Advertisment

वाह रे सुप्रीम कोर्ट, पहले लगवाए 2.6 करोड़ के शीशे, फिर हटाने में खर्चे 8.6 लाख

एक रिपोर्ट के मुताबिक शीशे का पार्टीशन डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल के दौरान 2.6 करोड़ रुपये की लागत से लगाया गया था। एक साल से भी कम समय में 8 लाख रुपये की अतिरिक्त लागत से हटा दिया गया है।

author-image
Shailendra Gautam
Supreme court

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः दूसरों को नसीहत देने वाले सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा काम किया है जिसकी जितनी खिंचाई की जाए वो कम है। पहले 2.6 करोड़ रुपये खर्च करके glass partition लगवाया गया। अब इसे हटाने में 8.6 लाख रुपये खर्च कर दिए गए। शीशे लगवाने और हटाने का काम महज एक साल के भीतर ही किया गया है। 

डीवाई चंद्रचूड़ ने लगवाया था शीशे का पैनल

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक शीशे का पार्टीशन डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल के दौरान 2.6 करोड़ रुपये की लागत से लगाया गया था। एक साल से भी कम समय में 8 लाख रुपये की अतिरिक्त लागत से हटा दिया गया है। चंद्रचूड़ नवंबर 2022 में सीजेआई बने थे। मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्होंने दो साल तक काम किया। डीवाई चंद्रचूड़ ने शीर्ष न्यायालय के आधुनिकीकरण और उसे और अधिक खुला बनाने के लिए कई सुधार किए। इनमें से सबसे अहम था, पांच कोर्टरूम्स के बाहर ऐतिहासिक गलियारों में शीशे का पार्टीशन। 

इस बदलाव का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के साथ परिसर को खूबसूरत और आरामदेह बनाना था। इसके जरिये सेंट्रल एयर कंडीशनिंग की सुविधा मिल रही थी। लेकिन बार एसोसिएशन ने इसका कड़ा विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) दोनों ने इस को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि शीशे के पैनल गलियारे में आवाजाही के लिए जगह को काफी कम कर देते हैं, जिससे व्यस्त समय में भीड़भाड़ बढ़ जाती है। वकीलों के लिए एक अदालत से दूसरी अदालत जाना मुश्किल हो जाता है। 

सीजेआई बनते ही गवई ने किया था हटाने का ऐलान

चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद एससीबीए ने उनके उत्तराधिकारी तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना से शीशों को हटाने का अनुरोध किया। बार एसोसिएशनों ने कहा कि कांच के पैनल सुप्रीम कोर्ट के गलियारों की सुंदरता को कम कर रहे हैं। हालांकि संजीव खन्ना ने इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया। लेकिन जैसे ही बीआर गवई मुख्य न्यायाधीश बने, उन्होंने सार्वजनिक रूप से कांच के पैनल हटाने का ऐलान कर दिया। इस मामले पर औपचारिक रूप से विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की बैठक बुलाई गई और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कांच के पैनल हटा दिए जाने चाहिए। कांच के पैनल जून 2025 में हटाए गए, जिससे गलियारे अपनी पारंपरिक खुली हालत में लौट आए। इंडिया टुडे ने जो आरटीआई लगाई थी उसमें बताया गया कि पैनल 2.6 करोड़ की लागत से लगे थे। हटाने का खर्च 8.6 लाख है। 

Supreme Court, glass panel, DY Chandrachud, CJI BR Gavai

Advertisment
Advertisment