भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा भ्रष्टाचार मामले में तीन तीन सदस्यीय इन हाउस कमेटी की जांच पर सवाल उठाए। धनखड़ ने कहा कि जांच रिपोर्ट में संवैधानिक आधार या कानूनी तथ्यों का अभाव है। न्यायपालिका भारत | Judiciary | Indian Judiciary
इनहाउस कमेटी की रिपोर्ट पर उठाए सवाल
उनका कहना था कि जरा सोचकर देखें कि दो हाईकोर्ट्स के चीफ जस्टिसेज ने कितनी मेहनत की होगी। इसमें एक चीफ जस्टिस ऐसे थे जो पंजाब और हरियाणा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश को संभालते हैं। वो एक ऐसी जांच में शामिल थे जिसमें कोई संवैधानिक आधार नहीं था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह बेमतलब है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को नहीं पता कि इस जांच समिति ने कोई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बरामद किया है या नहीं।
लोग बड़ी मछलियों का नाम जानने को उत्सुक
देश अभी भी पैसे के लेन-देन, इसके उद्देश्य और बड़ी मछलियों के बारे में जानने का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि घटना हुई और एक सप्ताह तक 1.4 अरब लोगों के देश को इसके बारे में पता ही नहीं चला। जरा सोचिए कि ऐसी कितनी घटनाएं हुई होंगी। ऐसी हर घटना का असर आम आदमी पर पड़ता है। उपराष्ट्रपति वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया की पुस्तक द कॉन्स्टिट्यूशन वी एडॉप्टेड के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।
बोले- सीजेआई खन्ना ने कुछ हर तक भरोसा लौटाया
धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के मामले पर भारत के सीजेआई संजीव खन्ना की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनके पारदर्शी तौर तरीकों से कुछ हद तक भरोसा लौटा है। 8 मई को तत्कालीन सीजेआई खन्ना ने इन-हाउस कमेटी के निष्कर्षों को भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा था। क्योंकि वर्मा ने आरोप साबित होने के बाद भी पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था।
करप्शन के मामलों में सिस्टम बदलने की जरूरत
धनखड़ ने कहा कि के वीरस्वामी बनाम भारत के मामले में 1991 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है, जिसने इन-हाउस जांच के लिए तंत्र स्थापित किया था। उन्होंने दावा किया कि यह फैसला जजों को इम्युनिटी प्रदान करता है।
इसने जस्टिस वर्मा के मामले में शीर्ष अदालत और सरकार को पंगु बना दिया है। अब इसे बदलने का समय आ गया है। एक बार जब दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा तो सिस्टम पाकसाफ हो जाएगा। इसकी छवि बदल जाएगी। जब तक दोष साबित न हो जाए, तब तक हर कोई निर्दोष है। यह घटना इस बात का ठोस उदाहरण है कि आज सिस्टम में क्या समस्याएं हैं। उन्होंने कहा कि केवल एक गहन और फारेंसिक विवेचना ही इस तरह के विवाद को समाप्त कर सकती है।
In-house committee, Justice Yashwant Varma case, VP Jagdeep Dhankar