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जुलाई मास की कर्क संक्रांति पर बढ़ सकती हैं इन राशियों की मुसीबतें, सूर्य की पूजा ही उपचार

जुलाई में कर्क राशि में सूर्य गोचर होगा, कर्क संक्रांति के रूप में मनाया जाएगा। इस साल कर्क संक्रांति 16 जुलाई को है। यूं तो सूर्य का गोचर शुभ होता है, लेकिन राशि अनुसार इसके कुछ अशुभ परिणाम भी हो सकते हैं। जानें विस्तार से किस राशि पर क्या होगा असर....

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Mukesh Pandit
Kark samkranti
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संक्रांति का अर्थ है सूर्यका एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। यह एक खगोलीय घटना है जिसका हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। हरेक संक्रांति पर स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य देव की स्थिति में परिवर्तन होता है जिसे शुभ माना जाता है। साल में कुल 12 संक्रांतियां आती हैं क्योंकि सूर्य 12 राशियों से होकर गुजरते हैं और हर महीने एक राशि में प्रवेश करते हैं। इनमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इसके अलावा, अब जुलाई में कर्क राशि में सूर्य गोचर होगा जिसे कर्क संक्रांति के रूप में मनाया जाएगा। इस साल कर्क संक्रांति 16 जुलाई, बुधवार को है। यूं तो सूर्य का गोचर शुभ होता है, लेकिन राशि अनुसार इसके कुछ अशुभ परिणाम भी हो सकते हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि कर्क राशि में सूर्य गोचर का किन राशियों पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

दक्षिणायन काल की शुरुआत का प्रतीक 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कर्क संक्रांति तब होती है जब सूर्य मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करता है। वर्ष 2025 में कर्क संक्रांति 16 जुलाई को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, सूर्य देव इस दिन शाम 5:40 बजे कर्क राशि में गोचर करेंगे। यह समय उत्तरायण काल के समापन और दक्षिणायन काल की शुरुआत का प्रतीक है, जिसे ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पुण्य काल सुबह 5:40 बजे से शाम 5:40 बजे तक रहेगा, जबकि महा पुण्य काल दोपहर 3:22 बजे से शाम 5:40 बजे तक होगा।

कर्क संक्रांति का महत्व

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कर्क संक्रांति हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व रखती है। यह वह समय है जब सूर्य दक्षिणायन हो जाता है, जिसे देवताओं का शयन काल भी कहा जाता है। इस दौरान सकारात्मक ऊर्जा कमजोर पड़ती है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है, जिसके कारण कुछ राशियों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। धार्मिक दृष्टिकोण से, इस दिन सूर्य देव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। सूर्य की उपासना से कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, जिससे मान-सम्मान, धन-ऐश्वर्य और स्वास्थ्य में सुधार होता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य, और सूर्य मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है। मान्यता है कि सूर्य को जल अर्पित करने और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से जीवन के दोषों का शमन होता है। इसके अलावा, कर्क संक्रांति पर वस्त्र, तेल, और खाद्य पदार्थों का दान करना विशेष पुण्यकारी माना जाता है। उदाहरण के लिए, सुहागन महिलाओं को वस्त्र, बुजुर्गों को धोती, और बच्चों को हरे फल या नारंगी वस्त्र दान करने की सलाह दी जाती है।

किन राशियों पर पड़ेगा असर?

सूर्य का कर्क राशि में गोचर सभी 12 राशियों पर प्रभाव डालता है, लेकिन कुछ राशियों के लिए यह गोचर चुनौतियां ला सकता है। जानें कौन बचेगा...

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मेष राशि: मेष राशि वालों के लिए सूर्य का गोचर चौथे भाव में होगा, जो सुख, माता, और संपत्ति से संबंधित है। इस दौरान कार्यक्षेत्र में रुकावटें, विचारों को महत्व न मिलना, और स्वास्थ्य समस्याएं जैसे सिरदर्द या आंखों की परेशानी हो सकती है। अचानक खर्च बढ़ने से आर्थिक तनाव भी संभव है। उपाय: नियमित व्यायाम करें और सूर्य को जल अर्पित करें।

धनु राशि: धनु राशि वालों को इस गोचर के दौरान यात्रा और वाहन चलाने में सावधानी बरतनी होगी। छोटी-सी लापरवाही से शारीरिक चोट या धन हानि हो सकती है। सरकारी कार्यों में उलझन और संपत्ति से जुड़े निर्णयों में जोखिम की संभावना है। उपाय: धैर्य रखें और सूर्य मंत्रों का जाप करें।

मकर राशि: मकर राशि वालों के लिए सूर्य का गोचर सातवें भाव में होगा, जो दांपत्य जीवन और साझेदारी से संबंधित है। इस दौरान जीवनसाथी के साथ मतभेद या साझेदारी में तनाव की स्थिति बन सकती है। व्यवसाय में नए करार से पहले सावधानी बरतें। उपाय: गरीबों को गेहूं दान करें और रिश्तों में धैर्य बनाए रखें।

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कर्क राशि: कर्क राशि में सूर्य का गोचर पहले भाव में होगा, जो व्यक्तित्व और आत्म-छवि को प्रभावित करता है। इस दौरान स्वास्थ्य समस्याएं जैसे सिरदर्द, बुखार, या मानसिक तनाव हो सकता है। बुध के वक्री होने से भ्रम की स्थिति भी बन सकती है। उपाय: राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें और नियमित दिनचर्या अपनाएं।

अन्य राशियों पर प्रभाव

कन्या और मीन राशि: इन राशियों को मंगल के गोचर से लाभ हो सकता है, लेकिन सूर्य के प्रभाव से स्वास्थ्य और वित्तीय मामलों में सावधानी बरतनी होगी।

वृष, तुला, और वृश्चिक: इन राशियों के लिए यह गोचर मिश्रित परिणाम देगा। करियर में अवसर मिल सकते हैं, लेकिन परिवार और स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी होगा।

कर्क संक्रांति के दौरान ये करें उपाय 

सूर्य पूजा: प्रात:काल सूर्योदय से पहले स्नान करें और तांबे के पात्र में मिश्री मिला जल सूर्य को अर्पित करें। दान-पुण्य: गेहूं, गुड़, मसूर, और चावल का दान करें। आदित्य हृदय स्तोत्र या "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें। अनियमित खान-पान और तनाव से बचें। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार अपनाएं। अनावश्यक खर्चों से बचें और निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। कर्क संक्रांति 2025 एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय और धार्मिक घटना है, जो सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश और दक्षिणायन की शुरुआत का प्रतीक है। यह समय आत्म-चिंतन, सूर्य उपासना, और दान-पुण्य के लिए शुभ है। हालांकि, मेष, धनु, मकर, और कर्क राशि वालों को विशेष सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि इस गोचर से स्वास्थ्य, वित्त, और रिश्तों में चुनौतियां आ सकती हैं। उचित उपाय और सतर्कता के साथ इस अवधि को सकारात्मक दिशा में मोड़ा जा सकता है।

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