Advertisment

जानिए कब है चैत्र अमावस्या, तर्पण करते समय करें इस स्तोत्र का पाठ, पितृ दोष से मिलेगा छुटकारा

हिंदू धर्म में चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व है। 29 मार्च यानी शनिवाप को चैत्र मास के कृष्ण कीअमावस्या तिथि है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या भी कहा जाता है।

author-image
Mukesh Pandit
chatra Amavasya

chatra Amavasya

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Chaitra Amavasya 2025:हिंदू धार्मिक अनुष्ठान हिंदू धर्म में चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व है। 29 मार्च यानी शनिवाप को चैत्र मास के कृष्ण कीअमावस्या तिथि है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा एवं दूसरी पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं। 

Advertisment

इसके पश्चात भगवान शिव अर्थात महादेव की संपूर्ण भक्ति भाव से पूजा की जाती है। कहा जाता है कि शनि अमावस्या पर स्नान के उपरांत महा आशुतोष की भक्ति करने के सभी प्रकार के कष्टों से लाभ मिलता है और यह पूजा बेहद फलदायी होती है। साथ ही दान और पुण्य कर्म भी किया जाता है। शनि अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। हालांकि यह सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखाई देखा। 

इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण

29 मार्च 2025 को आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। यह भारतीय समयानुसार दोपहर 2:20 बजे शुरू होगा और शाम 6:16 बजे समाप्त होगा। इस दौरान चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ढक लेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल (ग्रहण से पहले का अशुभ समय) यहां मान्य नहीं होगा। यद्यपि, जिन क्षेत्रों में यह दिखेगा (मसलन यूरोप, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, एशिया के कुछ हिस्से), वहां खगोलीय घटनाओं के प्रति उत्साही लोग इसे देख सकेंगे। ज्योतिषीय रूप से, यह मीन राशि और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में होगा, जिसका प्रभाव कुछ राशियों पर पड़ सकता है।

Advertisment

शनि का मीन राशि में गोचर

इसी दिन शनि कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे और 3 जून 2027 तक वहां रहेंगे। यह 100 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है। शनि का राशि परिवर्तन एक बड़ी ज्योतिषीय घटना है। यह धनु, मिथुन, और कर्क राशि के लिए शुभ हो सकता है, जहां मान-सम्मान, करियर में सफलता और नए अवसर मिलने की संभावना है। वहीं, मेष, कर्क, और वृश्चिक राशि वालों को सावधान रहने की जरूरत हो सकती है, क्योंकि यह बदलाव चुनौतियां ला सकता है।

मीन राशि में ग्रहों का महासंयोग

Advertisment

इस दिन सूर्य, राहु, शुक्र, बुध, और चंद्रमा सभी मीन राशि में मौजूद होंगे, जिससे एक दुर्लभ ग्रह संयोग बनेगा। यह संयोग ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। मीन राशि वालों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है, जिसमें भावनात्मक उतार-चढ़ाव, आध्यात्मिक जागरूकता, या जीवन में बड़े बदलाव शामिल हो सकते हैं। अन्य राशियों पर भी अप्रत्यक्ष प्रभाव संभव है, खासकर करियर और व्यक्तिगत जीवन में।

चैत्र नवरात्र की पूर्व संध्या

विवरण: 30 मार्च से चैत्र नवरात्र शुरू होगें, जो हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। 29 मार्च इसकी पूर्व संध्या होगी। यह समय आध्यात्मिक और धार्मिक तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य ग्रहण और शनि के गोचर के साथ यह संयोग कुछ लोगों के लिए नई शुरुआत का संकेत दे सकता है। हालांकि, ग्रहण के प्रभाव से कुछ राशियों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।

Advertisment

गंगा स्नान करके करें महादेव की पूजा

गुरुड़ पुराण में निहित है कि चैत्र अमावस्या पर गंगा स्नान कर महादेव जी की पूजा करने से जाने-अनजाने में किये गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भक्त पर मां गंगा की कृपा बरसती है। यदि कोई श्रद्धा भाव से अमावस्या तिथि पर महादेव की पूजा करते हैं। उन्हें परम सुख और धन-संपदा की प्राप्ति होती है। अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान भी किया जाता है। अगर आप भी पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण अवश्य करें। इससे पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। साथ ही तर्पण के समय इन स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

गंगा स्तोत्र का पाठ करें:

ॐ नमः शिवायै गंगायै, शिवदायै नमो नमः।
नमस्ते विष्णु-रुपिण्यै, ब्रह्म-मूर्त्यै नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते रुद्र-रुपिण्यै, शांकर्यै ते नमो नमः।
सर्व-देव-स्वरुपिण्यै, नमो भेषज-मूर्त्तये।।
सर्वस्य सर्व-व्याधीनां, भिषक्-श्रेष्ठ्यै नमोऽस्तु ते।
स्थास्नु-जंगम-सम्भूत-विष-हन्त्र्यै नमोऽस्तु ते।।
संसार-विष-नाशिन्यै, जीवानायै नमोऽस्तु ते।
ताप-त्रितय-संहन्त्र्यै, प्राणश्यै ते नमो नमः।।
शन्ति-सन्तान-कारिण्यै, नमस्ते शुद्ध-मूर्त्तये।
सर्व-संशुद्धि-कारिण्यै, नमः पापारि-मूर्त्तये।।
भुक्ति-मुक्ति-प्रदायिन्यै, भद्रदायै नमो नमः।
भोगोपभोग-दायिन्यै, भोग-वत्यै नमोऽस्तु ते।।
मन्दाकिन्यै नमस्तेऽस्तु, स्वर्गदायै नमो नमः।
नमस्त्रैलोक्य-भूषायै, त्रि-पथायै नमो नमः।।
नमस्त्रि-शुक्ल-संस्थायै, क्षमा-वत्यै नमो नमः।
त्रि-हुताशन-संस्थायै, तेजो-वत्यै नमो नमः।।
नन्दायै लिंग-धारिण्यै, सुधा-धारात्मने नमः।
नमस्ते विश्व-मुख्यायै, रेवत्यै ते नमो नमः।।
बृहत्यै ते नमस्तेऽस्तु, लोक-धात्र्यै नमोऽस्तु ते।
नमस्ते विश्व-मित्रायै, नन्दिन्यै ते नमो नमः।।
पृथ्व्यै शिवामृतायै च, सु-वृषायै नमो नमः।
परापर-शताढ्यै, तारायै ते नमो नमः।।
पाश-जाल-निकृन्तिन्यै, अभिन्नायै नमोऽस्तु ते।
शान्तायै च वरिष्ठायै, वरदायै नमो नमः।।
उग्रायै सुख-जग्ध्यै च, सञ्जीविन्यै नमोऽस्तु ते।
ब्रह्मिष्ठायै-ब्रह्मदायै, दुरितघ्न्यै नमो नमः।।
प्रणतार्ति-प्रभञजिन्यै, जग्मात्रे नमोऽस्तु ते।
सर्वापत्-प्रति-पक्षायै, मंगलायै नमो नमः।।
शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे।
सर्वस्यार्ति-हरे देवि! नारायणि ! नमोऽस्तु ते।।
निर्लेपायै दुर्ग-हन्त्र्यै, सक्षायै ते नमो नमः।
परापर-परायै च, गंगे निर्वाण-दायिनि।।
गंगे ममाऽग्रतो भूया, गंगे मे तिष्ठ पृष्ठतः।
गंगे मे पार्श्वयोरेधि, गंगे त्वय्यस्तु मे स्थितिः।।
आदौ त्वमन्ते मध्ये च, सर्व त्वं गांगते शिवे!
त्वमेव मूल-प्रकृतिस्त्वं पुमान् पर एव हि।।
गंगे त्वं परमात्मा च, शिवस्तुभ्यं नमः शिवे।।

पितृ कवच
कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥
तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥
उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

hindu religion hindi religious festion religious tolerance Hindu Religious Practices हिंदू धार्मिक अनुष्ठान
Advertisment
Advertisment