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हिंदू धर्म में अमावस्या का अत्यधिक महत्व होता है। अगस्त में पड़ने वाली अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या या भादो अमावस्या कहते हैं। इस दिन विशेषकर पवित्र नदी में स्नान करने और दान देने की परंपरा होती है। वहीं, अमावस्या की तिथि पितरों का तर्पण करने के लिए भी शुभ होती है। ऐसे में अगस्त के महीने में पड़ने वाली भाद्रपद अमावस्या कब है, इस दिन किस मुहूर्त में स्नान और दान किया जा सकता है, साथ ही कैसे करें पितरों की पूजा।
कब है भाद्रपद अमावस्या
इस वर्ष भाद्रपद अमावस्या की तिथि 22 अगस्त की सुबह 11 बजकर 55 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 23 अगस्त की सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में 23 अगस्त को ही अमावस्या मनाई जाएगी। शनिवार के दिन पड़ने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या भी कहते हैं।
स्नान और दान का शुभ मुहूर्त
अमावस्या के दिन 23 अगस्त को सुबह 11 बजकर 55 मिनट से पहले तक स्नान और दान किया जा सकता है. इस समयावधि में स्नान और दान संपन्न करना बेहद शुभ होगा।
कैसे करें पितरों की पूजा
पितरों की पूजा करने के लिए या पितृ दोष (Pitra Dosh) से छुटकारा पाने के लिए अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पूजा करना बेहद शुभ होता है। पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए पवित्र नदी में अमावस्या के दिन स्नान किया जा सकता है।
इसके साथ ही, बहते जल में तिल प्रवाहित करना शुभ होता है। भाद्रपद अमावस्या पर नदी के तट पर पिंडदान करना भी शुभ होता है। इस दिन दान करना, दक्षिणा देना और जरूरतमंदों को भोजन करवाने पर भी पितृ प्रसन्न होते हैं।
पितरों का अपमान करने पर, घर में कलेश करने पर या फिर बड़ों का अनादर करने पर परिवार पर पितर नाराज हो जाते हैं। पितरों की नाराजगी से परिवार पर पितृ दोष लग जाता है। इस पितृ दोष को दूर करने के लिए अमावस्या की शाम पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शुभ होता है। hindu | Hindu festivals India | hindu festival | hindufestival | hindu god | hindu guru | Bhadrapada Amavasya 2025