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Diwali 2025 : पुराने दीपक जलाना शुभ या अशुभ? क्या है फलदायी तरीका? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।दीपावली 2025 क्या आप भी पिछली दिवाली के दीयों को दोबारा जलाने की सोच रहे हैं? नियमों की अनदेखी आपके घर की सुख-समृद्धि रोक सकती है मिट्टी के दीपक, यम दीपक और धातु के दीयों को लेकर शास्त्र क्या कहते हैं, इसका सीधा जवाब यहां मिलेगा। जानें दिवाली पर दीप प्रज्वलन का सही और अत्यंत शुभ तरीका क्या है जो मां लक्ष्मी की कृपा दिलाएगा। दिवाली 2025 में पुराने दीयों का सच- कहीं आप भी तो नहीं कर रहे वर्षों पुरानी गलती?
20 अक्टूबर 2025 को जब पूरे देश में अंधकार पर प्रकाश की जीत का महापर्व दिवाली मनाया जाएगा, तब हर घर जगमग होगा। यह पर्व सिर्फ रौशनी का नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और मां लक्ष्मी के घर आगमन का प्रतीक है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि जिस दीपक को आप जलाते हैं, वह 'नया' होना चाहिए या 'पुराना' भी चल जाएगा? यह सवाल जितना साधारण है, इसके धार्मिक और वैज्ञानिक मायने उतने ही गहरे हैं।
वर्षों से लोग अनजाने में एक गलती करते आ रहे हैं, जो उनकी दिवाली पूजा के फल को कम कर सकती है।
हमने इस दिवाली से जुड़े एक अहम नियम की तह तक जाने की कोशिश की है। आपके घर में इस्तेमाल हो रहे मिट्टी और धातु के दीपक के नियम क्या हैं और पुराने दीपकों का क्या करना चाहिए? मिट्टी के दीपक दीये दोबारा जलाने पर क्यों है 'मनाही'?
मिट्टी के दीये भारतीय संस्कृति में सबसे पवित्र माने जाते हैं, क्योंकि वे पंच तत्वों में से एक 'पृथ्वी' तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। परंपरानुसार, मिट्टी के पात्रों को "एकल प्रयोग" Single Use के लिए ही शुभ माना जाता है, खासकर पूजा-पाठ में।
जानें प्रमुख कारण नकारात्मक ऊर्जा का अवशोषण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार जलने के बाद मिट्टी का दीपक अपने आसपास की कुछ नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है। इसे दोबारा जलाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह 'नकारात्मकता' को फिर से घर में सक्रिय कर सकता है।
खण्डित होने का खतरा: मिट्टी के दीये बहुत नाजुक होते हैं। थोड़ा भी टूटा या 'खण्डित' दीपक जलाना शास्त्रों में 'अत्यंत अशुभ' बताया गया है। इससे घर में धन और समृद्धि की हानि होती है। पुरानी दीये अक्सर कहीं न कहीं से चटक जाते हैं। याद रखें दिवाली की मुख्य लक्ष्मी पूजा में इस्तेमाल किए गए मिट्टी के दीयों को दोबारा प्रयोग करना लगभग हर धार्मिक विद्वान अशुभ मानता है।
क्या यम दीपक पर भी लागू होता है यह नियम? नहीं, यह एक बड़ा अपवाद है धनतेरस या नरक चतुर्दशी छोटी दिवाली की रात को, घर के बाहर यमदेव के लिए एक खास दीपक जलाया जाता है- जिसे यम दीपक कहते हैं। यह दीपक परिवार को 'अकाल मृत्यु' से बचाने के लिए यमराज को समर्पित होता है।
परंपरा कहती है कि इस यम दीपक को सरसों के तेल के साथ, पुराने मिट्टी के दीये में जलाया जा सकता है। यह अकेला ऐसा मिट्टी का दीपक है, जिसे धार्मिक उद्देश्य से पुराना इस्तेमाल करने की अनुमति है।
सीधा जवाब: मुख्य दिवाली पूजा के लिए नए मिट्टी के दीये, लेकिन यम दीपक के लिए पुराना दीया इस्तेमाल किया जा सकता है।
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धातु के दीपक: इन्हें दोबारा जलाना क्यों है शुभ?
यदि आपके घर के पूजा कक्ष में पीतल, चांदी या अन्य धातु के दीपक हैं, तो नियम पूरी तरह बदल जाता है। सफाई और पवित्रता धातु को 'शाश्वत' और 'पवित्र' माना जाता है। इन्हें अच्छी तरह से साफ करके, धोकर और फिर से अग्नि प्रज्वलित करके इस्तेमाल किया जा सकता है।
पर्यावरण जिम्मेदारी: धातु के दीपक बार-बार इस्तेमाल करके आप पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभाते हैं। इन्हें दोबारा जलाना शुभ ही नहीं, बल्कि एक अच्छी आदत है। दिवाली के बाद पुराने मिट्टी के दीपकों का क्या करना चाहिए?
पुराने दीपकों का सही 'विसर्जन' या 'पुनः उपयोग'
अगर आपने इस साल नए मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल किया है, तो दिवाली के बाद उनका क्या करें? धार्मिक मान्यताएं और व्यवहारिक सुझाव दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।
विसर्जन Disposal के दो सबसे शुभ तरीके पवित्र जल में प्रवाहित दीयों को किसी पवित्र नदी, तालाब या बहते जल में प्रवाहित कर देना सबसे शुभ माना जाता है। यह नकारात्मकता को जल तत्व में विसर्जित करता है।
पवित्र वृक्ष के नीचे यदि जल स्रोत उपलब्ध नहीं है, तो आप इन दीयों को किसी पवित्र पेड़ जैसे पीपल या तुलसी के पौधे के नीचे आदरपूर्वक रख सकते हैं।
चेतावनी: दीयों को कूड़ेदान में फेंकना या पैर लगने वाली जगह पर रखना माता लक्ष्मी का अनादर माना जाता है।
सजावट में पुनः उपयोग Artistic Reuse
यदि आप मिट्टी के दीयों को विसर्जित नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें पूजा के उद्देश्य से हटाकर केवल सजावट या कलात्मक कार्यों में इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्हें रंगकर, चमकीला बनाकर घर की सजावट में शामिल करना एक रचनात्मक तरीका है।
दिवाली पर दीपक जलाने के 5 सबसे अहम नियम
दीपावली पर दीपकों की संख्या, दिशा और उन्हें जलाने के तरीके को लेकर कई नियम हैं। इन नियमों का पालन करने से घर में मां लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है।
नियम | विवरण | क्यों महत्वपूर्ण? |
दिशा का नियम | दीपक हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जलाएं। यम दीपक हमेशा दक्षिण में ही जलाना चाहिए। | पूर्व-उत्तर दिशा धन और स्वास्थ्य के लिए शुभ मानी जाती है। दक्षिण यमराज की दिशा है। |
संख्या का नियम | दीपक की संख्या विषम Odd होनी चाहिए, जैसे 5 7 11 21 या 51। | विषम संख्या को 'पूर्ण' और शुभ ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। |
पहला दीपक | पूजा शुरू करते समय सबसे पहला दीपक मंदिर में 'घी' का जलाना चाहिए। | घी का दीपक शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक है, जो पूजा को तुरंत सफल बनाता है। |
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अखंड ज्योति नियम
पूजा के दौरान या पूरी रात दीपक किसी भी हाल में बुझना नहीं चाहिए। दीपक का बुझना 'शुभ कार्य में विघ्न' और लक्ष्मी के अनादर का संकेत माना जाता है।
एक से दूसरा न जलाएं: धार्मिक रूप से एक दीपक से दूसरे दीपक को जलाना अशुभ माना जाता है। इसे 'ऊर्जा का संक्रमण' माना जाता है, जो नकारात्मकता फैला सकता है। प्रत्येक दीपक को अलग से जलाना चाहिए।
20 अक्टूबर 2025 की दिवाली
शुभ स्थानों पर दीप प्रज्वलन दिवाली की रात कुछ खास स्थानों पर दीपक जलाना 'कुबेर' धन के देवता और 'मां लक्ष्मी' को तुरंत आकर्षित करता है।
घर का मुख्य द्वार: मुख्य द्वार पर दीपक जलाते समय उसकी लौ हमेशा 'घर के अंदर' की ओर रखें, ताकि लक्ष्मी बाहर न जाएं।
तुलसी चौरा और पीपल वृक्ष: तुलसी के पास और संभव हो तो पीपल के पेड़ के नीचे दीपक अवश्य जलाएं।
रसोई का आग्नेय कोण: रसोई का दक्षिण-पूर्व कोना आग्नेय कोण अग्नि देव का स्थान है। यहां दीपक जलाने से घर में अन्न की कमी नहीं होती।
शयन कक्ष/बाथरूम: इन स्थानों पर दीपक जलाना वर्जित माना जाता है। 20 अक्टूबर 2025 की दिवाली पर नए मिट्टी के दीयों का प्रयोग करें और धातु के दीपकों को साफ कर दोबारा जलाएं।
यम दीपक के लिए पुराने दीये का इस्तेमाल एक अपवाद है। इन छोटे लेकिन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करके आप निश्चित रूप से अपनी दिवाली को अधिक शुभ और समृद्ध बना सकते हैं।
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