बेंगलुरु, वाईबीएन नेटवर्क।
कर्नाटक (Karnataka) में हनाट्रैप कांड के खुलासे के बाद सियासत गरमा गई है। कोर्ट ने भलें ही इसे राजनीतिक बकवास बताते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया, लेकिन सियासी गलियारों में कर्नाटक हनीट्रैप का मुद्दा गूंज रहा है। कर्नाटक सरकार के मंत्री ने दावा किया है कि कई नेता हनीट्रैप का शिकार हुए हैं, जिसमें राज्य और राष्ट्रीय स्तर के नेता भी शामिल हैं। आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है? इसका खुलासा कैसे हुआ और कितने लोग इसका शिकार हुए हैं।
सीक्रेट लेटर से हुआ खुलासा
भाजपा विधायक बसनलाल गौड़ा पाटिल यतनाल के हाथ एक सीक्रेट लेटर लगा था, जिसने कर्नाटक विधानसभा में हनीट्रैप कांड का पर्दाफाश किया था। इसके बाद एक के बाद एक खुलासे होते गए। यतनाल के बाद कर्नाटक सरकार में सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने हनी ट्रैप का शिकार होने की बात कुबूली थी।
कर्नाटक हनीट्रैप में फंसे 48 नेता
सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने कहा था कि उनके अश्लील वीडियो बनाए गए हैं। केएन राजन्ना ने कहा था कि कुछ लोगों के पास सीडी और पेन ड्राइव हैं। जिसके बाद विधानसभा में इसे लेकर बहस छिड़ गई थी। केएन राजन्ना ने दावा करते हुए कहा था कि उनके अलावा ऐसे 48 लोग हैं, जिन्हें हनीट्रैप में फंसाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा था कि विधायक से लेकर केंद्रीय नेता तक हनीट्रैप का शिकार हुए हैं।
यतनाल ने लगाए आरोप, भाजपा ने किया निष्कासित
राजन्ना के इस बयान के बाद सियासत गरमा गई है। भाजपा दावा कर रही है कि कर्नाटक में हनीट्रैप कांड की साजिश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने रची है। इस मामले की जांच की मांग की जा रही है। बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने आरोप लगाया कि कुछ लोग सीएम पद पर नजरें गड़ाए हुए हैं और राजनीतिक विरोधियों को बदनाम करने के लिए साजिश रच रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि यतनाल को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
डिप्टी सीएम ने कही कार्रवाई की बात
हनीट्रैप के खुलासे के बाद कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कानूनी कार्रवाई और गहन जांच की बात कही थी। वहीं गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा था कि ये एक गंभीर मुद्दा है और अगर हमें अपने सदस्यों की गरिमा बचानी है तो ऐसी घटनाओं पर रोक लगानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक में हनीट्रैप की सीबीआई द्वारा स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इसे राजनीतिक बकवास कहते हुए खारिज कर दिया।