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US Tariff War के बीच पुतिन का India को बड़ा तोहफ़ा

अमेरिका के टैरिफ दबाव के बीच, रूस भारत को सस्ते कच्चे तेल पर और ज़्यादा रियायत देने जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब यूराल क्रूड ब्रेंट क्रूड से 3-4 डॉलर सस्ता होगा। दोनों देश एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई बढ़ाने पर भी बात कर रहे हैं।

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Ajit Kumar Pandey
US Tariff War के बीच पुतिन का India को बड़ा तोहफ़ा | यंग भारत न्यूज

US Tariff War के बीच पुतिन का India को बड़ा तोहफ़ा | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत और रूस के बीच बढ़ते आर्थिक और सामरिक संबंध एक नए मोड़ पर आ गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस भारत को कच्चे तेल पर और ज़्यादा रियायतें देने जा रहा है। साथ ही, दोनों देश एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई बढ़ाने पर भी बात कर रहे हैं। अमेरिकी टैरिफ के दबाव के बीच, पुतिन का यह कदम भारत के लिए एक बड़ा तोहफा माना जा रहा है, जो न सिर्फ आर्थिक राहत देगा, बल्कि देश की सुरक्षा को भी मज़बूत करेगा। यह खबर सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामरिक महत्व भी रखती है। भारत और रूस के बीच यह साझेदारी ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर टैरिफ लगा रहा है। 

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया, जिसमें से 25% रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए था। अमेरिका का आरोप है कि इस खरीद से यूक्रेन युद्ध को वित्तीय मदद मिल रही है। लेकिन, अब रूस से मिल रही नई रियायत भारत के लिए एक बड़ी राहत बनकर आई है। 

रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूराल क्रूड अब ब्रेंट क्रूड की तुलना में 3-4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता हो सकता है। यह छूट बीते हफ़्ते 2.50 डॉलर और जुलाई में केवल 1 डॉलर प्रति बैरल थी। इस बढ़ी हुई छूट से भारत पर पड़ रहा आर्थिक दबाव कम होगा और देश का काफी पैसा बचेगा।

क्यों बढ़ रही है रूस से तेल की खरीद? महीने दर महीने, भारत की रूस से तेल खरीद में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है। सितंबर में यह खरीद अगस्त के मुकाबले 10-20% तक बढ़ गई थी, जिसका मतलब है कि भारत ने 1.50 लाख से 3 लाख बैरल की अतिरिक्त खरीद की थी। अब जब और ज़्यादा छूट मिल रही है, तो यह आंकड़ा और भी तेज़ी से बढ़ेगा। यह दिखाता है कि भारत अमेरिका के दबाव के बावजूद अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता दे रहा है।

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भारत की आसमान पर अभेद्य ढाल आर्थिक साझेदारी के अलावा, भारत और रूस अपनी सैन्य साझेदारी को भी मज़बूत कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों देशों के बीच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई बढ़ाने को लेकर बातचीत चल रही है। 

साल 2018 में हुई 5.5 डॉलर अरब की डील के तहत, भारत को पांच में से तीन सिस्टम मिल चुके हैं और बाकी दो 2026-27 तक मिलने की उम्मीद है। लेकिन अब यह बात सामने आ रही है कि भारत और एस-400 खरीदने पर विचार कर रहा है। 

रूस की फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कॉपरेशन के मुखिया दिमित्री सुगायेव ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि दोनों देश सहयोग बढ़ाने पर बात कर रहे हैं। यह सिस्टम कितना ख़तरनाक है, इसका अंदाजा "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान शानदार क्षमता का प्रदर्शन किया था। 

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इस सिस्टम की वजह से भारतीय एयर डिफेंस इतनी मज़बूत हो गई थी कि पाकिस्तान के लड़ाकू विमान कोई दुस्साहस नहीं कर सके। यही वजह है कि भारत अब और ज़्यादा एस-400 सिस्टम अपनी सेना में शामिल करना चाहता है ताकि देश की हवाई सुरक्षा को और भी अभेद्य बनाया जा सके।

क्या यह अमेरिका के लिए एक चुनौती है? 

रूस के साथ भारत की बढ़ती निकटता अमेरिका के लिए चिंता का सबब बन सकती है। अमेरिका लगातार भारत को रूस से दूर रहने और उसके प्रतिबंधों का पालन करने का दबाव बना रहा है। लेकिन, भारत अपनी विदेश नीति में स्वतंत्रता बनाए रखने पर ज़ोर देता है। यह कदम दिखाता है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में झुकने को तैयार नहीं है। भारत के लिए यह एक रणनीतिक जीत है। 

एक तरफ, उसे सस्ते कच्चे तेल से आर्थिक राहत मिल रही है, वहीं दूसरी तरफ एस-400 जैसे अत्याधुनिक हथियार से उसकी सैन्य ताकत बढ़ रही है। यह सब एक ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया में भू-राजनीतिक समीकरण तेज़ी से बदल रहे हैं। भारत और रूस के बीच यह रिश्ता और गहरा होता दिख रहा है। सस्ते तेल और आधुनिक हथियारों की डील न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था को गति देगी, बल्कि इसकी सुरक्षा को भी मजबूत करेगी। 

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सवाल यह है कि क्या अमेरिका इस पर कोई और सख्त कदम उठाएगा, या फिर भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता को स्वीकार करेगा? यह देखने वाली बात होगी कि यह 'दोस्ती' आने वाले समय में वैश्विक राजनीति पर क्या असर डालती है।

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