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हलषष्ठी, जिसे बलराम जयंती के रूप में भी जाना जाता है, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान बलराम, श्रीकृष्ण के बड़े भाई, को समर्पित है। बलरामजी को हलधर भी कहा जाता है, क्योंकि उनका प्रमुख शस्त्र हल (नांगर) है। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में उत्साह के साथ मनाया जाता है।
किसानों और कृषि से जुड़ा पर्व
हलषष्ठी, अथवा बलराम जयंती का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि यह किसानों और कृषि से जुड़ा पर्व है। बलरामजी को खेती और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन संतान की लंबी आयु और समृद्धि के लिए व्रत और पूजा की जाती है। यह पर्व माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जो अपने बच्चों की सुरक्षा और सुख के लिए यह व्रत रखती हैं। संतान की रक्षा के लिए इस दिन हल और मूसल की पूजा करें और गरीब बच्चों को दान दें। यह पर्व संतान, समृद्धि और कृषि की उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
हलषष्ठी उत्सव का महत्व
हलषष्ठी का पर्व ग्रामीण क्षेत्रों में खेती और पशुपालन से जुड़े लोगों के लिए विशेष उत्साह का दिन है। इस दिन लोग अपने खेतों और पशुओं की समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। कई जगहों पर मेले और धार्मिक आयोजन होते हैं। घरों में बलरामजी की कथाएं और भजन सुनाए जाते हैं। यह पर्व सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि लोग एक साथ मिलकर पूजा और उत्सव में भाग लेते हैं। इस दिन गाय के दूध और दूध से बने पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता, क्योंकि गाय को पवित्र माना जाता है। इसके बजाय लोग भैंस के दूध का उपयोग करते हैं।
हलषष्ठी पूजन की विधि
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत रखने वाले को दिनभर गाय के दूध और दही से परहेज करना चाहिए। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। बलरामजी और श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र, हल और मूसल की छोटी प्रतिकृति, गंगा जल, पंचामृत, फूल, चंदन, रोली, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य (भैंस के दूध से बने मिठाई), और तुलसी पत्र।
पूजा का विधान
पूजा स्थल पर बलरामजी और श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। दीप प्रज्वलित करें और गंगाजल छिड़कें। रोली, चंदन और अक्षत से तिलक करें। बलरामजी को पंचामृत और भैंस के दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। "ॐ बलरामाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। बलराम जयंती की कथा पढ़ें या सुनें। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें। संध्या समय में फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें। जरूरतमंदों को अनाज, फल या वस्त्र दान करें। Halshashti 2025 | Halshashti puja | child protection rituals | Hindu festivals