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जब ‘Smiling Buddha’ ने भारत को खड़ा किया परमाणु संपन्न देशों की कतार में

18 मई 1974 को भारत ने राजस्थान के पोकरण में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया, जिसे 'स्माइलिंग बुद्धा' नाम दिया गया। यह परीक्षण भारत को परमाणु संपन्न देशों की कतार में ले आया।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: दुनिया के इतिहास में कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जो समय के साथ धुंधली नहीं पड़तीं, बल्कि हर गुजरते साल के साथ उनका महत्व और भी गहराता जाता है। 18 मई 1974 भी एक ऐसी ही ऐतिहासिक तारीख है, जब भारत ने विज्ञान, रक्षा और रणनीतिक नीति के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई थी। इस दिन भारत ने राजस्थान के पोकरण में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था, जिसे कोड नाम ‘स्माइलिंग बुद्धा’ दिया गया।

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भारत बना परमाणु शक्ति संपन्न देश

इस ऐतिहासिक परीक्षण के साथ भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया जो परमाणु हथियारों का परीक्षण कर चुके थे। इससे पहले केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य — अमेरिका, रूस (तत्कालीन सोवियत संघ), चीन, फ्रांस और ब्रिटेन — ही यह उपलब्धि हासिल कर पाए थे। भारत ने इन शक्तिशाली देशों के एकाधिकार को तोड़ते हुए वैश्विक मंच पर एक नई पहचान बनाई।

‘स्माइलिंग बुद्धा’ की खास बात

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18 मई को बुद्ध पूर्णिमा का दिन था, और शायद इसी कारण इस परीक्षण को 'स्माइलिंग बुद्धा' नाम दिया गया। यह परीक्षण पूरी तरह से भूमिगत था, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान हो। भारत ने यह परीक्षण शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए घोषित किया, लेकिन इसकी रणनीतिक गूंज दुनिया भर में महसूस की गई। इस परीक्षण ने भारत को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में स्थापित किया, जो अपनी सुरक्षा के मामले में किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहता।

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