राष्ट्रपति भवन में बुधवार को अचानक उस समय अफरातफरी मच गई जब महाराष्ट्र के वकीलों का हुजूम अचानक वहां पहुंच गया। इतनी बड़ी तादाद में वकीलों को देखकर प्रेजीडेंट हाउस के एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ के पसीने छूट गए। इतने सारे लोगों को राष्ट्रपति भवन में जगह नहीं दी जा सकती थी लिहाजा उनको वहां के आडिटोरियम में बिठाना पड़ा।
गवई को सीजेआई बनते देखना चाहते थे वकील, लगाई गई स्क्रीन
दरअसल, बुधवार को जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी। मुंबई और अमरावती के वकील उनको शपथ लेते देखना चाहते थे। वो अपने अपने साधन से दिल्ली पहुंच गए। जब वो राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो तादाद काफी ज्यादा हो गई थी। लिहाजा सभी को वहां के आडिटोरियम में ससम्मान बिठाया गया। जिस काम के लिए वो आए थे उसके लिए वहीं पर एक स्क्रीन लगा दी गई। सभी ने आडिटोरियम में अपने चहेते जज को चीफ जस्टिस आफ इंडिया बनते देखा।
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में बुधवार को शपथ ली थी। जस्टिस गवई ने जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली है, जो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद से मंगलवार को रिटायर हुए हैं। जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा। वह 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
1985 में की थी वकालत की शुरुआत, 2003 में बने थे एडिशनल जज
मार्च 1985 में वकालत शुरू करने वाले जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई नागपुर, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में पब्लिक प्रासीक्यूटर के रूप में भी सेवाएं दीं। 14 नवंबर 2003 को वो बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने और 12 नवंबर 2005 को परमानेंट जज। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रह चुके हैं सीजेआई
जस्टिस गवई ने आर्टिकल 370 को हटाने, चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने और नोटबंदी जैसे बड़े ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका अदा की है। फिलहाल उनके सामने सुप्रीम कोर्ट में 81,000 से ज्यादा लंबित मामलों को निपटाने और वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुनवाई करने की बड़ी जिम्मेदारी है। न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का केस भी उनके सामने मुंह बाए खड़ा है। दिल्ली हाईकोर्ट के जज के मामले में संजीव खन्ना सरकार को इन हाउस कमेटी की रिपोर्ट भेजकर जरूरी सिफारिश कर चुके हैं। लेकिन भ्रष्ट जजों से कैसे निपटा जाए ये चीज नए सीजेआई गवई को देखनी होगी।
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