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हिंदू धर्म में रविवार, जिसे रवि या सूर्य का दिन कहा जाता है, सूर्य देव की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित है। सूर्य को नवग्रहों का राजा और जीवन का आधार माना जाता है, क्योंकि वे ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि का स्रोत हैं। रवि योग, जो कुछ विशेष नक्षत्रों और तिथियों के संयोग से बनता है, इस दिन को और भी शुभ बनाता है। रविवार को सूर्य पूजा करना एक प्राचीन और प्रभावी परंपरा है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य लाती है। यह पूजा न केवल कुंडली के दोषों को दूर करती है, बल्कि व्यक्ति को आत्मविश्वास, यश और मानसिक शांति प्रदान करती है। रवि योग में यह पूजा और भी फलदायी होती है। नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य, मंत्र जाप और सूर्य नमस्कार के साथ इस पूजा को अपनाकर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देख सकते हैं। सूर्य देव की कृपा से आपका जीवन तेज और ऊर्जा से भरपूर होगा।
सूर्य पूजा की विधि
सूर्य पूजा की विधि सरल और वैदिक परंपराओं पर आधारित है। इसे सूर्योदय के समय करना सबसे उत्तम माना जाता है। नीचे पूजा की विधि चरणबद्ध रूप में दी गई है:
1. प्रातःकाल की तैयारी
स्नान और शुद्धिकरण: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले) में उठकर स्नान करें। स्वच्छ लाल या केसरिया वस्त्र धारण करें, क्योंकि ये रंग सूर्य से संबंधित हैं।
पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ करें और पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। सूर्य की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
2. सामग्री संग्रह
तांबे का लोटा, जल, रोली, अक्षत (चावल), लाल फूल (गुड़हल या कमल), गुड़, धूप, दीप, चंदन, मिठाई या फल (भोग के लिए)।
वैकल्पिक: सूर्य यंत्र या सूर्य मंत्र की पुस्तक।
3. सूर्य को अर्घ्य अर्पण
तांबे के लोटे में जल लें और इसमें रोली, लाल फूल, अक्षत और थोड़ा गुड़ मिलाएं।
सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हों। दोनों हाथों से लोटा पकड़ें और सूर्य की ओर जल की धारा अर्पित करें।
अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें:
"ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" या "ॐ घृणिः सूर्याय नमः"।
कम से कम 3 बार अर्घ्य दें।
4. पूजा और मंत्र जाप
चौकी पर सूर्य की मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप-दीप जलाएं। चंदन का तिलक लगाएं और लाल फूल अर्पित करें।
सूर्य के 12 नामों का जाप करें:
ॐ मित्राय नमः, ॐ रवये नमः, ॐ सूर्याय नमः, ॐ भानवे नमः, ॐ खगाय नमः, ॐ पूष्णे नमः, ॐ हिरण्यगर्भाय नमः, ॐ मरीचये नमः, ॐ आदित्याय नमः, ॐ सवित्रे नमः, ॐ अर्काय नमः, ॐ भास्कराय नमः।
आदित्य हृदय स्तोत्र या सूर्य अष्टकम का पाठ करें। यह सूर्य की स्थिति को कुंडली में मजबूत करता है।
भोग के रूप में गुड़, गेहूं का हलवा या फल अर्पित करें।
5. आरती और प्रार्थना
सूर्य की आरती करें: "ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान..."।
अपनी मनोकामनाएं सूर्य देव के सामने रखें और उनसे आशीर्वाद मांगें
पूजा के अंत में सूर्य को प्रणाम करें और जल का प्रसाद ग्रहण करें।
6. दान और उपाय
रविवार को गुड़, गेहूं, लाल वस्त्र या तांबे की वस्तुओं का दान करें।
मछलियों को आटे की गोलियां खिलाना या गाय को भीगा हुआ गेहूं देना शुभ माना जाता है।
सूर्य पूजा के लाभ
सूर्य पूजा के अनेक शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ हैं, जो निम्नलिखित हैं:
कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है: ज्योतिष में सूर्य आत्मा, यश, नेतृत्व और स्वास्थ्य का कारक है। यदि कुंडली में सूर्य कमजोर हो, तो व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी, सरकारी कार्यों में बाधा या पिता से संबंधों में तनाव हो सकता है। सूर्य पूजा इन दोषों को दूर करती है।
स्वास्थ्य में सुधार: सूर्य पूजा से शरीर में विटामिन डी का अवशोषण बढ़ता है, जो हड्डियों, त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। यह कुष्ठ रोग जैसी बीमारियों के प्रभाव को भी कम करता है।
मानसिक शांति और आत्मविश्वास: सूर्य की ऊर्जा मानसिक तनाव को कम करती है और आत्मविश्वास बढ़ाती है। यह विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।
सुख-समृद्धि और यश: सूर्य पूजा से समाज में मान-सम्मान, नौकरी में तरक्की और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है। यह विवाह में देरी जैसी समस्याओं को भी हल करती है
नकार कष्टों से मुक्ति: रवि योग में सूर्य पूजा अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करती है और जीवन में सकारात्मकता लाती है।
सूर्य पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है, जो जीवन का आधार हैं। वे न केवल पृथ्वी को ऊर्जा प्रदान करते हैं, बल्कि आत्मा और बुद्धि के प्रतीक भी हैं। सूर्य को नवग्रहों का राजा कहा जाता है, और उनकी पूजा से सभी ग्रहों की शांति होती है। रवि योग, जो रविवार को विशेष नक्षत्रों के संयोग से बनता है, इस दिन को और शुभ बनाता है। इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं, और सूर्य पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
सूर्य पूजा का महत्व वैदिक काल से चला आ रहा है। रामायण में वर्णित आदित्य हृदय स्तोत्र को भगवान राम ने सूर्य की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा था। यह स्तोत्र आज भी शक्ति और विजय का प्रतीक है। सूर्य नमस्कार, जो सूर्य पूजा का योगिक रूप है, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
सूर्य पूजा का एक अन्य महत्व यह है कि यह व्यक्ति को प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देती है। सूर्य के बिना जीवन संभव नहीं है, और उनकी पूजा के माध्यम से हम प्रकृति के साथ अपने संबंध को मजबूत करते हैं। यह पूजा न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। पूजा के दौरान मांस, मदिरा, तेल या नमक का सेवन न करें। काले वस्त्र न पहनें, क्योंकि यह सूर्य की ऊर्जा के विपरीत है।