Advertisment

World AIDS Day 2025: छूने से नहीं फैलता एड्स, जानें इस साल की थीम

विश्व एड्स दिवस 2025 की थीम है “व्यवधान पर विजय, एड्स प्रत्युत्तर में सुधार।” जानें एचआईवी कैसे फैलता है, क्या सच है, भारत की प्रगति और जागरूकता प्रयास।

author-image
Dhiraj Dhillon
एडिट
World AIDS day 2025

नई दिल्ली, आईएएनएस। World AIDS Day 2025: हर साल 1 दिसंबर को 'विश्व एड्स दिवस' मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एचआईवी-एड्स के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का प्रतीक है। इस दिन का मकसद एचआईवी और एड्स के बारे में सही जानकारी फैलाना, लोगों के मन से डर और गलत धारणाएं दूर करना, जो लोग इस वायरस के साथ जी रहे हैं उन्हें प्यार और सहारा देना और जो लोग एड्स से जा चुके हैं उन्हें याद करना है। इस साल की थीम पर नजर डालें तो वह है, “व्यवधान पर विजय, एड्स प्रत्युत्तर में सुधार।” 

कई नजरिए से महत्वपूर्ण है इस साल की थीम

यह कई नजरिए से महत्वपूर्ण है। इस बीमारी को लेकर समाज में तरह-तरह की बातें होती आई हैं। अपर्याप्त जानकारी, जागरूकता का अभाव भी मरीजों की समस्याओं या पीड़ा को बढ़ाने वाला रहा है। वहीं, दुनिया के कई हिस्सों में फैले युद्ध, गरीबी और भेदभाव ने भी बड़ी संख्या में लोगों को इलाज से दूर कर दिया। हालांकि, वैश्विक स्तर पर कई संस्थाएं और देश इसके लिए बढ़-चढ़कर काम करते आए हैं, जो काफी हद तक सहायक रही हैं। 

1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की थी शुरूआत

 'विश्व एड्स दिवस' की शुरुआत साल 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की थी। तब से हर साल दुनियाभर की सरकारें, संस्थाएं और आम लोग एक साथ इस बीमारी के खिलाफ आवाज उठाते आए हैं। दुनिया के साथ भारत में इस दिन को महत्वपूर्ण तरीके से मनाया जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय और नाको (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) के नेतृत्व में पूरे देश में जागरूकता कैंप, मुफ्त जांच कैंप, स्कूल-कॉलेजों में प्रोग्राम और टीवी-रेडियो-सोशल मीडिया पर मैसेज चलाए जाते हैं। 

एचआईवी अब लाइलाज बीमारी नहीं 

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एचआईवी कोई लाइलाज बीमारी नहीं रही। अगर समय पर जांच हो और दवा शुरू हो जाए तो व्यक्ति पूरी उम्र बिल्कुल नॉर्मल और स्वस्थ रह सकता है। ऐसे में जागरुकता पर खासा जोर रहता है। अकेले भारत के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह सकारात्मक रही है। भारत ने एचआईवी-एड्स के खिलाफ शानदार जीत हासिल की है। 

Advertisment

मौत के आंकड़ों में 81 प्रतिशत गिरावट

साल 2024 से पहले देश में हर साल एड्स से करीब 1 लाख 73 हजार लोग मर जाते थे, लेकिन 2024 में यह संख्या घटकर सिर्फ 32,200 रह गई है, यानी 81 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। 18 लाख से ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव लोगों को सरकार पूरी तरह मुफ्त दवा (एआरटी) दे रही है, 94 प्रतिशत मरीज दवा नियमित ले रहे हैं और 97 प्रतिशत मरीजों में वायरस इतना दब चुका है कि वो न बीमार पड़ते हैं और न किसी को संक्रमण देते हैं। इस वजह से एचआईवी अब एड्स में नहीं बदल पाता और लोग बिल्कुल स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। 

दुनिया भर में छह लाख से अधिक मौतें होती हैं 

दुनिया में आज भी हर साल 6 लाख 30 हजार लोगों की एड्स से मौत होती है। भारत दुनिया को 70 प्रतिशत सस्ती दवाएं भी दे रहा है, जिससे अफ्रीका से लेकर एशिया तक के लाखों लोगों को मदद मिलती है। संयुक्त राष्ट्र का 95-95-95 लक्ष्य (95 प्रतिशत लोगों को पता हो, 95 प्रतिशत को दवा मिले, 95 प्रतिशत में वायरस दब जाए) भारत लगभग पूरा कर चुका है।

World AIDS Day 2025
Advertisment
Advertisment