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परमाणु परीक्षण की होड़ ने दी World War-3 की चेतावनी, जानें किन देशों के पास हैं कितने Nuclear Weapons? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । डोनाल्ड ट्रंप के विस्फोटक खुलासे ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है। उन्होंने दावा किया है कि पाकिस्तान, रूस और चीन समेत कई देश चोरी-छिपे परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं, जिसके जवाब में अब अमेरिका को भी अपने परीक्षण फिर से शुरू करने होंगे। क्या परमाणु हथियारों की होड़ Nuclear Weapons Race फिर शुरू हो गई है? आखिर क्यों ये देश अपनी गुप्त परमाणु शक्ति बढ़ा रहे हैं? जानें, इस नई वैश्विक होड़ का भारत और दुनिया पर क्या असर पड़ेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सनसनीखेज इंटरव्यू में दुनिया को चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने सीधे तौर पर रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान जैसे देशों पर सक्रिय रूप से परमाणु हथियारों का परीक्षण करने का आरोप लगाया है। यह आरोप ऐसे समय में आया है जब दुनिया पहले से ही भू-राजनीतिक तनावों से जूझ रही है।
ट्रंप ने 'सीबीएस न्यूज' के कार्यक्रम '60 मिनट्स' को दिए इंटरव्यू में कहा, "रूस परीक्षण कर रहा है, चीन भी कर रहा है, लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते। हम एक खुला समाज हैं, इसलिए हम बात करते हैं। जब बाकी देश परीक्षण कर रहे हैं, तो हमें भी करना होगा।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह बयान स्पष्ट करता है कि परमाणु हथियारों की होड़ जो शीत युद्ध के बाद धीमी पड़ गई थी, वह अब गुप्त रूप से फिर से शुरू हो चुकी है। अब सवाल उठता है क्या अमेरिका का पलटवार जरूरी है?
ट्रंप का तर्क सीधा है अमेरिका एकमात्र देश है जिसने दशकों से परीक्षण रोक रखा है, जबकि बाकी देश इस प्रतिबंध का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने साफ कहा, "हम परीक्षण करेंगे, क्योंकि वे परीक्षण कर रहे हैं और अन्य भी कर रहे हैं।"
यह घोषणा केवल एक बयान नहीं है, बल्कि एक गंभीर संकेत है कि अमेरिकी नीति में एक बड़ा बदलाव आने वाला है।
तीन दशक से भी अधिक समय बाद अमेरिका परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का विचार कर रहा है। याद रखें परमाणु हथियारों का परीक्षण एक देश की सैन्य शक्ति और भू-राजनीतिक प्रभुत्व की सबसे बड़ी निशानी है। यदि गुप्त परीक्षण हो रहे हैं, तो इसका सीधा मतलब है कि राष्ट्रों के बीच विश्वास का गहरा संकट है❓ आखिर क्यों हो रहा है गुप्त परीक्षण? जब दुनिया शांति और निरस्त्रीकरण की बात करती है, तो फिर ये देश क्यों अपनी परमाणु क्षमताओं को चुपके से बढ़ा रहे हैं? इसके पीछे कई जटिल कारण हैं।
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नई तकनीक का विकास: रूस ने हाल ही में उन्नत परमाणु-सक्षम हथियारों, जैसे 'पोसाइडन अंडरवॉटर ड्रोन' का परीक्षण किया है। इन नई और 'अभेद्य' तकनीकों को आज़माने के लिए परीक्षण ज़रूरी हैं।
प्रतिद्वंद्वी को डराना Deterrence: चीन और रूस सीधे तौर पर अमेरिका को अपनी क्षमता दिखाना नहीं चाहते, लेकिन गुप्त परीक्षणों से वे अपनी शक्ति बढ़ा रहे हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका दबदबा कायम रहे।
सुरक्षा दुविधा Security Dilemma: जब एक देश अपनी परमाणु शक्ति बढ़ाता है, तो पड़ोसी देश भी असुरक्षित महसूस करते हैं और जवाब में अपनी शक्ति बढ़ाते हैं। यह एक अंतहीन और खतरनाक चक्र है।
उत्तर कोरिया और पाकिस्तान का 'डर': उत्तर कोरिया और पाकिस्तान अपनी सैन्य क्षमता को तेजी से बढ़ा रहे हैं। उनके 'अस्थिर' रवैये को देखते हुए, बड़ी शक्तियों को अपनी निवारक क्षमता Deterrent Capability मजबूत करनी पड़ रही है।
परमाणु हथियारों की दुनिया, किसके पास कितनी ताकत?
यूएस प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के पास दुनिया को 150 बार नष्ट करने जितने परमाणु हथियार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से परमाणु हथियार कम करने पर चर्चा की थी। लेकिन, मौजूदा तनाव देखकर लगता है कि ये चर्चाएं बेअसर रहीं।
आइए, दुनिया के परमाणु संपन्न देशों और उनके अनुमानित हथियारों की संख्या पर एक नजर डालते हैं।
| देश | अनुमानित परमाणु हथियार | Stockpile स्थिति |
| रूस | 5977 | दुनिया में सबसे बड़ा भंडार। |
| अमेरिका | 5428 | रूस के बाद दूसरा सबसे बड़ा। |
| चीन | 350 | तेजी से विस्तार कर रहा। |
| फ्रांस | 290 | न्यूनतम निवारक क्षमता पर जोर। |
| ब्रिटेन | 225 | हाल ही में स्टॉक बढ़ाने की घोषणा की। |
| पाकिस्तान | 165 | भारत से अधिक। |
| भारत | 160 | 'पहले इस्तेमाल नहीं' की नीति No First Use. |
| इजरायल | 90 | अपुष्ट अस्पष्ट नीति Ambiguous Policy. |
| उत्तर कोरिया | 20-40 | लगातार परीक्षण कर रहा है। |
स्रोत: फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स, 2022 के अनुमान यह डेटा दिखाता है कि रूस और अमेरिका आज भी परमाणु शक्तियों में सबसे आगे हैं, लेकिन चीन, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों का बढ़ता स्टॉक चिंता का विषय है।
एक परमाणु हथियार की तीव्रता और उसका असर
आम लोगों के लिए यह समझना जरूरी है कि एक परमाणु हथियार कितना विनाशकारी हो सकता है।
विस्फोट से ऊर्जा Energy Release: परमाणु हथियारों की क्षमता 'किलोटन' हजार टन टीएनटी के बराबर या 'मेगाटन' दस लाख टन टीएनटी के बराबर में मापी जाती है।
हिरोशिमा बम: लिटिल बॉय लगभग 15 किलोटन।
नतीजा: लगभग 70000 लोग तुरंत मारे गए, कुल मिलाकर 140000 से अधिक जानें गईं।
आधुनिक थर्मोन्यूक्लियर हथियार: इनकी क्षमता सैकड़ों किलोटन से लेकर कुछ मेगाटन तक हो सकती है।
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क्या-क्या हो सकता है?
| असर Effect | विवरण Description |
| विस्फोटक तरंग Blast Wave | अत्यधिक दबाव वाली हवा की लहर जो इमारतों को धराशायी कर देती है। |
| ताप Thermal Radiation | अत्यधिक गर्मी सूर्य की सतह से अधिक जो मील दूर तक सब कुछ जला देती है और भयानक रूप से झुलसा देती है। |
| तात्कालिक विकिरण Initial Radiation | गामा किरणें और न्यूट्रॉन जो कोशिका क्षति और त्वरित मृत्यु का कारण बनते हैं। |
| रेडियोधर्मी फॉलआउट Fallout | धूल और राख जो वातावरण में फैलकर लंबी अवधि तक कैंसर और अन्य बीमारियां पैदा करती है। |
| ईएमपल्स EMP - Electromagnetic Pulse | शक्तिशाली विद्युत चुम्बकीय स्पंदन जो सभी इलेक्ट्रॉनिक्स, संचार और बिजली ग्रिड को नष्ट कर देता है। |
एक छोटे से शहर पर एक मेगाटन बम का हमला उस पूरे क्षेत्र को महीनों तक रहने लायक नहीं छोड़ेगा। यही कारण है कि 'परमाणु युद्ध' की कल्पना भी भयावह है।
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भारत और नई परमाणु होड़ देश की सुरक्षा के लिए क्या?
जब दुनिया परमाणु हथियारों का प्रदर्शन शुरू कर दे, तो भारत के लिए अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
India सख्त: 'नो फर्स्ट यूज़' No First Use - NFU नीति का पालन भारत की परमाणु नीति है कि वह पहले कभी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा, लेकिन अगर हमला होता है तो जबरदस्त जवाबी कार्रवाई करेगा। इस नीति को मजबूत बनाए रखना होगा।
निवारक क्षमता को मजबूत करना Strengthening Deterrence: भारत को अपनी परमाणु ट्रायड Nuclear Triad - जमीन, हवा और समुद्र से मार करने की क्षमता को और उन्नत करना होगा ताकि किसी भी गुप्त परीक्षण या खतरे का मुकाबला किया जा सके।
एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली ABM: किसी भी हमलावर मिसाइल को हवा में ही नष्ट करने के लिए भारत को अपनी ABM शील्ड को और मजबूत करना चाहिए।
कूटनीतिक दबाव: भारत को वैश्विक मंच पर परमाणु निरस्त्रीकरण की वकालत करते हुए उन देशों पर कूटनीतिक दबाव डालना चाहिए जो गुप्त रूप से परीक्षण कर रहे हैं।
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हवा में परमाणु हथियार नष्ट करना क्या संभव है और असर क्या होगा?
हां, एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल ABM प्रणाली से परमाणु हथियारों को हवा में नष्ट किया जा सकता है। भारत और अमेरिका दोनों ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं।
सफलता: अगर ABM सफल होता है, तो शहर को विनाश से बचाया जा सकता है।
असर: धरती पर विस्फोट जमीन से ऊपर होगा, जिससे विस्फोटक लहर का नुकसान कम होगा, लेकिन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स EMP से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रणाली को भारी नुकसान हो सकता है।
आसमान में हवा में नष्ट होने पर भी रेडियोधर्मी फॉलआउट फैल सकता है, हालांकि इसका घनत्व जमीन पर विस्फोट की तुलना में कम होगा। फिर भी, यह एक बड़ी पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चुनौती पेश करेगा।
क्या हम तीसरे विश्व युद्ध की कगार पर हैं?
डोनाल्ड ट्रंप का यह खुलासा वैश्विक अस्थिरता को एक नए स्तर पर ले गया है। परमाणु हथियारों की यह गुप्त दौड़ दिखाती है कि महाशक्तियां एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करतीं और गुप्त रूप से अपनी शक्ति बढ़ा रही हैं।
तीसरा विश्व युद्ध परमाणु हथियारों से लड़ा जाएगा या नहीं, यह एक बड़ा प्रश्न है, लेकिन एक बात तय है कि यदि बड़े देश अपने परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करते हैं, तो दुनिया एक नए और बेहद खतरनाक शीत युद्ध के युग में प्रवेश कर जाएगी। अब यह वैश्विक नेताओं पर निर्भर करता है कि वे इस विनाशकारी होड़ को रोकते हैं या अपनी जिद के आगे पूरी मानवता को खतरे में डालते हैं।
परमाणु हथियारों की दौड़ के संदर्भ में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि CTBT को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty: CTBT एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया में किसी भी स्थान पृथ्वी की सतह पर, वायुमंडल में, पानी के नीचे और भूमिगत पर परमाणु परीक्षणों को पूरी तरह से रोकना है।
CTBT क्या है और कब लागू हुई?
CTBT का उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना और परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को आगे बढ़ाना है। यह संधि दुनिया में नए परमाणु हथियारों के विकास को रोकने और मौजूदा हथियारों के उन्नयन को प्रतिबंधित करने में मदद करती है। यह संधि 10 सितंबर 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई थी और 24 सितंबर 1996 को हस्ताक्षर के लिए खोली गई।
यह संधि अभी तक आधिकारिक तौर पर लागू नहीं हुई है।
किन देशों ने हस्ताक्षर किए हैं?: CTBT पर अब तक 181 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। CTBT के प्रभावी होने के लिए, 44 विशिष्ट राज्यों जिन्हें 'Annex 2 States' कहा जाता है का इस पर हस्ताक्षर और पुष्टि करना आवश्यक है, जो परमाणु प्रौद्योगिकी रखते हैं।
भारत और CTBT पर रुख: भारत ने CTBT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। भारत का तर्क रहा है कि यह संधि भेदभावपूर्ण है, क्योंकि यह मौजूदा परमाणु हथियार संपन्न देशों को अपनी क्षमता बनाए रखने की अनुमति देती है, जबकि नए देशों को इसे विकसित करने से रोकती है। भारत व्यापक परमाणु निरस्त्रीकरण का पक्षधर रहा है, न कि केवल परीक्षण प्रतिबंध का।
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अब CTBT संधि के क्या मायने हैं?
अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप के खुलासे और रूस के CTBT से अपने अनुसमर्थन को रद्द करने की संभावना के बीच, इस संधि के मायने नाटकीय रूप से बदल गए हैं।
बढ़ता वैश्विक तनाव: भले ही CTBT लागू नहीं हुई है, इसने परमाणु परीक्षणों के खिलाफ एक मजबूत वैश्विक मानदंड Global Norm स्थापित किया था।
ट्रंप के दावे और रूस की संभावित वापसी: इस मानदंड को गंभीर रूप से कमजोर कर रही है, जिससे परमाणु हथियारों की होड़ फिर से शुरू होने का खतरा बढ़ गया है।
गुप्त परीक्षण की आशंका को बल: यदि शक्तिशाली देश गुप्त रूप से परीक्षण कर रहे हैं, जैसा कि दावा किया गया है, तो CTBT का मूल उद्देश्य खतरे में है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय निगरानी प्रणाली IMS की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय निगरानी Verification System: CTBT ने दुनिया भर में 300 से अधिक निगरानी स्टेशन International Monitoring System - IMS स्थापित किए हैं जो किसी भी परमाणु विस्फोट का पता लगाने में सक्षम हैं।
यह नेटवर्क आज भी सक्रिय है और किसी भी गुप्त परीक्षण को पकड़ने की कोशिश करता है, भले ही संधि लागू न हुई हो। CTBT आज भी परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन कुछ प्रमुख देशों जैसे अमेरिका, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया द्वारा इसकी पुष्टि न करना इसकी प्रभावशीलता में सबसे बड़ी बाधा है।
| संगठन का नाम | Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty Organization CTBTO |
| मुख्यालय | वियना, ऑस्ट्रिया |
| कार्य | संधि के प्रावधानों को लागू करना, अंतर्राष्ट्रीय सत्यापन प्रणाली IMS का संचालन करना, और सदस्य राज्यों के बीच परामर्श और सहयोग के लिए मंच प्रदान करना। |
| प्रमुख अंग | प्रारंभिक आयोग Preparatory Commission इसका मुख्य कार्य CTBT के लागू होने से पहले वैश्विक सत्यापन शासन Global Verification Regime स्थापित करना है। |
| अनंतिम तकनीकी सचिवालय Provisional Technical Secretariat | PTS यह IMS नेटवर्क के विकास और संचालन के लिए जिम्मेदार है। |
CTBT कमेटी की नीति कौन तय करता है?: CTBTO में नीति का निर्धारण सदस्य देशों द्वारा किया जाता है। मुख्य निर्णय प्रारंभिक आयोग के सत्रों में लिए जाते हैं, जिसमें सभी हस्ताक्षरकर्ता देश भाग लेते हैं। ये देश आपस में मिलकर संगठन के काम-काज, बजट और निगरानी प्रणाली के संचालन से संबंधित नीतियां तय करते हैं।
CTBT के अध्यक्ष कौन हैं?: अध्यक्ष Executive Secretary CTBTO के प्रशासनिक प्रमुख को कार्यकारी सचिव कहा जाता है, जो अनंतिम तकनीकी सचिवालय PTS का नेतृत्व करते हैं। वर्तमान में, डॉ. रॉबर्ट फ्लॉइड Dr. Robert Floyd CTBTO के कार्यकारी सचिव हैं। वह ऑस्ट्रेलिया से हैं।
प्रारंभिक आयोग के अध्यक्ष: प्रारंभिक आयोग के अध्यक्ष का पद वार्षिक रूप से सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के बीच घूमता रहता है।
Parmanu Parikshan | donald trump
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