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Japan का ताकतवर पोत India में क्यों आया? 'इत्सुकुशिमा' के दौरे से चीन क्यों हो सकता है बेचैन?

जापान कोस्ट गार्ड का पोत 'इत्सुकुशिमा' चेन्नई पहुंचा, जो भारत-जापान के बीच हिंद-प्रशांत में समुद्री सहयोग को मजबूत करेगा। यह यात्रा दोनों तटरक्षक बलों के बीच अंतर-संचालन क्षमता बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम है।

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Ajit Kumar Pandey
Japan का ताकतवर पोत India में क्यों आया? 'इत्सुकुशिमा' के दौरे से चीन क्यों हो सकता है बेचैन? | यंग भारत न्यूज

Japan का ताकतवर पोत India में क्यों आया? 'इत्सुकुशिमा' के दौरे से चीन क्यों हो सकता है बेचैन? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आज सोमवार, 7 जुलाई 2025 को जापान कोस्ट गार्ड (JCG) का एक शक्तिशाली और आधुनिक प्रशिक्षण पोत 'इत्सुकुशिमा' ग्लोबल ओशन वॉयज ट्रेनिंग मिशन के तहत चेन्नई बंदरगाह पर पहुंचा। यह कोई साधारण यात्रा नहीं, बल्कि भारत और जापान के बीच सामरिक सहयोग और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी का बड़ा संकेत है। 

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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती नौसेना मौजूदगी और उसकी 'String of Pearls' नीति को भारत और जापान हमेशा से संदेह की नजर से देखते रहे हैं। चीन ने हाल ही में श्रीलंका, पाकिस्तान और म्यांमार में कई बंदरगाहों पर अपने प्रभाव को बढ़ाया है।

अब जब जापान का आधुनिक पोत 'इत्सुकुशिमा' भारत पहुंचा है, तो यह साफ संदेश है कि भारत और जापान मिलकर इस क्षेत्र में संप्रभुता, स्वतंत्रता और शांति के लिए एकजुट हो रहे हैं। 

भारत और जापान पिछले एक दशक से Hind-Pacific सुरक्षा ढांचे पर लगातार काम कर रहे हैं। दोनों देश 'Indo-Pacific Oceans Initiative' और 'Quad' जैसे मंचों पर साझा रणनीति बना रहे हैं। 'इत्सुकुशिमा' का भारत आना इसी कड़ी को और मजबूत करता है।

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इस खबर ने अंतरराष्ट्रीय हलकों में खलबली मचा दी है, खासकर चीन जैसे देशों के लिए यह दौरा कूटनीतिक और रणनीतिक चुनौती बन सकता है। जापान कोस्ट गार्ड (JCG) का प्रशिक्षण पोत 'इत्सुकुशिमा' ग्लोबल ओशन वॉयज ट्रेनिंग के तहत चेन्नई बंदरगाह पर पहुंच गया है। यह यात्रा भारत और जापान के बीच मजबूत समुद्री साझेदारी को दर्शाती है, विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और सहयोग को बढ़ाने के लिए। 

जापान कोस्ट गार्ड (JCG) का पोत 'इत्सुकुशिमा' चेन्नई बंदरगाह पर पहुंचा। यह सामान्य यात्रा नहीं, बल्कि ग्लोबल ओशन वॉयज ट्रेनिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारत और जापान के बीच गहरे और स्थायी संबंधों को और मजबूत करता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच, यह दौरा दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी और समुद्री सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत और जापान, दोनों ही समुद्री शक्तियां, एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण पर विश्वास करते हैं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के तटरक्षक बलों के बीच आपसी तालमेल और अंतर-संचालन क्षमता (interoperability) को बढ़ाना है। कल्पना कीजिए, जब दो मजबूत नौसेनाएं एक साथ काम करती हैं, तो समुद्री सुरक्षा कितनी बेहतर हो जाती है!

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भारत जापान का साझा उद्देश्य

  • समुद्री सुरक्षा बढ़ाना
  • तटरक्षक बलों की इंटरऑपरेबिलिटी (साझा संचालन क्षमता) मजबूत करना
  • आतंकवाद और समुद्री लूट जैसी चुनौतियों से मिलकर निपटना
  • चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीति को सामूहिक जवाब देना
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क्या है 'इत्सुकुशिमा' पोत की अहमियत?

'इत्सुकुशिमा' जापान कोस्ट गार्ड का एक एडवांस्ड ट्रेनिंग वेसल है, जो नौसैनिकों को खुले समुद्र में रणनीतिक मिशन, रिस्क मैनेजमेंट, और मल्टी-नेवी ऑपरेशन की ट्रेनिंग देने के लिए जाना जाता है। इसकी उपस्थिति किसी भी बंदरगाह पर सिर्फ “शिष्टाचार दौरा” नहीं मानी जाती, बल्कि यह रणनीतिक साझेदारी का जीवंत प्रतीक होती है।

भारतीय तटरक्षक बल से कैसे मजबूत हुए रिश्ते?

जापान के इस खास मेहमान का स्वागत मुख्यालय, कोस्ट गार्ड रीजन (पूर्व) ने किया, जिसकी कमान महानिरीक्षक दत्तविंदर सिंह सैनी संभाल रहे हैं। यह एक ऐसा पल था जब दोनों देशों के अधिकारी एक-दूसरे से मिले, अनुभव बांटे और भविष्य के सहयोग की नींव रखी।

इस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिनमें संयुक्त अभ्यास, पेशेवर आदान-प्रदान और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। ये गतिविधियां न केवल प्रशिक्षण का हिस्सा हैं, बल्कि दोनों तटरक्षक बलों के कर्मियों के बीच व्यक्तिगत संबंध बनाने का भी अवसर देती हैं। आखिर, दोस्ती की शुरुआत छोटे-छोटे कदमों से ही होती है, है ना?

भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और जापान कोस्ट गार्ड (JCG) लंबे समय से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। समुद्री डकैती पर लगाम लगाना हो, आपदा राहत कार्य हो या फिर पर्यावरण संरक्षण, दोनों बल हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। यह यात्रा इसी सहयोग को अगले स्तर पर ले जाती है।

हिंद-प्रशांत का भविष्य : क्यों महत्वपूर्ण है यह साझेदारी?

हिंद-प्रशांत क्षेत्र, जो दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री व्यापार मार्गों में से एक है, वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना सभी के हित में है। जापान और भारत, दोनों ही देश इस क्षेत्र में सुरक्षा प्रदाता के रूप में उभर रहे हैं।

समुद्री सुरक्षा: दोनों देश समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और तस्करी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

आपदा राहत: भूकंप, सुनामी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, दोनों देश एक-दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।

ज्ञान साझाकरण: सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीनतम तकनीकों का आदान-प्रदान दोनों बलों को और अधिक कुशल बनाता है।

इस तरह की यात्राएं न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करती हैं, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। यह हमें याद दिलाता है कि कैसे देशों के बीच सहयोग शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।

इत्सुकुशिमा की यह यात्रा एक मील का पत्थर है, लेकिन यह अंत नहीं है। भविष्य में भारत और जापान के बीच ऐसे और भी आदान-प्रदान देखने को मिलेंगे। यह सहयोग सिर्फ समुद्री क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि रक्षा, प्रौद्योगिकी और आर्थिक क्षेत्रों में भी बढ़ रहा है।

यह साझेदारी सिर्फ सरकारों के बीच नहीं, बल्कि लोगों के बीच भी है। जब दो देशों के लोग एक-दूसरे को समझते हैं और सम्मान करते हैं, तभी सच्ची और स्थायी दोस्ती बनती है। यह यात्रा उसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

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