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सेंसर बोर्ड ने कहा OK, फिर कोर्ट ने क्यों कहा NO? क्या बोलेगा अब सुप्रीम कोर्ट ‘उदयपुर फाइल्स’ पर?

सुप्रीम कोर्ट उदयपुर फाइल्स की रिलीज पर रोक हटाने की याचिका पर सहमत. दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म की रिलीज रोकी थी. CBFC मंजूरी के बाद भी रोक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन. क्या मिलेगी 'उदयपुर फाइल्स' को आजादी?

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Ajit Kumar Pandey
सेंसर बोर्ड ने कहा OK, फिर कोर्ट ने क्यों कहा NO? क्या बोलेगा अब सुप्रीम कोर्ट ‘उदयपुर फाइल्स’ पर? | यंग भारत न्यूज

सेंसर बोर्ड ने कहा OK, फिर कोर्ट ने क्यों कहा NO? क्या बोलेगा अब सुप्रीम कोर्ट ‘उदयपुर फाइल्स’ पर? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।दिल्ली हाई कोर्ट के रोक के बाद अब फिल्म उदयपुर फाइल्स की रिलीज का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के हाथों में है। उदयपुर फाइल्स नामक फिल्म की रिलीज को लेकर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा रिलीज से ठीक एक दिन पहले इस पर रोक लगाए जाने के बाद, अब फिल्म निर्माता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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यह मामला अभिव्यक्ति की आजादी और सेंसर बोर्ड की भूमिका पर कई अहम सवाल खड़े करता है। फिल्म निर्माताओं का कहना है कि जब केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने इसे हरी झंडी दे दी है, तो इसकी रिलीज रोकना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। यह एक ऐसा कानूनी युद्ध है जिसका परिणाम न सिर्फ इस फिल्म के लिए बल्कि भविष्य में ऐसी अन्य फिल्मों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 14 जुलाई 2025 को फिल्म की निर्धारित रिलीज से ठीक पहले इस पर रोक लगा दी थी। इस अचानक लगे प्रतिबंध ने फिल्म जगत में हलचल मचा दी है। फिल्म निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने याचिका का उल्लेख किया, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया है कि हाई कोर्ट का यह निर्णय उनके संवैधानिक अधिकारों, विशेषकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, का उल्लंघन है। उनका कहना है कि CBFC जैसी नियामक संस्था द्वारा स्वीकृत होने के बावजूद फिल्म को रोकना, कलात्मक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि देश की सर्वोच्च अदालत इस तर्क पर क्या रुख अपनाती है।

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CBFC की मंजूरी: फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी।

मौलिक अधिकार: निर्माताओं का दावा है कि रिलीज रोकना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

कानूनी लड़ाई: मामला अब दिल्ली हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।

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क्या है 'उदयपुर फाइल्स' में, जिस पर छिड़ा विवाद?

हालांकि फिल्म राजस्थान के उदयपुर में घटी एक वीभत्स घटना पर आधारित है। अक्सर ऐसी फिल्मों को लेकर विवाद तब होता है जब वे किसी समुदाय, व्यक्ति या घटना को इस तरह से चित्रित करती हैं। इस फिल्म से कुछ लोगों आपत्ति है। यही कारण है कि उदयपुर फाइल्स पर इतनी गहराई से नजर रखी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई: क्या होगी अगली तारीख?

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सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर लगी रोक हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। यह खबर फिल्म निर्माताओं के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आई है। हालांकि, अभी तक सुनवाई की अगली तारीख तय नहीं हुई है। यह देखना होगा कि सर्वोच्च न्यायालय कितनी जल्दी इस मामले को सूचीबद्ध करता है और क्या वह हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाएगा या नहीं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिनेमाई स्वतंत्रता और न्यायिक हस्तक्षेप के बीच एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करेगा।

यह मामला सिर्फ उदयपुर फाइल्स की रिलीज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत में सिनेमा और सेंसरशिप के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब एक फिल्म को CBFC से मंजूरी मिल जाती है, तो क्या अदालतों को उसे रोकने का अधिकार होना चाहिए, खासकर जब तक कोई स्पष्ट और तत्काल खतरा न हो? यह बहस लंबे समय से चल रही है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस बहस को एक नई दिशा दे सकता है और भविष्य में फिल्म निर्माताओं के लिए राह आसान या मुश्किल बना सकता है। कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन साधना हमेशा एक चुनौती रही है, और यह मामला इसी संतुलन की परीक्षा है।

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