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क्या आने वाले युद्ध सिर्फ ड्रोन लड़ेंगे? CDS अनिल चौहान ने खोला भविष्य के ‘डिजिटल रणभूमि’ का रहस्य! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आज के आधुनिक युद्ध में ड्रोन एक गेम-चेंजर साबित हो रहे हैं। क्या ये सिर्फ विकास का एक पड़ाव हैं या युद्ध लड़ने के तरीके में एक क्रांतिकारी बदलाव? भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान के मुताबिक, ड्रोन का विकास भले ही क्रमिक रहा हो, लेकिन युद्ध में इनका इस्तेमाल बेहद क्रांतिकारी साबित हुआ है। हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने भारतीय सेना को ड्रोन युद्ध की नई चुनौतियों और स्वदेशी समाधानों की अहमियत से रूबरू कराया है।
आज बुधवार 15 जुलाई 2025 को जनरल अनिल चौहान ने दिल्ली में UAV और C-UAS के स्वदेशीकरण पर एक प्रदर्शनी का दौरा करने के बाद कहा, "जब हम ड्रोन की बात करते हैं, तो आपको क्या लगता है - क्या वे युद्ध में एक क्रमिक बदलाव ला रहे हैं या एक क्रांतिकारी बदलाव? मुझे लगता है कि उनका विकास क्रमिक है और उनका उपयोग युद्ध में बहुत क्रांतिकारी रहा है।" उनका यह बयान उस तेजी से बदलती युद्ध रणनीति की ओर इशारा करता है, जहां ड्रोन अब सिर्फ निगरानी उपकरण नहीं, बल्कि घातक हथियार बन गए हैं।
सेना ने जैसे-जैसे ड्रोन की तैनाती और उनके दायरे की क्षमता को समझा, उनका इस्तेमाल क्रांतिकारी तरीके से करना शुरू कर दिया। हमने हाल के कई युद्धों में इसकी झलक देखी है। चाहे वह सटीक हमला हो, निगरानी हो, या फिर दुश्मन के ठिकानों की जानकारी जुटाना हो, ड्रोन ने हर मोर्चे पर अपनी उपयोगिता साबित की है।
#WATCH | Delhi| Speaking on the use of drones in warfare, Chief of Defence Staff General Anil Chauhan says, "When we talk about drones, what do you think these are - are they bringing an evolutionary change or a revolutionary change in warfare? I think their development is… pic.twitter.com/Qu7lji7XtR
— ANI (@ANI) July 16, 2025
'ऑपरेशन सिंदूर': पाकिस्तान के ड्रोन हमले का मुंहतोड़ जवाब
हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने ड्रोन युद्ध की वास्तविक चुनौतियों को सामने ला दिया। 10 मई को पाकिस्तान ने भारतीय सीमा में निहत्थे ड्रोन और लॉइटरिंग म्यूनिशन का इस्तेमाल किया। जनरल चौहान ने खुलासा किया, "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, 10 मई को पाकिस्तान ने निहत्थे ड्रोन और लॉइटरिंग म्यूनिशन का इस्तेमाल किया। उनमें से किसी ने भी भारतीय सैन्य या नागरिकBny बुनियादी ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।" यह भारत की मजबूत रक्षा प्रणाली का प्रमाण है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि इनमें से अधिकांश ड्रोनों को "काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक" माध्यमों के संयोजन से निष्क्रिय कर दिया गया, और कुछ तो लगभग साबुत स्थिति में बरामद भी किए गए। यह दर्शाता है कि भारत के पास इन खतरों से निपटने की प्रभावी क्षमता मौजूद है। यह सफलता न केवल भारतीय सेना के त्वरित प्रतिक्रिया बल को दिखाती है, बल्कि स्वदेशी एंटी-ड्रोन प्रणालियों की प्रभावशीलता को भी उजागर करती है।
स्वदेशी काउंटर-UAS सिस्टम की अनिवार्यता
'ऑपरेशन सिंदूर' से एक बात स्पष्ट हो गई कि भारत को अपनी विशेष भूभाग के लिए स्वदेशी रूप से विकसित काउंटर-UAS सिस्टम (Counter-Unmanned Aircraft Systems) की सख्त जरूरत है। जनरल चौहान ने जोर देकर कहा, "ऑपरेशन सिंदूर ने हमें दिखाया है कि हमारे भूभाग के लिए बनाए गए स्वदेशी रूप से विकसित काउंटर-UAS सिस्टम क्यों महत्वपूर्ण हैं। हमें अपनी सुरक्षा के लिए निवेश और निर्माण करना चाहिए।"
यह आह्वान सिर्फ रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को भी दर्शाता है। विदेशी ओईएम (Original Equipment Manufacturers) से आयात किए जा रहे महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण पर जोर देना भविष्य की युद्ध तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमारी तकनीकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करेगा, बल्कि हमें किसी भी बाहरी दबाव से भी मुक्त रखेगा।
भविष्य की युद्ध प्रणाली में ड्रोन का स्थान
भारत अब ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीकों में भारी निवेश कर रहा है। आने वाले समय में, युद्ध के मैदान में ड्रोन की भूमिका और भी बढ़ जाएगी। केवल बड़े और महंगे विमानों पर निर्भर रहने के बजाय, छोटे, किफायती और प्रभावी ड्रोन सिस्टम युद्ध की गतिशीलता को बदल रहे हैं।
रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य के संघर्षों में, जो देश ड्रोन तकनीक और उसे निष्क्रिय करने की क्षमता में आगे होगा, वही बढ़त हासिल करेगा। भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं, ताकि देश की सुरक्षा अक्षुण्ण रहे और हम किसी भी ड्रोन हमले का सफलतापूर्वक सामना कर सकें।
'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे अनुभव हमें लगातार सीख दे रहे हैं कि हमें अपनी रक्षा प्रणाली को कैसे मजबूत करना है। स्वदेशीकरण और नवीन प्रौद्योगिकी का समावेश ही हमें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करेगा। यह केवल सैन्य तैयारी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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