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गुप्त नवरात्रि, जो आषाढ़ मास (जून-जुलाई) में मनाई जाती है, हिंदू धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्व रखती है। यह नवरात्रि तांत्रिक साधकों और शक्ति उपासकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। वर्ष 2025 में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून से 5 जुलाई तक मनाई जाएगी। तीसरे दिन, 28 जून 2025 को, मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा शांति, साहस और समृद्धि की प्रतीक हैं, और उनकी पूजा से भक्तों के जीवन से नकारात्मकता और भय दूर होते हैं। यह लेख मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, महत्व और आवश्यक सामग्री पर 600 शब्दों में विस्तार से जानकारी प्रदान करता है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप और महत्व
मां चंद्रघंटा मां पार्वती का विवाहित रूप हैं। भगवान शिव से विवाह के बाद, मां ने अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण किया, जो घंटे के आकार का है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। उनका स्वर्णिम आभा वाला शरीर, दस भुजाएं, और सिंह पर सवारी उन्हें भव्य और शक्तिशाली बनाती है। उनके हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार, कमंडल, कमल, धनुष, बाण, और जपमाला जैसे शस्त्र और वस्तुएं हैं, जबकि अन्य दो हाथ वरद और अभय मुद्रा में हैं। मां चंद्रघंटा मणिपुर चक्र की अधिष्ठात्री हैं और सूर्य ग्रह की स्वामिनी मानी जाती हैं। उनकी पूजा से आत्मविश्वास, साहस, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह माना जाता है कि उनके मस्तक पर स्थित चंद्रघंटा की ध्वनि नकारात्मक शक्तियों और भूत-प्रेत को दूर करती है।
पूजा की तैयारी
प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ, विशेषकर पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि ये रंग मां चंद्रघंटा को प्रिय हैं। घर के मंदिर या पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि पहले दिन घटस्थापना नहीं की गई है, तो शुभ मुहूर्त (26 जून को सुबह 5:12 से 7:43 बजे तक) में कलश स्थापना करें। कलश में गंगाजल, सुपारी, दूर्वा, और आम के पत्ते डालें, और उस पर नारियल रखें। पूजा के लिए घी का दीपक, धूप, चंदन, कुमकुम, हल्दी, लाल फूल (विशेषकर कमल), मखाना खीर, दूध, मिठाई, फल, पान, सुपारी, और जौ का एक मिट्टी का बर्तन जिसमें बीज बोए गए हों, तैयार करें।
पूजा विधि
पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, फूल, और अक्षत लेकर मां चंद्रघंटा की पूजा का संकल्प लें। संकल्प में अपना नाम, गोत्र, और पूजा का उद्देश्य बताएं। मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और मंत्र "ॐ देवी चंद्रघण्टायै नमः" का जाप करते हुए उन्हें आमंत्रित करें।
पंचोपचार पूजा:
दीपक: घी का दीपक जलाएं और मां को अर्पित करें।
धूप: धूपबत्ती जलाकर मां को समर्पित करें।
पुष्प: लाल कमल या चमेली के फूल चढ़ाएं।
गंध: चंदन और कुमकुम का तिलक लगाएं।
नैवेद्य: मखाना खीर, दूध, और मिठाई का भोग लगाएं।
मंत्र जाप: इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें:
"पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥"
इसके अतिरिक्त, ध्यान मंत्र का पाठ करें:
"वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्। सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥"
दुर्गा सप्तशती और चालीसा: दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, विशेषकर तीसरा अध्याय, जो मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में मां चंद्रघंटा की आरती करें। आरती के लिए कपूर जलाएं और "जय माता दी" की धुन में आरती गाएं। पूजा के बाद भोग को प्रसाद के रूप में परिवार और पड़ोसियों में बांटें।
शुभ मुहूर्त
28 जून 2025 को तृतीया तिथि पूरे दिन रहेगी। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 से दोपहर 12:35 बजे तक और विजय मुहूर्त दोपहर 2:20 से 3:25 बजे तक रहेगा। इन समयों में पूजा करना विशेष फलदायी होगा। सात्विक भोजन करें और लहसुन, प्याज, और तामसिक भोजन से बचें। पूजा के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें।
गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा से भक्तों को मानसिक शांति, साहस, और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। यह पूजा न केवल भौतिक सुख प्रदान करती है, बल्कि जीवन के कष्टों और नकारात्मकता को भी दूर करती है। विधि-विधान से की गई पूजा मां की कृपा को आकर्षित करती है। गुप्त नवरात्रि की गोपनीयता और तांत्रिक महत्व को बनाए रखते हुए, इस पवित्र अवसर पर मां चंद्रघंटा की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से जीवन को समृद्ध बनाएं। Hindu festivals | hindu god | hinduism not present in content