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क्या ज़कात की रकम अपने भाई या बहन को दे सकते है? जानिए उलमा का जवाब

इस्लाम धर्म का पवित्र महीना रमज़ान अब अपने दूसरे पड़ाव में पहुंच गया है। इस महीने रोज़ा रखने के साथ ही बड़ी संख्या में मुसलमान गरीबों में ज़कात भी अदा करते है।

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Mohd. Arslan
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रमज़ान की प्रतीकात्मक तस्वीर Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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पवित्र महीना रमज़ान अब अपने दूसरे पड़ाव में पहुंच गया है। पूरे महीने मुसलमान इसमें रोज़ा रखकर अल्लाह की इबादत करते है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में अमीर और आर्थिक तौर पर अच्छी हैसियत रखने वाले मुसलमान ज़कात निकालते है। इस्लाम धर्म में ज़कात देना फ़र्ज़ बताया गया है। यह एक साल से रखे हुए पैसे, सोना और अन्य सामान की कीमत का ढाई प्रतिशत अदा करना होता है। 

इन नंबरों पर फोनकर पूछे सवाल

जकात और अन्य इस्लामी सवालों के लिए लखनऊ में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की अध्यक्षता में रमज़ान हेल्पलाइन जारी की गई है। रोजेदारों की दीनी और शरअई रहनुमाई के लिए वर्ष 2001 में रमजान हेल्पलाइन आरम्भ किया गया था। इस हेल्प लाइन से लोग फोन और e-mail के जरिए रोजा, नमाज, जकात ऐतिकाफ और दूसरे सवालात मुल्क और बाहर के मुल्कों से भी करते है। लोग इन नम्बरों 9415023970, और वेब साइट, www.farangimahal.in पर सवाल पूछ सकते है। महिलाओं से सम्बन्धित मसलों को मालूम करने के लिए सिर्फ महिलायें ही इस नम्बर पर फोन करें: 9415757455, 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 और e-mail: [email protected]

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जानिए इन सवालों के जवाब

सवाल: शौहर के जिम्मे मेहर की रकम थी वह कई सालों के बाद वह रकम मिली, तो क्या उस रकम की ज़कात गत सालों से है या मिलने के बाद?

जवाब : इस रकम की जकात का हिसाब मिलने के बाद से है।

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सवाल : क्या एक मस्जिद में एक ही आदमी ऐतिकाफ में बैठ सकता है या कई लोग।

जवाब : एक मस्जिद में जितने लोग चाहें ऐतिकाफ में बैठ सकते हैं अगर सारा मोहल्ला बैठना चाहे तो बैठ सकता है।

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सवाल : क्या जनाजे की नमाज के लिए तयम्मुम किया जा सकता है?

जवाब : जी हाँ ! किया जा सकता है।

 

सवाल : क्या जकात की रकम अपने भाई और बहिन को दे सकते हैं?

जवाब : अगर हकदार हो तों दे सकते हैं।

 

सवाल : क्या स‌का फित्र से दुकान का किराया अदा किया जा सकता है?

जवाब : जी नही! स‌का फित्र से दुकान का किराया नही अदा किया जा सकता है।

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