपी के साथ कोई दुर्व्यवहार या गैरकानूनी पूछताछ नहीं होगी। इस दौरान ब्रिटिश टीम ने जेल में बंद कुछ कैदियों से भी बातचीत की, जिससे उन्हें जेल के वास्तविक हालात का प्रत्यक्ष अनुभव मिला।
लंबित मामलों पर क्या होगा असर?
यह दौरा भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। फिलहाल, भारत के करीब 178 प्रत्यर्पण अनुरोध विभिन्न देशों में लंबित हैं, जिनमें से 20 से ज्यादा मामले केवल ब्रिटेन में अटके हुए हैं। इनमें विजय माल्या, नीरव मोदी के अलावा संजय भंडारी और कुछ खालिस्तानी नेताओं के नाम भी शामिल हैं। अगर ब्रिटिश टीम इस दौरे से संतुष्ट होती है और अपनी रिपोर्ट में तिहाड़ की स्थितियों को सकारात्मक बताती है, तो यह रिपोर्ट ब्रिटिश अदालतों में भारत के पक्ष को मजबूती देगी। इससे माल्या और मोदी जैसे भगोड़ों की कानूनी लड़ाई कमजोर पड़ सकती है और उनकी वापसी का रास्ता खुल सकता है।
विजय माल्या: किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप है। 2016 में वह भारत छोड़कर ब्रिटेन भाग गए थे।
नीरव मोदी: पंजाब नेशनल बैंक में करीब 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोपी हैं। वह 2018 में देश छोड़कर फरार हो गए थे।
इस दौरे ने यह साफ कर दिया है कि भारत सरकार अब इन भगोड़ों को वापस लाने के लिए कूटनीतिक और कानूनी, दोनों स्तरों पर पूरी ताकत लगा रही है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि ब्रिटिश टीम की रिपोर्ट क्या कहती है और क्या लंबे समय से इंतजार कर रहे ये मामले आखिरकार निर्णायक मोड़ पर पहुंच पाएंगे।
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