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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क:गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि आपातकाल किसी राष्ट्रीय आवश्यकता का परिणाम नहीं था, बल्कि कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्र विरोधी सोच का परिणाम था। उन्होंने यह टिप्पणी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के उस फैसले के संदर्भ में की, जब 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया था।
तानाशाही कांग्रेस की सरकार को हटाया
आपातकाल के दौरान हुई पीड़ाओं और यातनाओं को याद करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह दिन हम सभी को यह सिखाता है कि जब सत्ता तानाशाही में बदल जाती है, तो जनता के पास उसे उखाड़ फेंकने की ताकत होती है। उन्होंने इसे कांग्रेस की सत्ता की लालसा का ‘अन्यायकाल’ बताया। गृह मंत्री ने कहा कि उस समय प्रेस की स्वतंत्रता को कुचला गया न्यायपालिका के अधिकारों को सीमित किया गया और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेलों में डाला गया। शाह ने लिखा कि देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का नारा बुलंद कर तानाशाही कांग्रेस की सरकार को हटाया। उन्होंने उन सभी वीरों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने इस संघर्ष में अपना बलिदान दिया।
इमरजेंसी के दिन को ‘संविधान हत्या दिवस
अमित शाह ने बताया कि इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, ताकि नई पीढ़ी को आपातकाल की अमानवीय यातनाओं और देश की रक्षा के लिए हुए बलिदानों के बारे में पता चल सके। शाह ने कहा कि ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने से हर भारतीय में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा का जज्बा जागृत रहेगा और इससे कांग्रेस जैसी तानाशाही ताकतों को भविष्य में इसी तरह के अत्याचार दोहराने से रोका जा सकेगा। amit shah
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