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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) कुंदन कृष्णन ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि हत्या के मामलों में इजाफा काम न होने की वजह से है। उनकी इस टिप्पणी की विपक्ष और सत्तारूढ़ दल, दोनों के नेताओं ने तीखी आलोचना की है।
एडीजी बोले- किसानों के पास काम नहीं होता तो करते हैं वारदात
एडीजी कृष्णन के अनुसार बिहार में आमतौर पर अप्रैल, मई और जून के महीनों में हत्याओं में वृद्धि देखी जाती है। इस दौरान शुष्क मौसम के कारण खेती ठप रहती हैं। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक समुदाय के बेरोजगार युवा अक्सर पैसे के लिए अपराध की ओर रुख करते हैं। सुपारी लेकर हत्याएं भी वो करते हैं। कृष्णन ने कहा कि अप्रैल और जून के बीच खेती-बाड़ी का काम कम होने के कारण हत्याएं ज्यादा हुई हैं। पैसों के लिए युवाओं ने सुपारी लेकर हत्याएं करनी शुरू कर दी हैं। हमने इसके लिए एक नया सेल बनाया है। उन्होंने कहा कि यह चलन सालों से देखा जा रहा है। बारिश शुरू होते ही किसान समुदाय व्यस्त हो जाता है और ऐसी वारदातें कम हो जाती हैं। हालांकि, इस साल चुनाव के चलते हालात थोड़े अलग हैं। मीडिया कवरेज की वजह से राजनीतिक दल इस पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। कृष्णन ने कहा कि हमें इस बात की भी चिंता है कि युवा पैसे के लिए कॉन्ट्रैक्ट किलिंग में तेजी से शामिल हो रहे हैं।
एडीजी ने इस समस्या से निपटने के लिए इसी महीने एक नए विशेष सेल के गठन की घोषणा की। यह सेल सभी पूर्व शूटरों और कॉन्ट्रैक्ट किलरों का डेटाबेस तैयार करेगा। यह उन लोगों पर नजर रखेगा जो पैसे लेकर हत्याएं करते हैं। जेल से रिहा होने के बाद भी हम उनकी गतिविधियों पर नजर रखेंगे। हम निगरानी बनाए रखेंगे और सभी जिलों में डेटा साझा करेंगे और हर जिले से इन लोगों पर नजर रखने का अनुरोध करेंगे। एडीजी के बयान से राजनीतिक विवाद छिड़ गया। विपक्ष के नेता और राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस बयान की कड़ी आलोचना की है।
तेजस्वी के साथ डिप्टी सीएम भी एडीजीपी पर बरसे
तेजस्वी का कहना है कि पुलिस अधिकारियों को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। इससे पुलिस का मनोबल गिरता है। पुलिस मान रही है कि अपराध बढ़े हैं। बिहार में हर मौसम में अपराध होते हैं। गर्मियों में वो गर्मी को दोष देते हैं तो सर्दियों में वे ठंड को। मुख्यमंत्री कुछ कर नहीं कर रहे हैं और उपमुख्यमंत्री निकम्मे हैं। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने भी एडीजी के बयान की आलोचना की और किसानों का बचाव किया। उनका कहना था कि किसान अन्नदाता हैं। वो अपना और दूसरों का पेट भरने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। किसान अपराध नहीं करते। मैंने एडीजी का बयान नहीं सुना है, लेकिन अगर उन्होंने ऐसा कहा है, तो यह उचित नहीं है।
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