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सियासत में उस समय बड़ी हलचल होती दिखी जब फिल्म डायरेक्टर महेश मांजरेकर के पाडकास्ट में राज ठाहरे ने उद्धव ठाकरे से हाथ मिलाने की पहल की। दोनों भाई 2006 में अलग हुए थे उसके बाद दोनों कभी भी एक सियासी मंच पर नहीं देखे गए। हालांकि जब राज एक बार बीमार पड़े थे तो उद्धव खुद कार ड्राइव करके उनको अस्पताल ले गए थे। लेकिन उसके बाद के दौर में दोनों इक्का दुक्का बार ही एक साथ दिखे।
हालांकि राज की पहल पर उद्धव ने सकारात्मक पहल दिखाई थी लेकिन एक शर्त के साथ कि वो एकनाथ शिंदे और बीजेपी से दूरी बनाएं। लेकिन हाल के समय में जो कुछ होता दिख रहा है उससे नहीं लगता कि राज ने उद्धव की बात को तवज्जो दी भी है।
उद्धव की आपत्ति के बाद भी शिंदे के मंत्री से मिले राज
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सुलह की नई चर्चा के बीच महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने मंगलवार को मुंबई में राज से उनके आवास पर मुलाकात की। सामंत उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से हैं। पिछले साल नवंबर में हुए राज्य विधानसभा चुनावों के बाद से सामंत और राज के बीच यह चौथी मुलाकात थी।
सीएम फडणवीस से खुद मिलने गए थे राज ठाकरे
पिछले महीने शिंदे ने राज से उनके आवास पर मुलाकात की थी, जिससे बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और राज्य में अन्य नगर निकायों के आगामी चुनावों के लिए शिवसेना और मनसे के बीच गठबंधन की संभावना बढ़ गई थी। ये चुनाव इसी साल के अंत में होने वाले हैं। राज ने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस से वर्षा में मुलाकात की थी। जाहिर है ये सब उद्धव को अच्छा नहीं लगा होगा।
सत्तारूढ़ महायुति के प्रमुख नेताओं से मनसे प्रमुख की मुलाकातों ने सुलह की संभावनाओं पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। हालांकि राज से मुलाकात के बाद सामंत ने कहा कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी। उन्होंने कहा कि वो किसी काम से दादर आए थे। राज को फोन किया था। उन्होंने बुलाया तो चला गया लेकिन कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। अगर बीएमसी चुनावों के बारे में कोई चर्चा होती, तो हम इसकी घोषणा करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते।
संजय राउत बोले- गेंद राज ठाकरे के पाले में है
सामंत और राज के बीच बैठक पर उद्धव के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी ने राज के प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और अब गेंद राज के पाले में है। राउत ने कहा कि राज ठाकरे ने सुलह की कोशिश शुरू की थी और हमने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। हम आज भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अब यह उन पर निर्भर है कि वो जवाब दें और हम जवाब का इंतजार कर रहे हैं। हम राज ठाकरे को बहुत सम्मान देते हैं, हम उनका सम्मान करते हैं।
महेश मांजरेकर के पाडकास्ट में राज ने दिए थे सुलह के संकेत
19 अप्रैल को राज और उद्धव दोनों ने हाथ मिलाने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि वो महाराष्ट्र के लोगों के व्यापक हित के लिए अपने विवादों को अलग रखने के लिए तैयार हैं। फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर के साथ पॉडकास्ट पर बात करते हुए राज ने पहल की और उद्धव ने उनसे सुलह की संभावना को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि वह मराठी लोगों और भाषा के हित में अपने मतभेदों को अलग रखने के लिए तैयार हैं।
हालांकि, उद्धव ने यह भी कहा था कि राज को भाजपा और शिंदे सेना जैसी ताकतों के साथ नहीं जुड़ना चाहिए। इसके बाद, उद्धव और राज दोनों विदेश चले गए, जिसके बाद उनकी सुलह की कवायद ठंडे बस्ते में चली गई। 26 अप्रैल को, सेना यूबीटी के आधिकारिक एक्स हैंडल ने मराठी में एक संदेश पोस्ट किया गया वेल आलिये एकत्रा येन्याची, यह दर्शाता है कि ठाकरे चचेरे भाइयों के लिए एक साथ आने का समय आ गया है। लेकिन आधिकारिक तौर पर दोनों के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई है।
महाराष्ट्र की राजनीति में बेअसर रही है मनसे
राज ने उद्धव के साथ मतभेदों के बाद तत्कालीन बाल ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना छोड़ने के बाद मार्च 2006 में मनसे का गठन किया था। लेकिन मनसे अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाई। नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों में 288 में से 135 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद यह 1.55 प्रतिशत वोट शेयर के साथ एक भी सीट नहीं जीत पाई। 2019 में पार्टी 2.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सिर्फ एक सीट जीत सकी। बीएमसी में मनसे ने 2017 में 227 में से सात सीटें जीती थीं, जबकि उद्धव की पार्टी 84 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी।
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