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Ludhiana के परिणाम से समझिए कि कैसे Punjab में फेल हो गई मोदी की रणनीति

जब लोकसभा चुनाव 2024 हुए तो उससे कुछ पहले ही सुनील जाखड़ को बीजेपी में लाकर पंजाब का अध्यक्ष बना दिया गया। चुनाव से ऐन पहले पीएम मोदी ने रवनीत सिंह बिट्टू को बीजेपी में बुला लिया। हार के बाद भी मोदी ने बिट्टू को मंत्री बनाया था।

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Shailendra Gautam
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प्रतीकात्‍मक Photograph: (सोशल मीडिया)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः  लुधियाना उप चुनाव के नतीजे से आम आदमी पार्टी को संजीवनी मिली। दिल्ली में हार के बाद सबकी नजर इस बात पर थी कि पंजाब के चुनाव में केजरीवाल क्या गुल खिलाते हैं। वो जीते तो उनका कद भी ऊंचा हुआ। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लिए परिणाम अच्छे नहीं रहे। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने पंजाब को लेकर अपनी एक रणनीति तैयार की थी, जिसका दारोमदार कांग्रेस से बीजेपी में लाए गए सुनील जाखड़, रवनीत सिंह बिट्टू पर था। लेकिन नतीजा देखकर लगता है कि रणनीति फेल हो गई।

सुनील जाखड़ और रवनीत बिट्टू को कांग्रेस से बीजेपी में लाए थे मोदी

दरअसल जब लोकसभा चुनाव 2024 हुए तो उससे कुछ पहले ही सुनील जाखड़ को बीजेपी में लाकर पंजाब का अध्यक्ष बना दिया गया। सुनील कांग्रेसी दिग्गज बलराम जाखड़ के बेटे हैं। उनकी सफ सुथरी छवि से बीजेपी को लगता था कि वो पार्टी को नया आधार प्रदान करेंगे। चुनाव से ऐन पहले पीएम मोदी ने रवनीत सिंह बिट्टू को बीजेपी में बुला लिया। मोदी ने जिस तरह से चुनाव प्रचार के दौरान बिट्टू की तारीफ की उससे लगने लगा था कि लुधियाना से जीत के बाद बिट्टू को मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि बिट्टू हार गए पर फिर भी मोदी ने उनको अपनी कैबिनेट में शामिल करके रेल राज्य मंत्री बना दिया। मोदी का मानना था कि पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह का लाड़ला बेटा बीजेपी को पंजाब में नए सिरे से खड़ कर ले जाएगा। 

बिट्टू के लिए लिटमस टेस्ट की तरह से था लुधियाना उपचुनाव

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लुधियाना का उप चुनाव बिट्टू के लिए लिटमस टेस्ट की तरह से था, क्योंकि वो यहां से सांसद रह चुके हैं। माना जा रहा था कि बिट्टू अपने दम पर बीजेपी को जिता ले जाएंगे। लड़ाई त्रिकोणीय मानी जा रही थी पर जब ईवीएम खुलीं तो बीजेपी को मुंह दिखाना भारी पड़ गया। बीजेपी के प्रत्याशी जीवन गुप्ता तीसरे नंबर पर थे। उनको कुल 22.54 फीसदी वोट मिले। बिट्टू के लिए सबसे उलझन वाली बात ये थी कि उनके मंत्री बनने के बाद भी लुधियाना के लोग बीजेपी से दूर चले गए। 2022 के चुनाव में बीजेपी को इस सीट से 23.95 फीसदी वोट मिले थे। 

वोट शेयर गिरा तो बीजेपी नेता बनाने लग पड़े बहाने

फिलहाल पंजाब बीजेपी के नेता हार पर अपनी अपनी तरह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ कहते हैं कि पंजाब के प्रभारी विजय रूपाणी की प्लेन क्रैश में हुई मौत ने वर्कर्स पर असर डाला तो सुनील जाखड़ कहते हैं कि नामांकन दाखिल करने से 1 दिन पहले जीवन गुप्ता के नाम की घोषणा हुई थी। जाखड़ कहते हैं कि प्रचार के लिए पार्टी को महज 13 दिन ही मिल सके। हालांकि बीजेपी को इस बात पर संतोष है कि वो अकाली दल से आगे निकल गई। ध्यान रहे कि पंजाब में बीजेपी अकाली गठजोड़ बेहद मजबूत माना जाता था लेकिन किसान आंदोलन के दौरान अकाली दल ने बीजेपी से अपना पल्ला झाड़ लिया। उसके बाद दोनों अलग-अलग हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ गठजोड़ किया था। Ludhiana Election Analysis bjp 

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