नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court ) की एक टिप्पणी को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी का बयान सामने आया है। अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की उस व्यवस्था में हस्तक्षेप करना चाहिए। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी लड़की के निजी अंग को पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना, दुष्कर्म या दुष्कर्म का प्रयास नहीं है, बल्कि यह यौन उत्पीड़न के कम गंभीर आरोप के अंतर्गत आता है।
समाज में ऐसे फैसलों के लिए जगह नहीं- अन्नपूर्णा देवी
अन्नपूर्णा देवी ने संसद परिसर के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वह फैसले से ‘‘पूरी तरह असहमत’’ हैं और उन्होंने उच्चतम न्यायालय से मामले का संज्ञान लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस फैसले के पूरी तरह खिलाफ हूं और उच्चतम न्यायालय को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। सभ्य समाज में इस तरह के फैसले के लिए कोई जगह नहीं है।’’ मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने फैसले के व्यापक निहितार्थों पर भी चिंता व्यक्त की और आगाह किया कि इससे समाज में गलत संदेश जा सकता है। केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि कहीं न कहीं इसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और हम इस मामले पर आगे चर्चा करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज में 11 वर्षीय लड़की से जुड़ा है, जिस पर 2021 में दो लोगों - पवन और आकाश ने हमला किया था। दाखिल आवेदन में आरोप लगाया गया था कि लड़की जब अपनी मां के साथ जा रही थी, इस दौरान गांव के ही रहने वाले तीन लोगों ने रास्ते में मोटरसाइकिल रोक दी और लड़की के निजी अंग को पकड़ा। बच्ची को खींचकर पुलिया के नीचे ले जाने का प्रयास किया तथा उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया। इसके अनुसार लड़की चीखने लगी और चीख सुनकर दो व्यक्ति वहां पहुंचे, जिसके बाद आरोपियों ने उन्हें तमंचा दिखाकर जान से मारने की धमकी दी और मौके से भाग गए थे। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि ये अटेंप्ट टू रेप का मामला नहीं है।
'ये Rape का प्रयास नहीं', इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी पर भड़कीं केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी
दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक टिप्पणी को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी का बयान सामने आया है।
नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court ) की एक टिप्पणी को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी का बयान सामने आया है। अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की उस व्यवस्था में हस्तक्षेप करना चाहिए। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी लड़की के निजी अंग को पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना, दुष्कर्म या दुष्कर्म का प्रयास नहीं है, बल्कि यह यौन उत्पीड़न के कम गंभीर आरोप के अंतर्गत आता है।
समाज में ऐसे फैसलों के लिए जगह नहीं- अन्नपूर्णा देवी
अन्नपूर्णा देवी ने संसद परिसर के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वह फैसले से ‘‘पूरी तरह असहमत’’ हैं और उन्होंने उच्चतम न्यायालय से मामले का संज्ञान लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस फैसले के पूरी तरह खिलाफ हूं और उच्चतम न्यायालय को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। सभ्य समाज में इस तरह के फैसले के लिए कोई जगह नहीं है।’’ मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने फैसले के व्यापक निहितार्थों पर भी चिंता व्यक्त की और आगाह किया कि इससे समाज में गलत संदेश जा सकता है। केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि कहीं न कहीं इसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और हम इस मामले पर आगे चर्चा करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज में 11 वर्षीय लड़की से जुड़ा है, जिस पर 2021 में दो लोगों - पवन और आकाश ने हमला किया था। दाखिल आवेदन में आरोप लगाया गया था कि लड़की जब अपनी मां के साथ जा रही थी, इस दौरान गांव के ही रहने वाले तीन लोगों ने रास्ते में मोटरसाइकिल रोक दी और लड़की के निजी अंग को पकड़ा। बच्ची को खींचकर पुलिया के नीचे ले जाने का प्रयास किया तथा उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया। इसके अनुसार लड़की चीखने लगी और चीख सुनकर दो व्यक्ति वहां पहुंचे, जिसके बाद आरोपियों ने उन्हें तमंचा दिखाकर जान से मारने की धमकी दी और मौके से भाग गए थे। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि ये अटेंप्ट टू रेप का मामला नहीं है।