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UP-MP ने चौंकाया! कैसे 'बीमारू' राज्य बने आर्थिक महाशक्ति? CAG ने अपनी रिपोर्ट में बताया | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की हालिया रिपोर्ट ने एक दशक के वित्तीय प्रदर्शन का विश्लेषण करते हुए एक ऐसी कहानी बयां की है जो कई धारणाओं को तोड़ती है। यह रिपोर्ट बताती है कि कभी 'बीमारू' समझे जाने वाले राज्य जैसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश अब अतिरिक्त आय वाले राज्यों की सूची में शामिल हो गए हैं।
टाइम्स आफ इंडिया के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश ने अकेले 37,000 करोड़ रूपए का रिकॉर्ड अतिरिक्त आय दर्ज किया जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि एक राज्य की बदलती किस्मत और मजबूत होते आर्थिक आधार का प्रमाण है।
CAG की यह रिपोर्ट सिर्फ चौंकाने वाली नहीं है बल्कि प्रेरणादायक भी है। लंबे समय तक, उत्तर प्रदेश को वित्तीय पिछड़ापन, कम विकास दर और कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण 'बीमारू' राज्यों की श्रेणी में रखा जाता था। लेकिन अब यह राज्य अपनी आर्थिक सेहत सुधारते हुए एक मजबूत वित्तीय स्थिति में आ गया है।
37,000 करोड़ रूपए का भारी-भरकम अतिरिक्त आय इस बात का सबूत है कि सही नीतियां और बेहतर वित्तीय प्रबंधन किसी भी राज्य की कायापलट कर सकता है।
कुछ यही कहानी मध्य प्रदेश की भी है। मध्य प्रदेश भी अतिरिक्त आय वाले राज्यों की सूची में शामिल होकर यह साबित करता है कि आर्थिक सुधार सिर्फ नामुमकिन नहीं, बल्कि एक ठोस रणनीति और दूरदर्शिता के साथ संभव है।
अतिरिक्त आय: कौन-कौन से राज्य चमके?
CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 में कुल 16 राज्यों ने अतिरिक्त आय दर्ज किया है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अलावा इस सूची में शामिल अन्य प्रमुख राज्य हैं:
- गुजरात: 19,865 करोड़
- ओडिशा: 19,456 करोड़
- झारखंड: 13,564 करोड़
- कर्नाटक: 13,496 करोड़
- छत्तीसगढ़: 8,592 करोड़
- तेलंगाना: 5,944 करोड़
- उत्तराखंड: 5,310 करोड़
- गोवा: 2,399 करोड़
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर के राज्य भी इस सूची में शामिल हैं।
यह दर्शाती है कि देश के हर कोने में वित्तीय सुधारों की हवा चल रही है।
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कर्ज का जाल: कौन से राज्य जूझ रहे हैं?
जहां कुछ राज्यों ने अपनी वित्तीय स्थिति सुधारी है तो वहीं 12 राज्य अभी भी राजस्व घाटे से जूझ रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि, यह राज्य अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी केंद्र सरकार से मिलने वाले अनुदान पर निर्भर हो रहे हैं। इन राज्यों में शामिल हैं:
- आंध्र प्रदेश: -43,488 करोड़
- तमिलनाडु: -36,215 करोड़
- राजस्थान: -31,491 करोड़
- पश्चिम बंगाल: -27,295 करोड़
- पंजाब: -26,045 करोड़
- हरियाणा: -17,212 करोड़
- बिहार: -11,288 करोड़
- केरल: -9,226 करोड़
इनमें से पश्चिम बंगाल, केरल, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे राज्य अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र से मिलने वाले राजस्व घाटा अनुदान पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। यह एक अलार्मिंग स्थिति है, जो इन राज्यों के लिए दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता पर सवाल खड़े करती है।
आत्मनिर्भरता की दौड़: किसने अपने दम पर कमाई?
CAG रिपोर्ट का एक और दिलचस्प पहलू यह है कि कुछ राज्यों ने अपने दम पर राजस्व जुटाने में शानदार प्रदर्शन किया है।
हरियाणा इस मामले में सबसे आगे है जहां कुल राजस्व का 80% से अधिक हिस्सा राज्य के अपने कर और गैर-कर स्रोतों से आता है। इसके बाद तेलंगाना (79%), महाराष्ट्र (73%), गुजरात (72%), कर्नाटक (69%), और तमिलनाडु (69%) आते हैं।
इसके विपरीत, बिहार, हिमाचल प्रदेश और कई पूर्वोत्तर राज्यों में यह आंकड़ा 40% से भी कम है, जो केंद्र पर उनकी भारी निर्भरता को दर्शाता है।
राज्यों की कमाई के मुख्य स्रोत क्या हैं?
राज्यों के लिए राजस्व जुटाने के मुख्य स्रोत में कई महत्वपूर्ण चीजें शामिल हैं:
राज्य वस्तु एवं सेवा कर: जीएसटी के लागू होने के बाद यह राज्यों के लिए एक बड़ा और स्थिर राजस्व स्रोत बन गया है।
वैट: विशेषकर पेट्रोल, डीजल और शराब पर। आबकारी शुल्क: शराब पर लगने वाला शुल्क राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण कमाई का जरिया है।
CAG रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था की जटिलताओं और विभिन्न राज्यों के अलग-अलग वित्तीय मार्गों को दिखाती है। यह पॉलिसीमेकर के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ बिंदु है जो राज्यों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनाने में मदद करेगा।
CAG की रिपोर्ट ने भारतीय राज्यों की वित्तीय स्थिति की एक चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है। कभी आर्थिक रूप से पिछड़े माने जाने वाले यूपी और एमपी जैसे राज्यों ने भारी राजस्व अधिशेष दर्ज कर सबको चौंका दिया है, जबकि कई संपन्न माने जाने वाले राज्य अभी भी घाटे में चल रहे हैं।
यह रिपोर्ट राज्यों के लिए वित्तीय आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बहुत बड़ा सबक है।
CAG Report 2023 | State Revenue Surplus | UP MP Fiscal Rise | India State Deficit