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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कःभारत के न्यायिक इतिहास में एक अनूठा नजारा देखने को मिल रहा है। डीवाई चंद्रचूड़ को उस सुप्रीम कोर्ट से मिन्नतें करनी पड़ रही हैं जिसके चीफ जस्टिस वो खुद रह चुके हैं। खास बात है कि मौजूदा सीजेआई बीआर गवई उनकी बात को सुनने के लिए भी तैयार नहीं हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो चंद्रचूड़ से वो घर तुरंत खाली कराए जो चीफ जस्टिस आफ इंडिया रहते हुए उन्हें अलाट हुआ था।
अभी तक सीजेआई के लिए अलाट घर में जमा है चंद्रचूड़ का परिवार
चंद्रचूड़ नवंबर 2024 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी कृष्ण मेनन मार्ग पर रहते रहे हैं। हालांकि नियम कहते हैं कि रिटायरमेंट के बाद वो छह महीने तक ही इस घर में रह सकते थे लेकिन वो अभी भी यहां मौजूद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनको यहां रहने के लिए मोहलत दी थी। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगले को तत्काल वापस लेने की मांग की थी। चंद्रचूड़ को औपचारिक रूप से 30 अप्रैल तक इस बंगले में रहने की अनुमति दी गई थी, जिसमें 31 मई तक अनौपचारिक विस्तार दिया गया था। जुलाई तक उनके कब्जे में बने रहने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने एक अनूठा कदम उठाते हुए सरकार को पत्र लिख दिया। सुप्रीम कोर्ट जज रूल्स, 2022 के तहत एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश छह महीने तक बिना किराए के टाइप VII के घर में रह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद चंद्रचूड़ अब तीन मूर्ति मार्ग स्थित घर में रहेंगे।
चंद्रचूड़ बोले- मेरी गोद ली बेटियों की देखभाल के लिए जरूरी था घर में रहना
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 5, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित सीजेआई का बंगला खाली करने में उनकी ओर से कोई देरी नहीं हुई है। वह अगले दो सप्ताह में आधिकारिक सीजेआई बंगला खाली कर देंगे। उन्होंने बताया कि हमने अपना सामान पैक कर लिया है। हमारा फर्नीचर पैक हो गया है। शायद दस दिन और लगेंगे। पूर्व सीजेआई ने कहा कि उन्होंने अपनी दो बेटियों की चिकित्सा के कारण सेवानिवृत्ति के बाद कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आधिकारिक सीजेआई आवास में अपना प्रवास बढ़ा दिया था। उन्होंने और उनकी पत्नी कल्पना दास ने दो बेटियों प्रियंका और माही को गोद लिया था, जिन्हें नेमालाइन मायोपैथी नामकी बीमारी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी बेटियों के लिए दिल्ली में किराये के आवास को लेने के लिए बार-बार प्रयास किए थे। लेकिन मकान मालिक छोटी अवधि के लिए मकान किराए पर देने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना को औपचारिक रूप से पत्र लिखकर 30 जून तक विस्तार का अनुरोध किया था। उनका कहना है कि जस्टिस खन्ना ने पहले कहा था कि वह कृष्ण मेनन मार्ग स्थित घर में नहीं रहेंगे और उन्होंने यहां तकसुझाव दिया कि मैं वहीं रहूं।”
बोले- नए घर में हो रही है मरम्मत, सीजेआई गवई से की थी दरखास्त
जब बीआर गवई ने मई में मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला तो चंद्रचूड़ ने फिर से यह मामला उठाया। उन्होंन गवई से कहा कि सरकार की तरफ से आवंटित घर में काफी मरम्मत की जरूरत है। यह दो साल से खाली पड़ा था। इससे पहले कोई भी न्यायाधीश इसमें रहना नहीं चाहता था। ठेकेदार ने स्पष्ट कर दिया था कि जून के अंत तक मरम्मत का काम चलेगा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने न्यायमूर्ति गवई को स्पष्ट कर दिया है कि कोई अनिश्चितकालीन अनुरोध नहीं किया जा रहा है। मैंने उनसे कहा कि अगर आप समय बढ़ा सकते हैं, तो मैं आभारी रहूंगा। अगर नहीं तो मैं बाजार दर से किराया देने को तैयार हूं।
बोले- कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास में कभी नहीं जाना चाहते थे
चंद्रचूड़ ने यह भी याद किया कि जब वह सीजेआई बने तो वह कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास में कभी नहीं जाना चाहते थे। जब वो 2022 में सीजेआई बने तो सुप्रीम कोर्ट पूल में सबसे छोटे घर में थे। वो 2016 से 14 तुगलक रोड पर रह रहे थे। वो स्थानांतरित नहीं होना चाहते थे। लेकिन आखिरकार, जब आप चीफ होते हैं, तो गणमान्य व्यक्ति आते हैं, औपचारिक कार्य अपेक्षित होते हैं। मुझे स्थानांतरित होना पड़ा। judiciary of india | Judiciary | Indian Judiciary not present in content
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