नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने "ऑपरेशन सिंदूर" को रोकने के पीछे के रहस्य पर सवाल उठाते हुए इस मुद्दे को गरमा दिया है। आज शुक्रवार 27 जून 2025 को कांग्रेस नेता जयराम रमेश सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो और टेक्स बयान साझा किया। बयान के अनुसार, भारत को इस महत्वपूर्ण समझौते की जानकारी वाशिंगटन से मिल रही है, जो लोकतंत्र और संसद का अपमान है। आखिर क्या है इस डील का सच, और क्या देश को नहीं जानना चाहिए कि इसकी कीमत क्या होगी?
क्या है 'ऑपरेशन सिंदूर' और क्यों रुका?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने दिल्ली में एक बड़ा बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अपना मौन व्रत नहीं तोड़ रहे हैं। रमेश ने सवाल उठाया कि जब बात इतने बड़े व्यापार समझौते की है, तो प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी देश की जनता और संसद को क्यों नहीं देनी चाहिए? उनका आरोप है कि हमें इस समझौते से जुड़े फैसले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुंह से या वाशिंगटन से आने वाली खबरों से पता चल रहे हैं, जो भारतीय लोकतंत्र और राजनीतिक दलों का अपमान है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विशेष रूप से "ऑपरेशन सिंदूर" का जिक्र किया और जानना चाहा कि क्या इस बड़े व्यापार समझौते के कारण ही इसे रोका गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सर्वदलीय बैठक बुलाने और इस समझौते का रहस्य उजागर करने की अपील की। यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्या छिपाया जा रहा है?
व्यापार समझौते का रहस्य: भारत के लिए क्या हैं खतरे?
जयराम रमेश ने इस व्यापार समझौते को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या भारत अपनी आयात नीति में इतना बड़ा बदलाव करने जा रहा है कि वह अमेरिका से अधिक चीजें खरीदेगा? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, क्योंकि इससे घरेलू उद्योगों और कृषि पर सीधा असर पड़ सकता है। क्या हमारे कृषि क्षेत्र को विदेशी उत्पादों के लिए खोला जाएगा, और क्या लघु और सूक्ष्म उद्योगों (MSME) को मिलने वाला संरक्षण बंद कर दिया जाएगा?
जयराम रमेश ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप जिस "बड़े व्यापार समझौते" की बात कर रहे हैं, उसके पीछे की वास्तविकता क्या है? यह समझौता कितना बड़ा है कि इसकी वजह से देश के भीतर किसी बड़े अभियान को रोकना पड़ा? इन सवालों के जवाब जानना देश के हर नागरिक का अधिकार है, खासकर जब बात अर्थव्यवस्था और रोजगार की हो।
- आयात नीति में बदलाव: क्या हम अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार खोल रहे हैं?
- कृषि क्षेत्र पर प्रभाव: क्या भारतीय किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा?
- MSME का भविष्य: क्या छोटे उद्योगों को मिलने वाला संरक्षण खतरे में है?
ये ऐसे सवाल हैं जिन पर सरकार को स्पष्टीकरण देना ही होगा।
राजनीतिक चुप्पी और जनता के सवाल
जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री की चुप्पी को लोकतंत्र के लिए हानिकारक बताया। उनका कहना है कि जब देश इतने बड़े आर्थिक निर्णयों की दहलीज पर खड़ा है, तब प्रधानमंत्री का मौन रहना समझ से परे है। एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार इस समझौते की बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, वहीं भारत में इस पर कोई सार्वजनिक चर्चा या स्पष्टीकरण नहीं है।
यह स्थिति देश में चिंता पैदा करती है, खासकर उन उद्योगों और किसानों के बीच जो इन नीतियों से सीधे प्रभावित होंगे। सरकार की पारदर्शिता इस समय सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि अफवाहों और अनिश्चितता का बाजार गर्म न हो। "ऑपरेशन सिंदूर" जैसे किसी अभियान का रुकना, बिना किसी स्पष्टीकरण के, केवल अटकलों को जन्म देता है।
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